“कुछ बातें मेरी भी…” एक ऐसा कविता-संग्रह है जिसमें 106 कविताएँ दिल से निकले उन एहसासों को समेटे हुए हैं, जिन्हें हम अक्सर महसूस तो करते हैं पर कह नहीं पाते । ये किताब उन ख़ामोश लम्हों, अनकही बातों, टूटे सपनों, छोटी खुशियों, और रिश्तों की जटिलताओं की कहानी बयां करती है,
जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बनकर भी अक्सर हमसे छूट जाती हैं । हर कविता में आपको—कहीं आपका अपना अक्स दिखेगा, कहीं कोई पुरानी याद ताज़ा होगी, कहीं अधूरेपन की चुभन होगी, और कहीं उम्मीद की हल्की-सी किरण भी ।
इस संग्रह की खासियत इसकी सादगी है—ये कविताएँ पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे कोई आपके पास बैठकर आपकी ही कहानी आपको सुना रहा हो।
106 कविताओं का यह सफ़र, पाठकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाता है जहाँ शब्द सिर्फ पढ़े नहीं जाते बल्कि महसूस किए जाते हैं । अगर आप भावनाओं को दिल से जीते हैं, अगर आपको शब्दों में छुपी सच्चाई छू जाती है, अगर आप रिश्तों, यादों और ख्वाहिशों को अपने भीतर कहीं संभाल कर रखते हैं—
तो “कुछ बातें मेरी भी…” आपके लिए ही है ।
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