यह किताब मेरे ख्याल और काल्पनिक तथ्यों की द्रष्टि है जो अपने भावों के तार में पिरोकर अपने पाठको तक भेज रहा हूँ | मेरी समझ में इन पंक्तियों में मैंने कुछ घुमक्कड़पन और आलसी ख्याल वाले विचारों को एक स्वाभिमान पूर्ण व्यक्ति के नजरिये और खुशमिजाज़ी के ढंग से प्रस्तुत किया है | पुस्तक में मित्र , सगे सम्बन्धी , विचार , व्यवहार , आक्रोश, बिछड़ना , प्रेम , प्रेम में की गयी नाराज़गी , प्रेमिका इत्यादि भाग विशेष रूप से सम्मलित है |
मै आशुतोष विश्वकर्मा ,ये सोच कर लिखना शुरू किया था कि अपने संगीत को आगे बढ़ाने के लिए शब्दों की ऊर्जा ठीक प्रकार से इस्तेमाल हो सके , भाषा और साहित्य की बहुत ज्यादा तकनीकी नहीं जानता मैं , परन्तु यथार्थ प्रयास किया है जिस प्रकार किताब पढ़ कर मुझे ख़ुशी मिलती है , पुस्तक से जुड़ाव महसूस होता है वही अपने पाठको तक भेज सकू , इस क्रम को आगे बेहतर बनाने के लिए आपके स्नेह का आभारी रहूँगा |
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ashuvishwakarma788
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