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Suno / सुनो

Author Name: Vinod Narayan | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

किताब का नाम ( सुनों ) इसलिए रखा गया है क्योंकि ये सारी शायरियां मैंने उसको सुनाई हैं औऱ अब इसमें कुछ शायरियां नई है जो कि अब जब हम मिलेंगे तब हम उन्हें सुनाएंगे

इस किताब की शायरियां पुरे देश में पढ़ी जाएंगी औऱ लोगों को बहूत पसंद आएंगी ।

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विनोद नारायण

मैंने अभी तक नो किताबें लिखी है औऱ मेरी ये नो वी क़िताब है जब भी मेरी नई किताब प्रकाशित होती है तब मुझे ऐसा लगता है जैसे की मैंने युद्ध जीता हो । मुझे किताबें लिखना बहूत पसंद है और मैं हमेशा किताबें लिखता रहूंगा , क्योकि किताबों ने मुझे एक नाम दिया है और आज मैं जो कुछ भी हु इन्ही की वज़ह से हु इसलिए किताबें मेरे बहूत ही करीब है औऱ मुझे बहूत कुछ सिखाती हैं इस किताब में शायरियां है और ये शायरियां सभी को पसंद आएंगी । ये किताब पूरे भारत में पढ़ी जाएगी ऐसी मेरी आशा है । मेरे कुछ मित्र कहते हैं की कहा से लाते हो ' इतनी हिम्मत ' मुझे कठिन कार्ये करने में आंनद आता है और मुझे कठिन कार्ये करने से एक नया साहस प्राप्त होता है औऱ मैं निरंतर प्रयास करता रहता हूं जिस कार्ये को मैं नही कर सकता हु उसी कार्ये को मैं करता हु औऱ वो कार्ये मेरी ज़िद और हिम्मत के आगे हार जाता है ।

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