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Thukrati Rahen / ठुकराती राहें

Author Name: Praveen Bahl | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

उसकी राह में फूल ही फूल बिछे थे... मदहोश कर देने वाली सुगन्ध बिखरी पड़ी थी..... अनिता की बाहों में बाँहें डाले वह जिन्दगी के मीठे नगमे गा रहा था परन्तु एक मोड़ के पश्चात वह राह बदल गई। अब जिस दर्दनाक राह पर वह खड़ा था.... वह ठुकराती राह थी... वह राहें बदलता रहा परन्तु राहें उसे ठुकराती रहीं । यह सिलसिला बढ़ता ही गया... और आज उसे महसूस हुआ कि वह राह का राही नहीं बल्कि राह का वह पत्थर है, जिसे गुजरते राही ठोकर मार कर आगे बढ़ जाते हैं।

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प्रवीण बहल

श्री प्रवीन बहल हरियाणा के उदीयमान साहित्यकार है। उनके हृदय में लिखने का अद्भुत उत्साह है। विकलांग होने पर भी इस तरुण कलाकार ने जिस द्रड़ संकल्प और निरन्तर साधना के साथ हिन्दी साहित्य की सेवा करने का व्रत लिया है, उसे देख कर सचमुच आश्चर्य होता है जीवन संघर्ष में उमंगों से भरे इस युवा हृदय को पूर्ण सफलता मिले, यही मेरी हार्दिक कामना है। प्रवीन बहल को कथा का क्षेत्र विशेष रूप से प्रिय है। जीवन के तीखे अनुभव एवं कटु यथार्थ को सरल भाषा एवं सहज शैली में अभिव्यक्त करना उनकी लेखनी का उद्देश्य है। समाज के घिनौने चेहरे से आडम्बर का सुन्दर नकाब उलट कर उसके कलुषित रूप को दिखाने में लेखक ने अधिक रुचि दिखाई है। प्रस्तुत कृति इसका प्रमाण है।

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