यह किताब, अनाथ आश्रम और वृद्धाश्रम पर आधारित है। यह कहानी एक ऐसे लड़के की है जो बचपन से लेकर बड़े होने तक अपने हर जन्मदिन पर, हर साल अनाथ आश्रम और वृद्धाश्रम जाता है। परन्तु जैसे- जैसे वह बड़ा होता है उसे इन दोनों आश्रमों का महत्व पता चलता है। इस कहानी के अनुसार वृद्धाश्रम और अनाथ आश्रम अलग- अलग होने के बजाय दोनों को मिलाकर एक ही आश्रम होना चाहिए जिसमें अनाथ बच्चे और वृद्ध साथ- साथ रह सके और एक दूसरे का सहारा बन सके।