Poetry

"जल को ना मिटाओ"
By Manish Kumar in Poetry | वाचलं गेलेलं: 556 | लाइक: 0
"जल को ना मिटाओ" वाह रे इनसान तूने मुझे भी बेच ड़ाला ! वाह रे इनसान तूने मुझे भी बेच ड़ाला ! पवित्र जल को भी दूषित कर ड़ाला,   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 06:43 AM
‘क़ाश’
By IamPiyush in Poetry | वाचलं गेलेलं: 356 | लाइक: 0
क़ाश  वो शाम होती, क़ाश वो ज़ाम होती मुस्कान मापने को सरेआम क़ाश  वो सुबह, क़ाश वो शाम होती; हृदय की लकीरों से, लहू   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 07:51 AM
ज़िन्दगी के पत्थर, कंकड़ और रेत
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 253 | लाइक: 1
ज़िन्दगी के पत्थर, कंकड़ और रेत Philosophy के एक professor ने कुछ चीजों के साथ class में प्रवेश किया. जब class शुरू हुई तो उन्होंने एक बड़  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 07:56 AM
தாய் (Mother)
By Ahamed Hamza in Poetry | वाचलं गेलेलं: 633 | लाइक: 1
தாய் தாய் தூங்கி நான் அறியேன் தரணியில் நீ வாழும் வரை அதிகாலை நான் எழுந்தால் அதற்கு முன்பே விழித்திடுவாய்நான் அ  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 07:59 AM
समंदर कि लहरों से
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 324 | लाइक: 1
"समंदर कि लहरों से और ठंडी-ठंडी ये हवाओं से कुछ पा लिया है,  सब कुछ खोने के बावजूद मैंने ममता कि चरणों में अपना शीश प  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 07:59 AM
I can fly
By Saranya Krishnan M in Poetry | वाचलं गेलेलं: 278 | लाइक: 0
The waves of murk Veiled the hues of her dreams, Dreams that still lurk Beneath the shadowy eye reams   Tired of the long tarry Trawling for a chance, To elude the knarry To elude the trance   Then befell the flash of hope Divulging her eye’s elegancy, Sparkles came to unfurl the ro  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:00 AM
Ruh Sa Nikli Aawaaz♥️
By Shashwat Kumar Singh in Poetry | वाचलं गेलेलं: 475 | लाइक: 1
बड़ी ही दिलचस्प होती है ये सत्रह-अठरह की लड़कियाँ वक्त-सुब्हदम सी होती है ये सत्रह-अठरह की लड़कियाँ धूप से शिकायातें ह  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:00 AM
நான் (I am)
By Ahamed Hamza in Poetry | वाचलं गेलेलं: 470 | लाइक: 0
என் எண்ணத்தில் தோன்றியதோ ஏராளம் அதில் எழுத்தில் வடிக்காதவை தாராளம் ஈற்றில் அச்சேறியது ஏதோ ஒன்றுஎதுகை மோனை இல  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:01 AM
How the josh
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 208 | लाइक: 1
 " जीत कर उनको दिखाओ जो तुम्हारे हार ने का इंतजार कर रहे हैं ." By Vivek Kumar Pandey  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:02 AM
Shayari
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 289 | लाइक: 1
 "डर मुझे भी लगा फासला देख कर,  पर मैं बढता गया रास्ता देख कर,   खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गई,   मेरी मंजिल मेरा   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:05 AM
वक़्त से लड़कर
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 466 | लाइक: 1
"वक़्त से लड़कर जो नसीब बदल दे इन्सान वहीं जो अपनी तकदीर बदल दे , कल क्या होगा कभी मत सोचो , क्या पता कल वक़्त खुद अपनी   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:07 AM
उम्मीदों की कश्ती
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 229 | लाइक: 1
"उम्मीदों की कश्ती को डुबोया नहीं करते, मंजिल दूर हो तो थक कर रोया नहीं करते, रखते हैं जो  दिल में उम्मीद कुछ पाने की  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:08 AM
मां का प्यार
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 536 | लाइक: 1
"रुके तो चांद जैसी चले तो हवाओ जैसी वो मां ही है जो धुप मे भी छाव जैसी." Love your mom & Take care of mom  आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:10 AM
जरा कोशिश तो कर
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 508 | लाइक: 1
जरा कोशिश तो कर " संगीत सुन कर ज्ञान नहीं मिलता ,  मंदिर जाकर भगवान नहीं मिलता, पत्थर तो इसलिए पूजते है लोग, क्योंकि   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:13 AM
है मैरे दोस्तों
By MR VIVEK KUMAR PANDEY in Poetry | वाचलं गेलेलं: 249 | लाइक: 1
"अब ना में हुं ना बाकी है ज़माने मेरे , फिर भी मसहुर है शहरों में फंसाने मेरे, जिन्दगी है तो नये जख्म भी लग जायेंगे, अब   आणखी वाचा...
प्रकाशनाची तारीख Mar 23,2020 08:14 AM