अक्षर
कितनी भी विकट परिस्थितियाँ हो, कितने भी दुर्गम हालात, चाहे सृष्टि में कोई आपका साथ दे या ना दे, किंतु प्रकृति, प्रकृति सदैव हमारे साथ साथ चलती है, बताऊँ कैसे?
देर रात सुनसान सड़क पर जाकर देखना, अंजान रास्तों में निपट अकेले विचरण करते करते भटक जाना, जब महसूस हो, कि आप बिल्कुल अकेले हो इन राहों में, और मन में भय रूपी व्याधि अपने पैर पसारने को हो, तब देखना आसमाँ की और, सोलह कलाओं से अलंकृत वो चाँद, जो खुद भी पूरे आसमाँ में अकेला ही चमक रहा है, उसने कभी का तुम्हारा साथ चुन लिया होगा, अपने बढ़ते कदमों के साथ एकटक देखना उसे, तुम्हारे हर कदम के साथ वो लगातार तुम्हारे साथ साथ चल रहा होगा।
आँधी या तूफान का मौसम हो और तुम घर से बाहर हो, तब महसूस करना, हवा, मिट्टी, और वो पत्ते, जिन्होंने जिया है हर मौसम हर क्षण प्रकृति के सानिध्य में, सभी तुम्हारे साथ ही निरंतर गतिशील होंगे। प्रकृति सृष्टि का सबसे खूबसूरत करिश्मा है, शायद बड़े बड़े कलाकारों ने अपनी कला को प्रकृति के सानिध्य में बैठ कर निखारा और प्रकृति को ही अपनी कला में उतारा।
इस पुस्तक में अक्षर अक्षर प्रकृतिजन्य है, अक्षरबद्ध कविताओं का एक समूह, जिसका प्रत्येक शब्द प्रकृति से जुड़ा हुआ है। प्रकृति का कण कण हमें कुछ ना कुछ सिखाता है हमारी प्रेरणा बनता है हमें निस्वार्थ भाव से कार्य करने की प्रेरणा देकर आशावादी बनाता है। अतः इसी सोच के साथ इस पुस्तक को प्रकृति से जोड़ते हुए मानव जीवन की प्रेरणा बनाने का एक छोटा सा प्रयास मेरे द्वारा किया गया है, आशा है कि ये पुस्तक अपना ध्येय सफल करेगी और पाठकों के स्नेह को प्राप्त करेगी।।