अलोपा मेरे जीवन का पहला उपन्यास है,जिसमें मैने अपने उपन्यास लेखन को सार्थक करने का पूर्ण प्रयास किया है। अलोपा उपन्यास, मुख्य पात्र अलोपा के जीवन को ही सन्दर्भित करता सा नजर आता है। अलोपा एक ऐसा प्रयास है जो उपन्यास की उस छोटी सी पात्र अलोपा के जीवन में उठते, उसे अनेकों दुख के सागर में अनवरत गोते खाते, संघर्ष करते जीवन को जीवंत करता है।अलोपा का जीवन सुख के निकट तो पहुँचता है किन्तु वह सुख भी अलोपा के लिए सत्य नही है। सरल से शरीर में बसने वाला अलोपा का विशाल ह्दय कभी आहत नही होता, कभी स्वार्थी नही होता, कभी हारता नही। जीवन के हर पथ पर अडिग सा खड़ा रहता है। उस विशाल शिला खन्ड के समान जो दूसरों को छाया के लिए सदैव तत्पर रहता है।