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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalPoet Devendra Pratap Verma was born on 01/01/1987 in Ratnagarpur village of Patti tehsil of Pratapgarh district in Uttar Pradesh. Father Shri Ram Karan Verma works in Allahabad district and mother Shanti Devi is a housewife. The poet's primary education was completed in Pratapgarh. After that, his father's family settled in Allahabad. Further schooling was completed in 2003 from Government Inter College, Allahabad. From Uttar Pradesh Technical University, Poet studied engineering from Electrical and Electronic branch and got B. Tech degree in the year 2010. Currently, the poet is working in thRead More...
Poet Devendra Pratap Verma was born on 01/01/1987 in Ratnagarpur village of Patti tehsil of Pratapgarh district in Uttar Pradesh. Father Shri Ram Karan Verma works in Allahabad district and mother Shanti Devi is a housewife. The poet's primary education was completed in Pratapgarh. After that, his father's family settled in Allahabad. Further schooling was completed in 2003 from Government Inter College, Allahabad.
From Uttar Pradesh Technical University, Poet studied engineering from Electrical and Electronic branch and got B. Tech degree in the year 2010. Currently, the poet is working in the Uttar Pradesh Power Corporation Limited in the division of district Agra on the post of Executive Engineer.
From the poetry competitions held in the school, the poet learned the talent of writing and poetic writing within himself and composed poems on life experiences. The poet has no particular composition style. The poet has put his life experiences in words
Read Less...Achievements
ईश्वर की प्रेरणा और माता-पिता व गुरुजनों के आशीर्वाद से मैंने अपने जीवन के अनुभव को लिखना शुरू किया। कहां तक सफल हूँ यह मैं नहीं जानती किन्तु इतना जरूर है कि जो भी लिखा अंतर्मन की
ईश्वर की प्रेरणा और माता-पिता व गुरुजनों के आशीर्वाद से मैंने अपने जीवन के अनुभव को लिखना शुरू किया। कहां तक सफल हूँ यह मैं नहीं जानती किन्तु इतना जरूर है कि जो भी लिखा अंतर्मन की प्रेरणा से पूरी ईमानदारी और साफगोई से लिखा । मेरी जीवन यात्रा के अनुभव काव्य स्वरूप में अंतःकरण काव्य संग्रह के माध्यम से आप सभी सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है । आशा है माँ सरस्वती की कृपा से आपकी स्नेहमय और सकारात्मक प्रतिक्रिया मेरी काव्य साधना को परिष्कृत करेगी ।
अलोपा मेरे जीवन का पहला उपन्यास है,जिसमें मैने अपने उपन्यास लेखन को सार्थक करने का पूर्ण प्रयास किया है। अलोपा उपन्यास, मुख्य पात्र अलोपा के जीवन को ही सन्दर्भित करता सा नजर आता
अलोपा मेरे जीवन का पहला उपन्यास है,जिसमें मैने अपने उपन्यास लेखन को सार्थक करने का पूर्ण प्रयास किया है। अलोपा उपन्यास, मुख्य पात्र अलोपा के जीवन को ही सन्दर्भित करता सा नजर आता है। अलोपा एक ऐसा प्रयास है जो उपन्यास की उस छोटी सी पात्र अलोपा के जीवन में उठते, उसे अनेकों दुख के सागर में अनवरत गोते खाते, संघर्ष करते जीवन को जीवंत करता है।अलोपा का जीवन सुख के निकट तो पहुँचता है किन्तु वह सुख भी अलोपा के लिए सत्य नही है। सरल से शरीर में बसने वाला अलोपा का विशाल ह्दय कभी आहत नही होता, कभी स्वार्थी नही होता, कभी हारता नही। जीवन के हर पथ पर अडिग सा खड़ा रहता है। उस विशाल शिला खन्ड के समान जो दूसरों को छाया के लिए सदैव तत्पर रहता है।
यह नाटक उस दौर में लिखा गया जब मैं नाटक की पढ़ाई श्रीराम सेंटर फॉर आर्ट एंड कल्चर से कर के लगातार बल्लबगढ़, फरीदाबाद और दिल्ली में नाटक कर रहा था । हास्य नाटकों की कम
यह नाटक उस दौर में लिखा गया जब मैं नाटक की पढ़ाई श्रीराम सेंटर फॉर आर्ट एंड कल्चर से कर के लगातार बल्लबगढ़, फरीदाबाद और दिल्ली में नाटक कर रहा था । हास्य नाटकों की कमी हमेशा खलती थी । तमाशा शैली में लिखे गए नाटक खासकर “सैंया भये कोतवाल“ और “गधे की बारात“ जैसे नाटक हमारा ग्रुप आकृति रंग मंच मंचित कर चुका था । उसके बाद भी और बहुत से नाटक किये लेकिन तमाशा का जनून उतरते नहीं उतरता था । फिर सोचा के क्यों ना एक ऐसा नाटक लिखा जाए जिसमें हर दूसरे वाक्य में कुछ न कुछ हँसी मज़ाक हो। बात उन दिनों की है जब सीरियल “कुदरत नामा“ शूटिंग पूरी होने के कगार पर था I एडिटिंग शुरू नहीं हुई थी । खाली वक्त में ऑफिस में बैठे हुए “श्री 420” नाटक मैंने पूरा किया और कला रंग मंच फरीदाबाद के साथ रिहर्सल भी शुरू हो गयी । महिला कलाकार मुश्किल से मिलते थे इसलिए महिला पात्र भी नाटक में कम रखे और जो थे उनके संवाद और सीन कम लिखे कि अगर वो रोज़ रोज़ ना भी रिहर्सल में आ सके तो नाटक की रिहर्सल जारी रह सके। नाटक का अंतिम अंक रिहर्सल शुरू होने के बाद लिखा गया ।
एक कोशिश ऐसे भी “अल्पांजलि” दोहा संग्रह को पिछली पुस्तक कुछ दिल ने कहा अल्पांजलि हिंदी नज़्म - के भावो को दोहा छंद में पिरोने का काम कहा जाए तो गलत नहीं होगा I तकरीबन बहुत से लम
एक कोशिश ऐसे भी “अल्पांजलि” दोहा संग्रह को पिछली पुस्तक कुछ दिल ने कहा अल्पांजलि हिंदी नज़्म - के भावो को दोहा छंद में पिरोने का काम कहा जाए तो गलत नहीं होगा I तकरीबन बहुत से लमहे उसी भाव के साथ कैद किये है पहले नज़्मों में अब दोहों में I भले ही नज़्मों की पुस्तक पहले आई हो लेकिन लिखते हुए कभी दोहे पहले लिखे गए कभी नज़्म और कभी कभी तो दोनों ही एक साथ लिखे गए होंगे I
आत्मिक प्रेम में डूबे प्रिय और प्रेयसी का हर संवाद हृदय से स्पंदित मृदु भावों का संगम होता है । प्रेम के अनुभव में लिखे गए ख़त जिनमें प्रिय और प्रेयसी के विरह,मिलन और प्रशंसा का अल
आत्मिक प्रेम में डूबे प्रिय और प्रेयसी का हर संवाद हृदय से स्पंदित मृदु भावों का संगम होता है । प्रेम के अनुभव में लिखे गए ख़त जिनमें प्रिय और प्रेयसी के विरह,मिलन और प्रशंसा का अलंकरण हो,जिनमें उपमाओं का शृंगार हो, स्वयं में साहित्य हैं । ‘प्रणय बेलि ’ कवि श्री अमर नाथ सिंह द्वारा रचित काव्यमयी और प्रेरक पत्रों का संकलन है जिसे कवि ने अपनी प्रेयसी की अंतिम आकांक्षा के सम्मान स्वरूप में प्रकाशित किया है । सरि-सागर कि आकांक्षा है कि उनका प्रेम हर घर में पढ़ा जाये,हर घर में गाया जाये। यही प्रेम की साकार प्रतिष्ठा है।
कवयित्री श्रीमती उर्मिल शर्मा की रचनाओं में जीवन का अनुभव है,स्त्री अस्तित्व की उन्मुक्त उड़ान है,सामाजिक विकारों पर कटाक्ष है और समाधान की उम्मीद है तथा इन सबसे से बढ़कर जीवन का
कवयित्री श्रीमती उर्मिल शर्मा की रचनाओं में जीवन का अनुभव है,स्त्री अस्तित्व की उन्मुक्त उड़ान है,सामाजिक विकारों पर कटाक्ष है और समाधान की उम्मीद है तथा इन सबसे से बढ़कर जीवन का उल्लास है,आत्मबल की व्याख्या है। काव्य अपराजिता के पटल पर कवयित्री की रचनाओं का संकलन और सम्पादन कर काव्य संग्रह ‘जीवन की अनुभूतियाँ’ का प्रकाशन करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है,आशा है माँ सरस्वती की कृपा से यह काव्य संग्रह सभी सुधि पाठकों के हृदयतल का स्पर्श कर नवप्राण भरने में सफल होगा।
कॉमन सी बात है कि आज के दौर में इंसान शॉर्टकट ढूँढता है, चाहे वो जॉब हो या फिर रिश्ते। रिश्तों के दायरे भी काफी विशाल है, लेकिन इंसान के पास वक्त की कमी है। इसलिए वो उलझ सा जाता है और
कॉमन सी बात है कि आज के दौर में इंसान शॉर्टकट ढूँढता है, चाहे वो जॉब हो या फिर रिश्ते। रिश्तों के दायरे भी काफी विशाल है, लेकिन इंसान के पास वक्त की कमी है। इसलिए वो उलझ सा जाता है और अपनी निजी खुशियों के माध्यम को तलाशने लगता है। लेकिन यह जीवन की डोर सुलझने की बजाय और उलझ जाती है। संभवतः यही कारण है कि इंसान आज इंटरनेट पर खुशियों की तलाश में हादसे का शिकार हो जाता है।मैंने कहानी को इसी रिश्ते की डोर के आस पास बुनने की कोशिश की है। - मदन मोहन
हिन्दी साहित्य में बृहद शब्दकोश के धनी कवि एवं साहित्यकार श्री मदन मोहन ‘मैत्रेय’ ने काव्य रचना के क्षेत्र में बहुत ही कम समय में अपनी सुस्पष्ट और सार्थक उपस्थिति दर्ज कराई
हिन्दी साहित्य में बृहद शब्दकोश के धनी कवि एवं साहित्यकार श्री मदन मोहन ‘मैत्रेय’ ने काव्य रचना के क्षेत्र में बहुत ही कम समय में अपनी सुस्पष्ट और सार्थक उपस्थिति दर्ज कराई है। प्रेम,करुणा,शृंगार और भक्ति में डूबी कवि की रचनाओं ने पाठकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।काव्य रचना के साथ ही साथ श्री मदन मोहन जी ने कहानी,धारावाहिक और उपन्यास लेखन में भी अपनी लेखनी को परिष्कृत किया है।काव्य संग्रह जिंदगी एक काव्य धारा और भीगीं पलकें के उपरांत ओर्डिनरी किलर उपन्यास प्रकाशित होकर आप सभी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। आशा है आप सभी सुधि पाठकों का आशीर्वाद श्री मदन मोहन जी को प्राप्त होगा।
प्रार्थना प्रेम और प्रेरणा कवि श्री धर्मवीर सिंह की कविताओं का सुंदर संकलन है। कवि ने गुरु चरणों की वंदना कर प्रेम और भक्ति में डूबी हुई रचनाओं से ईश्वर की आराधना की है। देश प्रे
प्रार्थना प्रेम और प्रेरणा कवि श्री धर्मवीर सिंह की कविताओं का सुंदर संकलन है। कवि ने गुरु चरणों की वंदना कर प्रेम और भक्ति में डूबी हुई रचनाओं से ईश्वर की आराधना की है। देश प्रेम का अलख जगाते हुए मानवीय मूल्यों की स्थापना की है।
पलाश आधुनिक युग की प्रयोगवादी धारा की 39 नई कविताओं का संग्रह है। जो जीवन के विभिन्न रंगों को सुंदर भावों में व्यक्त करती हैं। शब्द चयन से लेकर भावों की गहराई तक प्रत्येक रचना सहज
पलाश आधुनिक युग की प्रयोगवादी धारा की 39 नई कविताओं का संग्रह है। जो जीवन के विभिन्न रंगों को सुंदर भावों में व्यक्त करती हैं। शब्द चयन से लेकर भावों की गहराई तक प्रत्येक रचना सहज और सरल है जो अपनी अभिव्यक्ति को सफल बनाती है।कवयित्री ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में चेतना का संचार किया है। संग्रह की कवितायें सोये अन्तर्मन को जगाती हैं और कर्तव्य का बोध कराती हैं,सत्य की राह पर चलने का संदेश देती हैं। प्रेम,प्रेरणा,विरह और भक्ति के भावों से परिपूर्ण कविताओं में कवयित्री की रचनाधर्मिता साकार होती दिखाई पड़ती है। उम्र और लिंग की सीमा से परे प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए यह काव्य संग्रह पठनीय है।
लेखक एवं कवि डॉ मोहन लाल अरोड़ा जी की यह पुस्तक काव्य संकलन एवं लघु कथाओं का एक अनमोल संग्रह है। कविताओं को पढ़ने के पश्चात यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह एक सकारात्मक सोच के कवि ह
लेखक एवं कवि डॉ मोहन लाल अरोड़ा जी की यह पुस्तक काव्य संकलन एवं लघु कथाओं का एक अनमोल संग्रह है। कविताओं को पढ़ने के पश्चात यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वह एक सकारात्मक सोच के कवि है। प्रस्तुत काव्य संग्रह भक्ति,देशभक्ति और मन के भीतर पनप रहे सुंदर भावों निरूपण है। डॉ मोहन लाल जी की कवितायें चित्र दर्शन बखूबी तरीके से कराती हैं। इनकी खासियत है कि यह अपने विचारों के सुंदर चित्रों को कविताओं मे परिवर्तित कर लेते हैं। कवि की लिखी हुई एक कविता जिसका शीर्षक है 'बम' आतंकवाद जैसे गंभीर विषय पर है जिसे बखूबी शब्दों को तोल मोल कर सुंदरता से लिखा है कवि महोदय ने। पुस्तक के अंत में डॉ मोहन लाल जी द्वारा लिखी गयी लघु कथायें पढ़ने योग्य है।
श्रीमती कंचन वार्ष्णेय की रचनाओं में स्त्री जीवन के संघर्ष एवं पीड़ा का ममस्पर्शी चित्रण है जो पाठकों के हृदय को छूता है। अपनी रचनाओं के माध्यम से कवयित्री ने समाज में नारी के सम
श्रीमती कंचन वार्ष्णेय की रचनाओं में स्त्री जीवन के संघर्ष एवं पीड़ा का ममस्पर्शी चित्रण है जो पाठकों के हृदय को छूता है। अपनी रचनाओं के माध्यम से कवयित्री ने समाज में नारी के सम्मान को जीवंत किया है और सामाजिक कुरीतियों को सच्चाई का आईना दिखाया है।
श्री राम किशन शर्मा जी ने जीवन के उतार चढ़ाव का बड़ी बारीकी से विश्लेषण कर शब्दों में पिरोया है । रिश्तों की बदलती परिभाषा,झूठ, प्रपंच और राजनीति के खोखले दावे, कुछ भी कवि की दृष्टि
श्री राम किशन शर्मा जी ने जीवन के उतार चढ़ाव का बड़ी बारीकी से विश्लेषण कर शब्दों में पिरोया है । रिश्तों की बदलती परिभाषा,झूठ, प्रपंच और राजनीति के खोखले दावे, कुछ भी कवि की दृष्टि से छुपा नहीं है । कवि श्री राम किशन शर्मा जी ने गुजरते जीवन के प्रत्येक पहलू पर अपनी लेखनी से प्रकाश डाला है और मुखौटे के पीछे छिपे नैतिक मूल्यों की पड़ताल की है ।
व्यवहारिकता के बीच पनपते अव्यवहारिक अनावश्यक संघर्षों ने किस प्रकार मनुष्य के मानवीय चिंतन और संस्कारों को आघात पहुंचाया है यह कवि श्री राम किशन शर्मा जी की कविताओं का केन्द्रीय भाव है । कवितायें प्रश्न भी पूछती है और उत्तर भी देती हैं । इसलिए ‘यथार्थ’ एक अनुभव है यथार्थ का ।
भारत भूमि हमारी माँ है, हमारी मातृभूमि है,हमारी पहचान है। मातृभूमि के पवित्र आँचल की छांव में हम पले बढ़े और समृद्ध हुए। मातृभूमि के कारण हमारा ही अस्तित्व है। माँ समान मातृभूमि स
भारत भूमि हमारी माँ है, हमारी मातृभूमि है,हमारी पहचान है। मातृभूमि के पवित्र आँचल की छांव में हम पले बढ़े और समृद्ध हुए। मातृभूमि के कारण हमारा ही अस्तित्व है। माँ समान मातृभूमि से हमें पेड़ पौधे,खेत,वन,पहाड़,नदियाँ,पशु पक्षी झरने आदि उपहार में मिले हैं। रहने के लिए उत्तम परिवेश और जीवन यापन के लिए आवश्यक संसाधन यह सब कुछ मातृभूमि से ही मिलता है।इसीलिए मातृभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर माना गया है। हमारा सौभाग्य कि भारतवर्ष की पावन धरा पर हमारा जन्म हुआ जहाँ असंख्य पुण्यात्माओं की शिक्षा,संस्कार, ज्ञान एवं सानिध्य में हम जीवन के उत्कर्ष की ओर अग्रसर हैं। जिस प्रकार मातृभूमि हमारा पालन-पोषण करती है उसी तरह हमें भी अपनी मातृभूमि के गौरव और सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। यह प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है। इतिहास साक्षी है तमाम प्राकृतिक आपदाओं और विदेशी आक्रमणों को झेलने के उपरांत भी मातृभूमि ने सभी विविधताओं को बिना किसी भेदभाव के संरक्षण प्रदान किया है। अतः हमें भी धर्म,संप्रदाय,पंथ,जाति और मज़हब से ऊपर उठकर मातृभूमि के उत्थान हेतु स्वयं को समर्पित करना चाहिए।
मूलतः सच की असली अदा कविता ही है और इसके कारण ही कवि और कविता का अस्तित्व है। मानवता के लिए समर्पण भावों को जगाना सही और आवश्यक भी है। चाटुकारिता के अंधकार में सत्य छिप जाता है ल
मूलतः सच की असली अदा कविता ही है और इसके कारण ही कवि और कविता का अस्तित्व है। मानवता के लिए समर्पण भावों को जगाना सही और आवश्यक भी है। चाटुकारिता के अंधकार में सत्य छिप जाता है लेकिन सुधि की लौ में सदैव सम्मुख होता है,प्रकट होता है। काव्य संग्रह ‘सुधि की लौ’ में रचनाकार ने अपनी विशेष शैली में प्रत्येक पंक्ति में अपने अनुभव के प्रकाश में एक पूर्ण सत्य प्रकट करने का प्रयास किया है।
बदलते समय के साथ साथ मानव ने अनेक दिशाओं में कामयाबी हासिल कर ली है और पूर्णता की ओर अग्रसर है,परंतु व्यवहारिक दृष्टि से अगर देखा जाए तो इस कामयाबी के नीचे दबी हुई मिलेगी नैतिकता
बदलते समय के साथ साथ मानव ने अनेक दिशाओं में कामयाबी हासिल कर ली है और पूर्णता की ओर अग्रसर है,परंतु व्यवहारिक दृष्टि से अगर देखा जाए तो इस कामयाबी के नीचे दबी हुई मिलेगी नैतिकता जो मनुष्य को दूसरे अन्य जीव से बेहद अलग और परिपूर्ण बनाती है। कवि श्री विनोद ढींगरा जी का यह काव्य संग्रह ‘नई शाख से’ आज की हमारी जीवन शैली पर एक व्यंग्य है कि किस प्रकार हम अपने जीवन में प्रेम संवाद को कम करते जा रहे हैं और आधुनिक जगत की रोशनी में मस्त होकर एक ढोंगी जीवन जी रहे हैं,जहाँ प्रेम स्वार्थ में बदल गया है। रिश्तों की जिम्मेदारियाँ बस नाम पाने के लिए निभाई जा रही हैं।कवि श्री विनोद ढींगरा जी ने इस बदलाव का अनुभव कर अपनी रचनाओं में बेहद खूबसूरती से व्यक्त किया है। प्रयागराज के साहित्यिक मंच काव्य अपराजिता द्वारा इस काव्य संग्रह का सम्पादन किया गया है। निश्चय ही यह काव्य संग्रह पढ़े जाने योग्य है।
-शैलेंद्र प्रताप वर्मा (सह संपादक काव्य अपराजिता )
'उर्मिल' कवयित्री उर्मिल शर्मा द्वारा रचित कविताओं का एक संग्रह है। कवयित्री ने वर्तमान सामाजिक परिवेश पर अपने अनुभवों के आधार पर कविताओं की रचना की है, जिसमें भाषा प्रवाह के सा
'उर्मिल' कवयित्री उर्मिल शर्मा द्वारा रचित कविताओं का एक संग्रह है। कवयित्री ने वर्तमान सामाजिक परिवेश पर अपने अनुभवों के आधार पर कविताओं की रचना की है, जिसमें भाषा प्रवाह के साथ-साथ सरलता भी है।उर्मिल शर्मा ने सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करते हुए चेतना का संचार किया है। नारी के जीवन की विवशता और अस्तित्व का संघर्ष काव्य संग्रह की रचनाओं में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। कवयित्री ने शब्दों के माध्यम से नारी के अस्तित्व को स्थापित करने का अभूतपूर्व कार्य किया है। देशभक्ति, दया, प्रेम जैसे विषयों पर कवयित्री ने कई कविताएँ रची हैं जो निश्चित रूप से पढ़ने योग्य हैं।
यह काव्य संग्रह काव्य अपराजिता मंच द्वारा संकलित किया गया है। आशा नहीं पूर्ण विश्वास है कि यह काव्य संग्रह आप सभी सुधि पाठकों के हृदय को स्पर्श करने में सफल होगा।
प्रतीक्षा एक काव्य संग्रह है जो मन की आकांक्षाओं के बीच स्वयं की खोज का परिणाम है प्रतिबिंब है । संघर्ष भरे जीवन मे प्रेम,पीड़ा,हर्ष,उल्लास,उमंग उत्साह जैसे भावों से साक्षा
प्रतीक्षा एक काव्य संग्रह है जो मन की आकांक्षाओं के बीच स्वयं की खोज का परिणाम है प्रतिबिंब है । संघर्ष भरे जीवन मे प्रेम,पीड़ा,हर्ष,उल्लास,उमंग उत्साह जैसे भावों से साक्षात्कार कराती कवितायें हृदय को आनंदित करती है । प्रतीक्षा हृदय के समस्त मृदुभावों का समावेश है । जो निश्चय ही पढे जाने योग्य है।
रचनाकार ने अपने जीवन के अनुभवों को कविता के रूप मे व्यक्त करने का सुंदर प्रयास किया है। अपनी कविता के माध्यम से कवि ने यह अनुभव कराने का प्रयास किया है कि जीवन यात्रा एक प्रतीक्षा है कण कण मे स्वयं के अनुभव की।
कवि का विश्वास है कि अनेक पहचान होते हुए भी अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए टकराव की नही है अपितु अनेक से एक होने की आवश्यकता है। यही नियति है।
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