श्री राम किशन शर्मा जी ने जीवन के उतार चढ़ाव का बड़ी बारीकी से विश्लेषण कर शब्दों में पिरोया है । रिश्तों की बदलती परिभाषा,झूठ, प्रपंच और राजनीति के खोखले दावे, कुछ भी कवि की दृष्टि से छुपा नहीं है । कवि श्री राम किशन शर्मा जी ने गुजरते जीवन के प्रत्येक पहलू पर अपनी लेखनी से प्रकाश डाला है और मुखौटे के पीछे छिपे नैतिक मूल्यों की पड़ताल की है ।
व्यवहारिकता के बीच पनपते अव्यवहारिक अनावश्यक संघर्षों ने किस प्रकार मनुष्य के मानवीय चिंतन और संस्कारों को आघात पहुंचाया है यह कवि श्री राम किशन शर्मा जी की कविताओं का केन्द्रीय भाव है । कवितायें प्रश्न भी पूछती है और उत्तर भी देती हैं । इसलिए ‘यथार्थ’ एक अनुभव है यथार्थ का ।