' अँजुरी भर मेरी भी ' आधुनिक मनुष्य के सुख - दुःख को रेखांकित करती, डॉ. अमरेन्द्र मिश्र की कुछ कविताओं का एक संग्रह है | इसमें जहा कुछ कविताएँ विरह , वेदना एवं पीड़ा से अन्त:प्रेरित जीवनभूतियों को अभिव्यक्त करने का प्रयास करती है, कुछ प्रकृति के सौंदर्य का अवलोकन करतीं है तो वहीं कुछ देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और कुरीतियों पर कटाक्ष करतीं भी नजर आतीं है |
17 जुलाई, 1950 को जन्म |
पटना विश्वविद्यालय से सांख्यिकी में एम०एस-सी० एवं पी-एच०डी० | बेयालिस वर्ष शिक्षण - कार्य के उपरान्त 2015 में पटना विश्वविद्यालय से सेवानिवृत | विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय शोध - पत्रिकाओं में 100 से अधिक सांख्यिकी के शोध - पत्र प्रकाशित एवं अपने निर्देशन में 11 शोध छात्र - छात्राओं को पी-एच०डी० की उपाधि प्राप्त | आरम्भ से ही हिंदी साहित्य से लगाव |
'अँजुरी भर मेरी भी' (प्रथम संस्करण), 'थोड़ा अब जीना चाहता हूँ' (कविता - संग्रह), 'आखिर के ठगाता' (भोजपुरी कथा - संग्रह)
वर्त्तमान पता - प्रेमचन्द्र पथ, राजेन्द्र नगर, पटना - 800016
Email - mishraamar@rediffmail.com