*अंकुरण ,*जैसे भोर में सूरज की पहली किरण । अंकुरण।
शब्दों से शब्दों के मिलने से अंकुरित है ,अंकुरण।
जैसे ख्वाबों कि स्याही को कलम में भर कागज में उकेरने की कोशिश है, अंकुरण।
कविताओं में जीवन की कहानी शब्दों की जुबानी सुनाती ये पोथी। आपकी की भी बातों को शब्दों में पिरो लिखी कविता कहीं यहीं तो नही। अंकुरित होती कहानी को कुछ खूबसूरत शब्दों से प्रदर्शित किया गया है। कभी थोड़ा वक्त खुद को दें ,अपनी बातों को इन शब्दों में सुने। अंकुरण के पौधे को खिलता देखने के लिए पन्नो को पलटे ।
सौरभ त्रिपाठी द्वारा रचित काव्य संग्रह, अंकुरण।