लेखिका के दूसरे प्रयास के रूप में पूर्व रचना ‘भाग्य का खेल’ में प्रस्तुत नारी केंद्रित रोचक कहानियों को पाठको ने जिस तरह अपनाया और सराहा उसी निरंतरता में यह चौथा प्रयास “अपना-अपना एवरेस्ट” भी कहीं ना कहीं नारी के विभिन्न रूपों और भूमिकाओं के इर्दगिर्द घूमता है। जिसमे दृढ संकल्प युवती का संघर्ष, नई पीढ़ी की युवती का पारम्परिक संयुक्त परिवार की महत्ता के प्रति समझ, धर्म विशेष की पुरातनपंथी सोच में पिसती हुई स्त्री का साहसिक निर्णय और पर्यावरण के प्रति प्रेम जैसे विभिन्न विषयो को रोचकता देते हुए प्रस्तुत किया गया है।
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