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Apna-Apna Everest / अपना-अपना एवरेस्ट

Author Name: Anju Pareek | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

लेखिका के दूसरे प्रयास के रूप में पूर्व रचना ‘भाग्य का खेल’ में प्रस्तुत नारी केंद्रित रोचक कहानियों को पाठको ने जिस तरह अपनाया और सराहा उसी निरंतरता में यह चौथा प्रयास “अपना-अपना एवरेस्ट” भी कहीं ना कहीं नारी के विभिन्न रूपों और भूमिकाओं के इर्दगिर्द घूमता है। जिसमे दृढ संकल्प युवती का संघर्ष, नई पीढ़ी की युवती का पारम्परिक संयुक्त परिवार की महत्ता के प्रति समझ, धर्म विशेष की पुरातनपंथी सोच में पिसती हुई स्त्री का साहसिक निर्णय और पर्यावरण के प्रति प्रेम जैसे विभिन्न विषयो को रोचकता देते हुए प्रस्तुत किया गया है।

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अंजू पारीक

15 जनवरी 1958 को कानपुर में जन्म के बाद, वनस्थली विद्यापीठ एवं राजस्थान विश्वविद्यालय से एम् ए, एम् एड, एल एल बी, की शिक्षा के दौरान हिंदी-अंग्रेजी शॉर्टहैंड, घुड़सवारी,तैराकी का समुचित अनुभव लिया और स्टूडेंट पॉयलट लाइसेंस प्राप्त किया। जयपुर में सर्वश्रेष्ठ क्रेच स्थापित कर सफलतापूर्वक संचालन किया। राष्ट्रीय विद्यापीठ (माध्यमिक विद्यालय) की प्राचार्य रहीं,तत्पश्चात अंतरआवाज़ पाक्षिक समाचार पत्र की मुद्रक-प्रकाशक-सम्पादक रही।बैंक कर्मचारी के रूप में सेवाएं देने के बाद आवासीय विद्यालय में वरिष्ठ शिक्षिका रहीं और सयुंक्त परिवार की सदस्या के रूप में साधारण गृहिणी की भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन भी किया। वर्तमान में दो पोतियों -मीरा (6) और प्रज्ञा (3) के साथ दिल्ली में रहते हुए स्वयं की कम्पनी क्रिएटिव बिज़नेस लैब (जो भारत के साथ साथ इंग्लॅण्ड और अमेरिका में कार्यरत है) की फाउंडर डायरेक्टर के रूप में कार्य कर रही हैं। इसके अतिरिक्त अध्ययन व् देशाटन का शौक है, देशाटन के दौरान, लगभग पूरे देश का भ्रमण कर, ईश्वर प्रदत्त प्राकृतिक सौंदर्य को निहार चुकी हैं।

अंतर-आवाज़ (कविता संग्रह), भाग्य का खेल (11 नारी-केंद्रित कहानियां), जनक-जिज्ञासा (अष्टावक्र गीता का राजस्थानी में पद्यानुवाद) के बाद चौथे कदम के रूप में (इस सोच के साथ कि प्रत्येक स्त्री या पुरुष के जीवन में किसी गंतव्य को पाने या किसी समस्या के निदान हेतु उसका संघर्ष उसके लिए एक अपना एवरेस्ट है और जो हर एक का अपना निजी और अलग होता है) यह प्रयास "अपना-अपना एवरेस्ट" पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है l

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