आदिकाल से लेकर अब तक भारत वर्ष में आदिवासी, वनवासी और शूद्र महिलाओं ने जितने शोषण और अपमान का जीवन जिया है वह अपने आप में उनकी सहन शक्ति का जीता जागता उदाहरण ही है। वैसे तो इसी बीच एक समय ऐसा भी आया था जिसे स्त्री को शक्ति स्वरूपा भी कहा जाता था और स्त्रियों की शक्ति के रूप में पूजा भी की जाती थी। तब स्त्री ही शासक हुआ करती थी और पूरा राजपाट संभालती थी।