भाभी शब्द को मां की संज्ञा देना सार्थक और सटीक है। परिवार का सम्मान और घर की नींव सिर्फ इन्हीं पर टिकी है। रिश्तों को सम्मानपूर्वक एक सांचे में पिरोकर रखना साथ ही दृढ़ता बनाए रखने में ये अपनी जी जान लगा देती है। सादगी और विनम्रता के साथ संस्कारो को सम्हाल कर रखना उनकी मौजूदगी का जीता जागता उदाहरण है। कभी मां कभी बहन तो कभी दोस्त के रूप में ढल जाती है। स्नेह से परिपूर्ण, रिश्तों का आधार , घर की खुशियों की चाबी अर्थात सरल शब्दों में कहा जाए तो सच्चे प्रेम की धारा है भाभी मां।
प्रस्तुत पुस्तक आखरी कलम पब्लिकेशन के अंतर्गत संजय नायक द्वारा संकलित है जिसमे कुल 20 बेहतरीन लेखकों ने कलम के माध्यम से अपने सुंदर लेख को अंकित किया है। हमें यकीन है कि यह पुस्तक पाठकों के हृदय तक जरूर पहुंचेगी।