पूर्वोत्तर की शांत घाटियों में पली-बढ़ी इंद्रा को दुनिया ने कभी नहीं बताया कि मासूमियत सबसे आसान शिकार होती है। एक भरोसे की भूल, जिसने उसकी आत्मा को झकझोर दिया| पर वह टूटी नहीं,वह बिखरी नहीं, ।अपमान की छाया से भागती इंद्रा एक ऐसी यात्रा पर निकलती है, जहाँ हर मोड़ पर खतरा है, हर कदम पर दर्द, और हर सांस में डर। लेकिन उसी डर के भीतर उसे मिलती है एक अदृश्य शक्ति—अपनी ही आग। इंद्रा उस आग को अपनी ताकत बनाती है।वह भागती है… पर हारकर नहीं,बल्कि अपने भीतर छिपी योद्धा को जगाने के लिए।“भाग इंद्रा भाग ” साहस, पुनर्जन्म, प्रतिरोध और न्याय की तलाश का गहरा, कच्चा और सच्चा सफर है—एक ऐसी कहानी, जो पढ़ने के बाद आपके दिल में लंबे समय तक यादगार रहेगी।
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