कवि रोनू मावई द्वारा संकलित "बहन" पुस्तक एक सर्वोत्तम काव्य संग्रह है।इसके माध्यम जिन भाइयों के बहन नहीं है,या जिनके है बो उनकी इज्जत नहीं करते उन्हें इस पुस्तक के माध्यम से बहन न होने जा दर्द क्या होता है यह इस पुस्तक में बताया गया है।क्यों एक बहन एक की ही नहीं बल्की दो-दो घरों की इज्जत होती है।उसकी इतनी प्रशंशा की जाए कम है।
"भगवान करे,वह जमाना वापस आ जाए।
औरत को सिर का ताज समझा जाए।
बूढ़े मां बाप के घर में ही सेवा की जाए।। भगवान करे....।
गली में मिली अनजान लड़की को बहन समझा जाए।
गौ माता की घर में ही बांधकर सेवा की जाए।।भगवान करे...।।"
इस काव्य संग्रह के प्रकाशक "Life world community" पब्लिकेशन के फाउंडर अंकित कुमार सिंह जी हैं।इस पुस्तक में 30 लेखकों ने अपना विशेष योगदान दिया है।रोनू की यह "बहन" पुस्तक पाठकों के लिए एक बहुत बड़ा संदेश लेकर आई है। प्रस्तुत पुस्तक की भाषा सरल एवं सहज है।प्रस्तुत पुस्तक पाठकों को आसानी से समझ आ सकेगी