भोंचूशास्त्री एक शाश्वत-सनातन बिम्ब का नाम है, जो आज के जमाने में
यदाकदा ही कहीं प्रतिविम्बित हो पाता है । ईश्वरीय गुण स्वरुप ये वरदान
मिला हुआ तो सबको है, एकदम जन्म के साथ-साथ ही, किन्तु इसका प्रयोग विरले
ही करते हैं । और, प्रायः प्रयोग में न आने के कारण इस बिम्ब पर धूल की
मोटी परतें चढ़ चुकी रहती हैं । उन्हें झाड़ने की तकलीफ़ भी कोई उठाना
नहीं चाहता । ईश्वरीय कृपा किसी ने ऐसा करने का प्रयास किया और झाड़-पोंछ
कर अपने दोलायमान मन-मुकुर को स्वच्छ कर लिया, तो आपाधापी की दौड़ में
मश़गूल दुनियावाले उसे ‘ भोंचू ’ कहने लगते हैं