भारत की संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री का एकछत्र राज चलता है। एक प्रकार से यह लोकतंत्र की तानाशाही है। क्योंकि भारतीय संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री को असीमित अधिकार मिलते हैं और उसकी जवावदेही लगभग नहीं के बराबर होती है, जैसा कि नोटबंदी व जीएसटी लागू करने के समय में देखा गया है।
लोकतन्त्र के तनाशाह की भारत के संदर्भ में जब भी बात होगी तो हमें तुरंत याद आता है भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के द्वारा 1975 में लगाया गया का आपातकाल। उनके विरोधी उसे तानाशाही का अनुपान उदाहरण बताते हैं, परंतु प्रशासनिक व्यवस्था इतनी दुरुस्त हो गई थी कि सभी काम समय से और ठीक प्रकार जनता के हित में हो रहे थे। इसीलिए आपातकाल के इन्दिरा राज को आज भी याद किया जाता है।
लोकतन्त्र में तानाशाही का प्रवेश कैसे होता हैतथा उसे कैसे रोका जा सकता है। इसी समस्या पर विचार विमर्श करने के लिए मैंने यह विषय चुना है। जिससे हम अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुये संवैधानिक मर्यादा में रहकर सत्य को समाज के समक्ष लाकर उसे तथ्यों से अवगत करा सकें। जिससे लोकतन्त्र में तानाशाही के विरुद्ध जनमत तैयार हो सके।
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