दो दिन-तीन तीर्थ, जो मेरी इस पुस्तक, जिसे आप यात्रा वृत्तांत भी कह सकते हैं, का शीर्षक है, जिसमें आपको समावेश मिलेगा मेरे द्वारा दो दिन में की गई तीन तीर्थयात्राओं का विवरण। जी हाँ, संगम नगरी प्रयागराज, माँ विंध्यवासिनी जी और बाबा विश्वनाथ जी के बनारस की यात्राओं का विवरण।
इस यात्रा वृत्तांत की पृष्ठभूमि में, मैं आपको बताना चाहूँगा कि, विगत 23 अप्रैल 2022 को प्रयागराज में मेरे स्वर्गीय चाचा श्री निर्मल कुमार चतुर्वेदी जी, एडवोकेट, जोकि, मेरे पिताजी के प्रिय ममेरे/फुफेरे भाई थे, द्वारा लिखी गई एक पुस्तक, जो एक काव्य संकलन के रूप में "अंधेरे से रोशनी तक" के नाम से उनके स्वर्गवास के उपरांत प्रकाशित हुई और दूसरी पुस्तक जो उनकी निजी डायरी के कुछ हिस्सों के रूप में प्रकाशित हुई, जिसका सम्पादन उनके परम मित्र श्री मेवाराम जी द्वारा किया गया, के विमोचन का अवसर था।
आगे के पृष्ठों में आप पढ़ेंगे कि, हमने इस दो दिन की यात्रा में किन-किन पड़ावों को छुआ, किन-किन परिस्थितियों का सामना किया और जहाँ-जहाँ हम गए, वहाँ-वहाँ हमने क्या-क्या देखा व पाया ? यही इस पुस्तक की भूमिका है।
आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि, आप इस पुस्तक को मात्र एक यात्रा वृत्तांत ही नहीं, बल्कि एक धर्म यात्रा, इतिहास यात्रा और जीवन यात्रा के रूप में भी आत्मसात करेंगे और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से अवगत भी करायेंगे।