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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
"टर्निंग प्वाइंट 2023" हमारे समाज के युवाओं की बानगी है। इसमें कुछ सपने हैं, कुछ कर गुजरने की आकांक्षाएं हैं। वहीं कुछ गतिरोध हैं, वातावरण का प्रभाव है,कुंठाएं हैं और उनके अल्हड़ समा
"टर्निंग प्वाइंट 2023" हमारे समाज के युवाओं की बानगी है। इसमें कुछ सपने हैं, कुछ कर गुजरने की आकांक्षाएं हैं। वहीं कुछ गतिरोध हैं, वातावरण का प्रभाव है,कुंठाएं हैं और उनके अल्हड़ समाधान हैं, प्रायश्चित है ,साथ ही बदलाव भी हैं। समाज में घटित होने वाली विद्रूपताएं भी स्वत: स्फूर्त लिखती गयीं है इस कहानी में। बिरंची एक ऐसा पात्र है जो अपने अदृश्य पिता से बदला लेने के लिए अपराध की दुनिया से बड़ा आदमी बनना चाहता है। वहीं बबली यद्यपि अकेडमिक क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है लेकिन चमक-दमक और सहज प्राप्ति के आकर्षण में फैशन की दुनिया में प्रवेश कर जाती है पर उसकी पृष्ठभूमि से मिले संस्कार उसे लौटने को मजबूर कर देते हैं। दोनों ही को परिवार से मिला सहारा, अपना आत्मबल , समझदारी जीवन की मुख्य धारा में लौटने को प्रेरित करते हैं। यही है "टर्निंग प्वाइंट 2023" जिसमें अपने अवसाद को सकारात्मक रुख में परिवर्तित किया गया है।
पुस्तक में संकलित सभी कहानियां हमारे समाज और विचारों का अक्स हैं। जिन्हें समय-समय पर हमारे आसपास घटित घटनाओं, विचारों से प्रभावित होकर लिखा गया है। सही मायने में ये हमारे समाज क
पुस्तक में संकलित सभी कहानियां हमारे समाज और विचारों का अक्स हैं। जिन्हें समय-समय पर हमारे आसपास घटित घटनाओं, विचारों से प्रभावित होकर लिखा गया है। सही मायने में ये हमारे समाज का आइना होती हैं जिन्हें जब भी पढ़ा जाएगा ये उस दौर के देश,काल ,समाज के प्रतिबिंब के रूप में दिखाई देंगी। पुस्तक में प्रकाशित पहली रचना कनपुन्नी का कथानक घरेलू काम करने वाली रमोली के माध्यम से एक सूत्र के रूप में बातचीत में पता चला। जब इसे अपने पन्नों पर उतारने की कोशिश की यह कहानी बन गयी। इसके पात्र कहानी की माँग पर भूत, भविष्य के गर्भ के समान सामने आते गये और एक मनोरंजक कहानी बन गयी जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की गयी थी। प्रवासी, नारियल पानी,मुनी का पिंजरा,जैसी रचनाएं हमारे समाज में घटित घटनाओं का कहानी रूपांतरण कह सकते हैं। सामने वाली खिड़की भी ऐसे ही बनी। जब रात्रि में घरों की लाइट जल जाती हैं और पर्दे खुले हुए होते हैं तब दूर से दिखाई देने वाले चेहरे स्वयं पात्र बन कर मस्तिष्क के पर्दे पर चलचित्र की तरह चहलकदमी करते हुए नजर आते हैं तब उन्हें कलमबद्ध करना आवश्यक कर्म बन जाता है। पढ़ना मुझे स्फूर्ति और प्रेरणा देने लगा वहीं लिखना मेरा व्यसन बनता गया। जिसे न तो मैंने ही समझ पाया और न ही यह किसी और के संज्ञान में आ सका । अब यह तो पढ़ने वाले पाठक ही बता सकते हैं कि यह लेखन अच्छा है या नहीं। सभी के विचारों का खुले दिल से स्वागत है।
"मुख़्तलिफ़ दायरा" किताब में तमाम लफ़्ज़ दुनिया के इर्द गिर्द रखे गए है यानि कि ज़िन्दगी हर एक मोड़ पर हमसे जुदा अंदाज़ में रूबरू होती है ! कभी भी पुराने लहजो के साथ हमसे नही मिल
"मुख़्तलिफ़ दायरा" किताब में तमाम लफ़्ज़ दुनिया के इर्द गिर्द रखे गए है यानि कि ज़िन्दगी हर एक मोड़ पर हमसे जुदा अंदाज़ में रूबरू होती है ! कभी भी पुराने लहजो के साथ हमसे नही मिलती, दुनिया में हर कोई एक दायरे में सिमटा पड़ा है उनके हाथों में उतना ही है जितना वक्त उनको दे रहा है इससे ज्यादा कुछ नही |
मेरा नाम सतविंदर सिंह है ।
मेरा पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता था इसलिए मैंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की बस दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी बी. ए . की पढ़ाई की है ।
मुझे बचपन से लिखना का शौ
मेरा नाम सतविंदर सिंह है ।
मेरा पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता था इसलिए मैंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की बस दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपनी बी. ए . की पढ़ाई की है ।
मुझे बचपन से लिखना का शौक था
पहले मैं सबसे छुपा कर अपनी डायरी में लिखता था अपनी जिंदगी के बारे में
फिर जैसे जैसे सोशल मीडिया का पता चला मैंने अपनी डायरी की बाते लोग तक लाने की कोशिश की और लोगों ने भी मेरी इस कला को खूब पसंद किया।
आज इंस्टाग्राम पर मेरे 87k से ज्यादा फॉलोवर्स भी है आप मेरे से वहाँ जुड़ सकते हो @untoldalfaz
मेरी मर्मस्पर्शी वेदनाओं पर आधारित ये किताब, मेरे जीवन के पहलुओं को उजागर करती है। शायरी में कहे लफ्ज़ों में हालातों का बखान है। अक्सर प्रेम विफल परिस्थितियों में संदेहस्
मेरी मर्मस्पर्शी वेदनाओं पर आधारित ये किताब, मेरे जीवन के पहलुओं को उजागर करती है। शायरी में कहे लफ्ज़ों में हालातों का बखान है। अक्सर प्रेम विफल परिस्थितियों में संदेहस्पदक स्थिति में रहने लगता है। उसको अपनी जगह चाहिए। वह जगह जो बरसों पहले उन्हीं रास्तों पर छोड़ आया था, जहां पहली बार प्रेम से उसकी मुलाकात हुई। अलगाव की स्थिति, विवशता बता, दूसरी राह निकल पड़ती है। परंतु जब वही प्रेम बरसों बाद आपके समक्ष खड़ा हो जाए, तब वह शिकायतों का अंबार उड़ेल देता है। वह वास्तविक सत्य को जानना चाहता है कि आखिर प्रेम हुआ क्यों? हुआ तो रुका क्यों नहीं? जब चला गया, तो फिर से ये वापिसी कैसी। "ताल्लुकात" बिगड़े, संभले या संवरें, यह इस किताब के लफ्ज़ों में पूर्णतः जागृत है
मैने शायरी तो छोड़ दी थी लेकिन कहीं ना कहीं दिल में एक ख़्वाहिश थी की यार जो लिखा है उसे लोग भी पढ़े एक किताब में मेरे भी नज़्म हो, वक़्त के साथ मेरी ये ख़्वाहिश भी पूरी हो गयी, मैंने
मैने शायरी तो छोड़ दी थी लेकिन कहीं ना कहीं दिल में एक ख़्वाहिश थी की यार जो लिखा है उसे लोग भी पढ़े एक किताब में मेरे भी नज़्म हो, वक़्त के साथ मेरी ये ख़्वाहिश भी पूरी हो गयी, मैंने इस किताब में हर भावना को दिखाने की कोशिश की है, उम्मीद है आपको पसंद आयेंगी मेरी ये शायरियाँ |
A stranger, few hours and questionable relationships. When life confronted him he began spilling the truths of his life. Some where he made mistakes and some where the life was unfair to him. He accepted each one of them. Deemed as a playboy for being involved with so many girls, he began explaining his side of the story. Thus began a journey of honest confrontation with self. With many ups and down being part of his story, he embraced each and every fault wit
A stranger, few hours and questionable relationships. When life confronted him he began spilling the truths of his life. Some where he made mistakes and some where the life was unfair to him. He accepted each one of them. Deemed as a playboy for being involved with so many girls, he began explaining his side of the story. Thus began a journey of honest confrontation with self. With many ups and down being part of his story, he embraced each and every fault with grace and thoughts. The friendships were indeed questionable but not his intention in them.
ईश्वर के आशीर्वाद से बच्चों की कविताओं को पुस्तक रूप देने का ख्वाब आरबी प्रकाशन के सौजन्य से पूरा हुआ है। बाल मंजरी नाम से इस पुस्तक में लगभग चालीस कविताएं हैं। जिनमें कुछ तीन सा
ईश्वर के आशीर्वाद से बच्चों की कविताओं को पुस्तक रूप देने का ख्वाब आरबी प्रकाशन के सौजन्य से पूरा हुआ है। बाल मंजरी नाम से इस पुस्तक में लगभग चालीस कविताएं हैं। जिनमें कुछ तीन साल तक के बच्चों के लिए हैं और कुछ कक्षा पाँच तक के बच्चों के लिए भी हैं। आशा है यह पुस्तक उन अभिभावकों को पसंद आएगी जिन्हें अपने बच्चों को हिंदी में रचनाएं सुनानी हैं। खास बात यह भी है कि कविताओं के साथ सुंदर चित्र भी हैं। उम्मीद है नन्हें मुन्नों की इन रचनाओं को अभिभावकों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
दर्द का सागर ये मेरी जिंदगी की पहली पुस्तक है। जिसमें कहानी संग्रह के रूप में लेखन किया गया है और बताया गया है कि दर्द के साथ-साथ हम अपनी जिंदगी में क्या-क्या महसूस करते हैं और कैस
दर्द का सागर ये मेरी जिंदगी की पहली पुस्तक है। जिसमें कहानी संग्रह के रूप में लेखन किया गया है और बताया गया है कि दर्द के साथ-साथ हम अपनी जिंदगी में क्या-क्या महसूस करते हैं और कैसे मजबूती के साथ रहना सीखते हैं? ये बताया गया है।
इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा मुझे किसी गुरु या अपने या किसी बाहरी इंसान से नहीं मिली। ये लिखने की प्रेरणा तो मुझे मेरे दर्द से मिली है।
मेरा दर्द आज भी मेरी जिंदगी में 14 सालों से मेरे साथ ही है। कहते हैं कि लोग दर्द में हार जातें हैं,कुछ कर नहीं पाते हैं। मगर मैंने अपनी पूरी पढ़ाई अपने दर्द के साथ की। यहां तक कि लोगों ने मुझे पढ़ाई छोड़ने को कहा मगर मैंने पढ़ाई ना छोड़कर कभी हार नहीं मानी। आगे बढ़ती चली गई और लोगों को मैंने ग़लत साबित किया कि दर्द में कभी हारते नहीं बल्कि इस दुनिया में रहना और जीतना दोनों ही सीखा जाता है। मैंने दर्द को कभी दर्द ना समझकर बल्कि अपना साथी बनाकर लिखना सीख लिया। मेरे दर्द ने आज मुझे इतना लिखना सिखा दिया है कि जब लोग कहते हैं कि आप इतने भाव से, इतनी गहराई से और इतने दर्द से भरे मजबूत शब्द कहां से लाकर लिखती हैं। तब मुझे अपना दर्द बुरा ना लगकर बल्कि अच्छा लगता है। क्योंकि दर्द ने ही मुझे ना हराकर बल्कि लिखना सिखा दिया और लोगों की नज़र में एक अच्छी नयी लेखिका बना दिया। मेरे दर्द ने मुझे हर वक्त मजबूत बनाया और मजबूर ना बनाकर बल्कि मजबूत रहना सिखाया। अपनों के साथ-साथ इस दर्द ने भी मुझे कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया। असल में जिंदगी कैसे जीते हैं? ये मुझे मेरे दर्द-ए-गम ने ही सिखा दिया। इस दर्द की वजह से ही मेरी आज थोड़ी ही सही पर खुद की मेरी पहचान है।
मेरी बचपन से ही हिन्दी साहित्य में रूचि रही है, मैं जब कुछ पढता था तो दिल कुछ अलग सा कहने को करता था तो बालमन ओर ज्यादा साहित्य को पढ़ने लगा। तो जब मैंने औरों की ग़ज़लों या छंदों को पढ
मेरी बचपन से ही हिन्दी साहित्य में रूचि रही है, मैं जब कुछ पढता था तो दिल कुछ अलग सा कहने को करता था तो बालमन ओर ज्यादा साहित्य को पढ़ने लगा। तो जब मैंने औरों की ग़ज़लों या छंदों को पढ़ा तब मुझे ओर अधिक आनंद आने लगा। मेंने कभी छंद एवं अलंकार पर ध्यान नही दिया, बस शब्दों मे छुपे भावों को ही तवज्जो देता रहा। पर जब मैंने हर शब्द के वज़्न को जाना तब मुझे मीटर मे कहने की ललक हुई वहीं आज की नई वाली हिन्दी कविताओं में भावों की प्रधानता दिखी मुझे शायद इसी कारण वश मेंने अपने भावों को मीटर मे ढालना सीखा। ठीक छंदों की ही भााँति मेंने बह्र मे कहना शुरू किया। तो जब कभी मन में भाव आये चाहे वो किसी भी रस के हों तब मैंने बह्र या छंदों का सहारा लिया। मेरे इस ग़ज़ल संग्रह में अधिकतर ग़ज़लें तरही प्रतियोगिताओं से उपजी ग़ज़लें हैं । मैं कोई महान कवि एवं कोई सिद्धहस्त लेखक तो नहीं हूँ। मैं तो केवल एक प्यासा पथिक हूँ जो हर विधा के पानी से अपनी प्यास बुझाना चाहता है |
एक दोहा:-
मेरा कहता मर गया, गया न पर कुछ साथ।
जग से राजन चल दिया, लेकर खाली हाथ।।
मैने ये किताब अपना सपना पूरा करने के लिए लिखी है क्योकि मुझे लगता था क्या मै कभी लेखिका बनूंगी | ये सपना रोहित जी के कारण ही संभव हुआ है | क्योकि अगर ये ना होते तो किताब पर गौर नह
मैने ये किताब अपना सपना पूरा करने के लिए लिखी है क्योकि मुझे लगता था क्या मै कभी लेखिका बनूंगी | ये सपना रोहित जी के कारण ही संभव हुआ है | क्योकि अगर ये ना होते तो किताब पर गौर नही करती मै रोहित जी ने ही बढावा दिया है मै कर सकती हूं और बेहतर लिख सकती हूं पूर्णत: सक्षम तो नही हूं बस थोड़ा प्रयास है |
समाज तक खुद के विचारो को पहुचाने का और थोड़ा खुद का रुतबा बनाने का की मुझे लोग जाने मेरे नाम से और काम से जिम्मेदारियों के साथ खुद के लिए कुछ करने की डगर पर हूं मुश्किलों तो बहुत आती है शादी शुदा जीवन मे और साथ मे बच्चा और परिवार मगर मै कोशिश करती रहती हूं बस आगे बढ़ना है जीवन मे कठिनायों से लड़कर ..!
हर बार सवाल खड़े हो जाते है हमारे नारी जीवन मे अच्छी भली जिंदगी मे तूफान आ जाते है पवित्र नारी पर भी अपवित्रा का दाग लगा देते है | उसकी आंखो मे कभी झाकं कर ही ना देखा की सच क्या है |
बस उसे गुनेहगार ठहरा देते है वो करती भी तो क्या अकेली पड़ जाती सबके सवालो के सामने उसे कोई अपना दिखता ही जो उसे समझे और उसकी पीड़ा को महसूस करे |
मगर एक औरत को आज तक कोई समझे ऐसी सोच बहुत कम के लोग मिलते है क्योकि एक नारी जिम्मेदारियों मे उलझी होती है ना वो खुद पर ध्यान दे पाती है और ना उस पर कोई ध्यान देता है बस ऐसे ही जीवन व्यतीत हो जाता है |
मगर मेरा मानना है भले ही कोई भी ना सोचे एक नारी के लिए पहला कदम उसे खुद ही लेना होगा जिम्मेदारियां पूरे जीवन चलेगी तो साथ साथ खुद पर भी गौर करे अपने हुनर को पहचाने और उसे निखारे कठिनाइयां बहुत आयेगी मगर हार ना माने अपने लिए बस एक पहला कदम जरूर उठाएं फिर खुद ब खुद आप मे हिम्मत आएंगी
प्रस्तुत पुस्तक “संक्षिप्त आयुर्वेद चिकित्सा” में विभिन्न व्याधियो को उनके स्रोतस के अनुसार क्रम में रख कर उनका संक्षिप्त व्यवस्था पत्र दिया गया है। इनमे कुछ अनुभूत य
प्रस्तुत पुस्तक “संक्षिप्त आयुर्वेद चिकित्सा” में विभिन्न व्याधियो को उनके स्रोतस के अनुसार क्रम में रख कर उनका संक्षिप्त व्यवस्था पत्र दिया गया है। इनमे कुछ अनुभूत योग है, कुछ योग मेरे विभिन्न राज्यों में अध्ययन, प्रवास के दौरान अनुभवी शिक्षको से प्राप्त उनके द्वारा प्रयोग किये जाने वाले योग है। लगातार वर्षो के अध्ययन और अध्यापन ,रुग्ण परीक्षण के दौरान बिभिन्न रोगियों को लिखे हुए औषधि मिश्रण निश्चित ही भविष्य में छात्र छात्राओ के लिए लाभ प्रद होंगे।
प्रस्तुत पुस्तक मेरे एस आर एम राजकीय आयुर्वेदिक कालेज बरेली में कायचिकित्सा रीडर पद पर रहते हुए सृजित हुई है जिसके लिए मै कालेज के प्राचार्य एवं अधीक्षक प्रो.डा. डी.के. मौर्य (एम. एस.) का विशेष धन्यवाद देना चाहता हूँ जिनकी मुझे हर कदम पर प्रेरणा मिलती रही। मेरे छात्र जीवन से गुरु रहे डॉ .राजकुमार गुप्ता सर, डॉ. आर के गौतम सर, डॉ अनिल वर्मा सर, मेरे सहयोगी डॉ. अनिल कुमार, डॉ नितिन शर्मा एवं चिकित्सालय उपाधीक्षक डॉ प्रेम प्रकाश गंगवार, डॉ. डी. एन शर्मा का विशेष आभार व्यक्त करता हूँ। प्राचार्य राजकीय आयुर्वेदिक कालेज अतर्रा बाँदा प्रो. चन्द्रकुमार राजपूत एवं राजकीय आयुर्वेदिक कालेज झाँसी के डॉ अरविन्द उपाध्याय सर का मुझे विशेष सहयोग रहा।
मशहूर किस्से प्यार, जैसे इस किताब का नाम है वैसे ही इसमें अलग-अलग किस्से प्यार के जोड़े हुए हैं। मुझे उम्मीद नहीं विश्वास है कि अगर आपने भी जिंदगी में कभी प्यार किया होगा तो इस कित
मशहूर किस्से प्यार, जैसे इस किताब का नाम है वैसे ही इसमें अलग-अलग किस्से प्यार के जोड़े हुए हैं। मुझे उम्मीद नहीं विश्वास है कि अगर आपने भी जिंदगी में कभी प्यार किया होगा तो इस किताब में लिखी गई कविताओं में से कोई एक कविता जरूर आपके साथ जुड़ी हुई होगी जो सीधी आपके दिल तक जाएगी बाकी अगर आपको इस किताब में कुछ गलत लगे या कोई भी आपके भावनाओं को ठेस पहुंचे तो हमें क्षमा करें और हमारी पब्लिकेशन को इस बारे में बताएं ताकि हम अगली बार के लिए अपनी गलती सुधार सकें। चलिए अब ज़्यादा ना बताते हुए , आप किताब पढ़िए अगर आपका अच्छा review आता है , तो हम इसका दूसरा भाग भी लेकर आएंगे।
जब भी काव्य की प्रथम रचना की बात की जाती है तो हम महर्षि वाल्मीकि का स्मरण करते हैं काव्य की विचारधारा और प्रेरणा का स्रोत सदैव करुणा ही रही है वहीं गद्य प्रणेता सदैव महर्षि व्या
जब भी काव्य की प्रथम रचना की बात की जाती है तो हम महर्षि वाल्मीकि का स्मरण करते हैं काव्य की विचारधारा और प्रेरणा का स्रोत सदैव करुणा ही रही है वहीं गद्य प्रणेता सदैव महर्षि व्यास रहें हैं वेदों में भी गद्य और पद्य दो अलग काव्य धारायें समाहित है रसो वै स:, वाक्यं रसात्मकं काव्यं, शब्दार्थौकाव्यं प्रचलित उक्तियां हैं ललित कला मधुरिमा और मन की भावनाओं को जिस प्रकार कविता प्रस्तुत करती है उसी प्रकार भावभंगिमा समाज के ज्ञान और धर्म नीति राज्य के कल्याण का सतत विकास का ज्ञान भी हमें गद्यों के द्वारा प्राप्त हो जाता है हिंदी इतिहास में उपन्यास का भी वही स्थान है ।
परछाई प्रकाशित होने वाली मेरी पहली कृति है। लिखने -पढ़ने में रुचि के चलते बहुत से विचार हमारे मस्तिष्क में आते रहते हैं। उन्हीं को विराम देने के परिणामस्वरूप रचनाएं स्वत: अपने स
परछाई प्रकाशित होने वाली मेरी पहली कृति है। लिखने -पढ़ने में रुचि के चलते बहुत से विचार हमारे मस्तिष्क में आते रहते हैं। उन्हीं को विराम देने के परिणामस्वरूप रचनाएं स्वत: अपने स्वरूप में ढलने में लगती हैं।
परछाई कहानी एक ऐसे विचार को लेकर लिखी गयी है जिसमें बच्चों का होना हमारे धर्मग्रंथों और सामाजिक परिवेश में रहस्यमय परिधि के अंदर सहेज दिए जाते हैं । जिन्हें लेकर बालक मन अपने मन में बहुत सी धारणाएं बना लेता है और जब तर्क और विज्ञान की कसौटी पर ये खरे नहीं उतरते तो अविश्वास मन में जन्म लेता है। सच का सामना करने के उद्देश्य से यह कहानी रची गयी है। आज भी बहुत सी स्त्रियां इस विश्वास पर भरोसा करती हैं कि संतान साधना से प्राप्त की जा सकती है और जब साधना से प्राप्त नहीं होती तो अपने विश्वास की विजय पताका फहराने के लिए विभिन्न सरोकारों का सहारा लेकर उस विश्वास की जड़ों को मजबूत करने में अपनी ऊर्जा लगा देती हैं।
उम्मीद है जो पढ़ेंगे वे इस मंतव्य को अवश्य समझेंगे।
मेरी बचपन से ही हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य में रूचि रही है, रामचरित मानस की चौपाई सस्वर गाने से लेकर गीता एवं पंचतंत्र के श्लोकों का पाठ करते-करते ये बालमन ओर ज्यादा साहित्य को प
मेरी बचपन से ही हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य में रूचि रही है, रामचरित मानस की चौपाई सस्वर गाने से लेकर गीता एवं पंचतंत्र के श्लोकों का पाठ करते-करते ये बालमन ओर ज्यादा साहित्य को पढ़ने लगा। मीरा के पद्य से लेकर गिरधर की कुण्डलियों को जब पढ़ा तब कविताओं को पढ़नें में ओर अधिक आनंद आने लगा। मेंने कभी छंद एवं अलंकार पर ध्यान नहीं दिया, बस शब्दों में छुपे भावों को ही आत्मसात् किया।
कुमार विश्वास जी के गीतों से लेकर नई हिंदी की कविताओं को भी सुना एवं पाया की आदिकाल की कविताओं में जहाँ छंद प्रधानता होती थी वहीं आज की नई वाली हिंदी कविताओं में भाव की प्रधानता है शायद इसी कारणवश मेंने भाव प्रधानता को ही स्वीकारा।
ठीक छंदों की ही भाँति मेंने कभी किसी एक रस को नहीं चुना। जब कभी मन में जो भाव आये चाहे वो किसी भी रस के हो लिख दिये। मैं न तो कोई महान कवि हूँ एवं कोई सिद्धहस्त लेखक भी नहीं। मैं तो केवल एक प्यासा पथिक हूँ जो लिखकर अपनी प्यास बुझाना चाहता है। कविता लिखी और देखा नभ में चाँद अधूरा है तो कह दिया "चाँद अधूरा, कविता अधूरी।"
कभी वियोग की पीड़ा से कष्ट हुआ तो लिख दिया
"इक ख़्याल भर की छुअन से रूह सिहर जाती है।"
प्रिय पाठकों,
नमस्कार जी, आशा करती हूँ आप सभी सकुशल होगे। मुझे अत्यंत ख़ुशी है कि हमारी पुस्तक "काव्य रंग" अब प्रकाशित होने जा रही है। पुस्तक के प्रकाशन में थोड़ी मुश्किलें जरू
प्रिय पाठकों,
नमस्कार जी, आशा करती हूँ आप सभी सकुशल होगे। मुझे अत्यंत ख़ुशी है कि हमारी पुस्तक "काव्य रंग" अब प्रकाशित होने जा रही है। पुस्तक के प्रकाशन में थोड़ी मुश्किलें जरूर आई है लेकिन इन सबके बावजूद भी अब हमारी पुस्तक प्रकाशित होने जा रही है। और इसके लिए मैं हमारे सभी रचनाकार साथियों के साथ-साथ भव्या एंटरटेनमेंट, साहित्य मंच और साहित्य गुलशन परिवार की संस्थापिका सुश्री अनुश्री दुबे जी का हार्दिक आभार प्रकट करती हूं। जिन के सहयोग के बिना एक पुस्तक का प्रकाशन संभव नहीं था।
हमारे इस पुस्तक के प्रकाशित होने का मुख्य उद्देश्य हिंदी साहित्य को बढ़ावा देना है। और इसके लिए हम निरंतर प्रयास करते रहेंगे। इसी उपलक्ष्य में हमने 27 मार्च 2022 को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित की थी जिसका नाम था "होली के रंग कवियों के संग" इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर आए हुए प्रतिभागियों को क्रमश: 501, 301 और 201 रुपये पुरस्कार राशि के रूप में दिए गए। इसके अतिरिक्त दो और विजेता प्रतिभागियों को ₹100 पुरस्कार राशि के रूप में दिए गए। और साथ ही साथ सभी प्रतिभागियों को हमारी यह पुस्तक और सम्मान पत्र भेंट स्वरूप दिया जाएगा।
कुरआन ( करीम ) है एक पवित्र पुस्तक है जो कि अल्लाह ( ईश्वर ) का संदेश मानवता की भलाई के लिए अवतरित हुई है । यह वही क़ुरआन ( Quran ) है जब संसार की अथवा मानव की उत्पत्ति हुई थी लेकिन समयानु
कुरआन ( करीम ) है एक पवित्र पुस्तक है जो कि अल्लाह ( ईश्वर ) का संदेश मानवता की भलाई के लिए अवतरित हुई है । यह वही क़ुरआन ( Quran ) है जब संसार की अथवा मानव की उत्पत्ति हुई थी लेकिन समयानुसार प्रत्येक नबी पर अवतरित होती रही । नबी ने बड़ी ईमानदारी से अल्लाह के आदेशानुसार अल्लाह के संदेश को मानव तक पहुंचाते रहे लेकिन मानव अपने स्वार्थ के अनुसार पवित्र पुस्तक में कांट छांट करते रहे परिणामस्वरूप इंसान को असली ( अल्लाह के संदेश ) नहीं मिल पाते तत्पश्चात अल्लाह भी अपने संदेश आने वाले नबियों को फरिश्ता ( जिबराइल ) के द्वारा बताते रहे इसके बावजूद भी अल्लाह की किताब ( तौरेत , जबूर , इंजील और अन्य सहीफे ) में परिवर्तन जारी रहा । तत्पश्चात आखरी नबी मोहम्मद स० पर अंतिम पुस्तक कुरान शरीफ ( जो कि प्रतय तक विद्यमान रहने वाली ) को मानव की भलाई के लिए भेजना ( अवतरित करना ) पड़ा । यही एक मात्र पुस्तक शेष है जो अभी तक ( अर्थात 1429 साल बाद ) कोई भी कांट छांट करने का साहस न कर सका क्योंकि इस पवित्र पुस्तक की जिम्मेदारी खुद अल्लाह तआला ( ईश्वर ) ने ली है । कुरान ( करीम ) को परिचित कराने के लिए पुस्तकें हिन्दी में बहुत कम व अच्छी नहीं मिलेंगी इसलिए अल्लाह ताअला के फजलो करम से पुस्तक को लिखने का बीड़ा उठाया ।
प्रस्तुत पुस्तक "दिलों की रिपेयर" के लेखक "ओमबीर काजल" हरियाणा राज्य में जिला कुरुक्षेत्र के एक छोटे से गांव छारपुरा के निवासी हैं।इनके पिता जी का नाम श्री बलदेव सिंह व माता जी का
प्रस्तुत पुस्तक "दिलों की रिपेयर" के लेखक "ओमबीर काजल" हरियाणा राज्य में जिला कुरुक्षेत्र के एक छोटे से गांव छारपुरा के निवासी हैं।इनके पिता जी का नाम श्री बलदेव सिंह व माता जी का नाम श्रीमती सरोज बाला है। ओमबीर काजल जी की बचपन से ही संगीत में रुचि थी, जिसके फलस्वरूप इन्होंने अपनी क्षेत्रीय भाषा में गीत लेखन का कार्य शुरू किया। हरियाणा के वर्तमान ओएसडी व सुप्रसिद्ध गायक गजेंद्र फोगाट जी और हरियाणवी लेखक प्रविंदर राणा जी इनके प्रारंभिक प्रेरणा स्त्रोत रहे; इन्हीं को ये अपना गुरु भी मानते हैं।
बढ़ती उम्र में जिम्मेदारियों व गृहस्थ जीवन में आने के बाद ये कई सालों तक लेखन से दूर रहे। लेकिन माता सरस्वती जी की अनुकंपा और आशीर्वाद से इनके दोस्त प्रदीप गागट और अमित मथाना जी ने इन्हें पुनः लिखने के लिए प्रेरित किया और इन्हें शायरी के क्षेत्र में हाथ आजमाने के लिए कहा और इन्हीं दोस्तों की हौंसला आफजाई और साथ के बल पर इन्होंने दोबारा लेखन में अपना वक्त बिताना शुरू किया। जिसमें इनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता देवी, समस्त ग्राम वासियों और इनकी कार्य स्थली पीएचसी कृष्णा नगर गामड़ी के सभी स्टाफ सदस्य,प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी साथियों ने इनका सहयोग किया और इन्हें लगातार लिखने के लिए प्रेरित करते रहे।फिर दिल्ली में "सफर स्याही का" टीम के साथ जुड़कर इनकी लेखनी को नया आयाम मिला। इन्होंने श्रृंगार,सौंदर्य,वीर,विरह इत्यादि हर रस में अपनी रचनाएं लिखी जो इस पुस्तक के रूप में आपके सामने हैं।
यह अपने लेखन कार्य में किस हद तक सफल रहे हैं इसका निर्णय करना अब आपके हाथ में है।
मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के ह्रदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा क्षेत्र का भूभाग अत्यंत विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा नदी,उत्तर पश्चिम म
मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के ह्रदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा क्षेत्र का भूभाग अत्यंत विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा नदी,उत्तर पश्चिम में चंबल और दक्षिण में मां रेवा अर्थात नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। मालवा लगभग 48000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, तथा इसके अंतर्गत शाजापुर, आगर(मालवा), राजगढ़, सीहोर,धार,झाबुआ,रतलाम,देवास,इंदौर,उज्जैन,मंदसौर,नीमच,विदिशा जिले आते हैं। इसके साथ ही राजस्थान के कुछ क्षेत्र निंबाहेड़ा,झालावाड़ व चित्तौड़गढ़ आदि में भी मेवाड़ी व अन्य बोलियों के प्रभाव के साथ मालवी बोली जाती है। "मालव माटी गहन गंभीर,डग-डग रोटी पग-पग नीर"जैसी उक्ति मालवा के लिए प्रसिद्ध है।
प्रधान संपादक "अक्षर वार्ता" एवं कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रोफेसर डॉ.शैलेंद्र कुमार शर्मा की पुस्तक 'मालवी भाषा और साहित्य' के अनुसार- कथित आधुनिकता के दौर में हम अपनी बोली,भाषा,संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं।
गाँव या शहर जाएं किधर, ये प्रश्न विचारणीय है। सबसे पहले मैं एक महत्वपूर्ण बात इस पुस्तक के बारे में बताना चाहता हूं वो ये कि इस पुस्तक की नींव मेरी पहली पुस्तक तन्हा तन्हा चाँद प्
गाँव या शहर जाएं किधर, ये प्रश्न विचारणीय है। सबसे पहले मैं एक महत्वपूर्ण बात इस पुस्तक के बारे में बताना चाहता हूं वो ये कि इस पुस्तक की नींव मेरी पहली पुस्तक तन्हा तन्हा चाँद प्रकाशित होने के साथ ही पड़ गई थी। हुआ यूं कि जब मेरी पुस्तक तन्हा तन्हा चाँद प्रकाशित हो कर मेरे हाथों में आई और मेरे चाचा श्री राजन सिंह ने देखा तो उन्होंने उसे बहुत सराहा और एक सलाह अपनी इच्छा व्यक्त किया कि मैं एक और पुस्तक करुं जो गाँव और शहर की विशेषताओं को वर्णित करे। वो स्वयं भी लिखने में रुचि रखते हैं और मुझे याद है कि मैंने शुरुआती दिनों में उनसे बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने ही इस पुस्तक का शीर्षक भी दिया, गाँव या शहर जाएं किधर, आज मुझे खुशी है कि मैंने उनके कहे का मान रखा।
गाँव या शहर जाएं किधर, जैसा कि मैं ये बार बार कहता हूं, ये एक विचारणीय प्रश्न है और इसका उत्तर हमेशा एक ही आता है कि भले हम मजबूरी में या फिर शौक से शहरों में रह रहे हों परन्तु हमारा मन आज भी गाँव की तरफ ही भागता है, खींचता है। हमारा शरीर भले ही शहर में रह रहा हो पर हमारी आत्मा गाँव में ही बसती है। बचपन से ही ये सुना है। पढ़ा है कि भारत गाँवों का देश है और भारत गाँव में ही बसता है। आज शब्दशः इस बात को सत्य होते हुए भी देख लिया। क्योंकि इस पुस्तक में जो सह लेखक हैं। जो भारत के भिन्न भिन्न प्रान्तों से संबंध रखते हैं और जिनमें से कई शहरों में ही रहते आए हैं पर उनकी रचनाओं में गाँव को ही विशेष व महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सच में गाँव में जो अपनापन है वो शायद ही शहरों में देखने को मिले।
दो दिन-तीन तीर्थ, जो मेरी इस पुस्तक, जिसे आप यात्रा वृत्तांत भी कह सकते हैं, का शीर्षक है, जिसमें आपको समावेश मिलेगा मेरे द्वारा दो दिन में की गई तीन तीर्थयात्राओं का विवरण
दो दिन-तीन तीर्थ, जो मेरी इस पुस्तक, जिसे आप यात्रा वृत्तांत भी कह सकते हैं, का शीर्षक है, जिसमें आपको समावेश मिलेगा मेरे द्वारा दो दिन में की गई तीन तीर्थयात्राओं का विवरण। जी हाँ, संगम नगरी प्रयागराज, माँ विंध्यवासिनी जी और बाबा विश्वनाथ जी के बनारस की यात्राओं का विवरण।
इस यात्रा वृत्तांत की पृष्ठभूमि में, मैं आपको बताना चाहूँगा कि, विगत 23 अप्रैल 2022 को प्रयागराज में मेरे स्वर्गीय चाचा श्री निर्मल कुमार चतुर्वेदी जी, एडवोकेट, जोकि, मेरे पिताजी के प्रिय ममेरे/फुफेरे भाई थे, द्वारा लिखी गई एक पुस्तक, जो एक काव्य संकलन के रूप में "अंधेरे से रोशनी तक" के नाम से उनके स्वर्गवास के उपरांत प्रकाशित हुई और दूसरी पुस्तक जो उनकी निजी डायरी के कुछ हिस्सों के रूप में प्रकाशित हुई, जिसका सम्पादन उनके परम मित्र श्री मेवाराम जी द्वारा किया गया, के विमोचन का अवसर था।
आगे के पृष्ठों में आप पढ़ेंगे कि, हमने इस दो दिन की यात्रा में किन-किन पड़ावों को छुआ, किन-किन परिस्थितियों का सामना किया और जहाँ-जहाँ हम गए, वहाँ-वहाँ हमने क्या-क्या देखा व पाया ? यही इस पुस्तक की भूमिका है।
आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि, आप इस पुस्तक को मात्र एक यात्रा वृत्तांत ही नहीं, बल्कि एक धर्म यात्रा, इतिहास यात्रा और जीवन यात्रा के रूप में भी आत्मसात करेंगे और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं से अवगत भी करायेंगे।
ख़्वाहिश, मन में उठी हुई गहन इच्छा जिसे दिल दिमाग़ पूरी करना चाहता है और लगातार प्रयास करता रहता। दिल में उसे पूरी करने की चाहत होती है। फिर वो ख़्वाहिश कुछ भी हो सकती है। कोई सपना
ख़्वाहिश, मन में उठी हुई गहन इच्छा जिसे दिल दिमाग़ पूरी करना चाहता है और लगातार प्रयास करता रहता। दिल में उसे पूरी करने की चाहत होती है। फिर वो ख़्वाहिश कुछ भी हो सकती है। कोई सपना पूरा करना हो या किसी को पाने की ख़्वाहिश हो। इश्क़ हो या सपना ख़्वाहिशें तो सबके दिल में होती हैं। इस पुस्तक में इश्क़ से जुड़ी ऐसी कई कविताओं रचनाओं का संग्रह हैं। जो कहीं न कहीं हर किसी व्यक्ति की इश्क़ की इश्क़ की ख़्वाहिशों को बयां करती हैं। इश्क़ के कई रंग हैं। हर किसी की ज़िंदगी में उसका एक अलग ही अर्थ है इश्क़, चाहत , मोहब्बत, प्यार जिस नाम से पुकारों प्रेम हर रूप में मिलता है। जहां प्रेम होता है। वहां समर्पण भी होता हैं। ख़्वाहिशें भी उसी शख्स से करता है। जिससे चाहत होती है और ज़िंदगी जीने के लिए ख़्वाहिशें होना तो लाज़मी है। जिन ख़्वाहिशों में रंग इश्क़ का चढ़ जाता है। वो ख़्वाहिशें किसी के जीने की वजह बन जाती है। दूर होकर भी दिल उससे ताउम्र जुड़ जाता हैं। दिल के किसी कोने में उस इश्क़ व उससे जुड़ी ख़्वाहिशें हमेशा जिंदा रहती है। बस एक हलकी सी याद उसे फिर से ताज़ा कर देती है। ऐसे ही इश्क़ के कुछ अल्फाज़ो जिनमे झलकती हैं ख्वाहिशें इश्क़ की, इस पुस्तक में उतारा गया है। जो किसी न किसी के इश्क़ की ख़्वाहिशों की कहानी है ।
यह पुस्तक मैंने अपने विचारों और जिंदगी में समय-समय पर आई मुश्किलों जिनका प्रभाव कही न कही मेरी जिंदगी में विशेष रूप से पड़ा है इससे प्रभावित होकर लिखी है ।
तब मुझे ये अहसास हुआ
यह पुस्तक मैंने अपने विचारों और जिंदगी में समय-समय पर आई मुश्किलों जिनका प्रभाव कही न कही मेरी जिंदगी में विशेष रूप से पड़ा है इससे प्रभावित होकर लिखी है ।
तब मुझे ये अहसास हुआ की चाहे कितने भी अपने क्यों न हो पर जीवन के हर कदम पर साथ चलने वाला हमसफऱ भी उतना ही मायने रखता हैं जो प्रेम व जीवनसाथी के रूप में होता हैं फिर चाहे बात स्त्री की हो या पुरुष की साथ दोनो को चाहिए होता है स्वयं ईश्वर भी इस बात के साक्षात प्रमाण हैं भगवान शिव व शक्ति , राम-सीता,राधा-कृष्ण जीवनसाथी जीवन जीने के लिए और सही राह दिखाने के लिए भी होते हैं जो दूर रहकर भी सदा साथ होते हैं और साथ ही एक दूसरे को समय-समय पर प्रेरित भी करते हैं ,
जीवन की सभी बधाओं से लड़ने के लिए उनका सामना करने के लिए , कुछ इसी तरह की सोच व समझ की तलाश में मैने अपनी ज़िंदगी में भी एक ऐसे ही इश्क़ हमसफऱ को तलाशना चाहा हैं जिनका व्यख्यान अपनी रचनाओं में करना चाहा है ।
जिंदगी में हर इंसान के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और इंसान उससे लड़ता भी हैं और उसका सामना भी करता हैं पर फिर भी कही न कही एक उम्मीद, एक सहारे की जरूरत हर इंसान को होती है लाख उनझनों के बीच एक इंसान का साथ होना हर मुश्किल को आधा कर देता है इसलिए जिंदगी के हज़ारो दर्द में भी एक बूँद इश्क़ का होना अमृत के समान होता है जो जीने को प्रेरित करता है जीने की वजह बनता है ऐसी ही कुछ कविताओं और जिंदगी से जुड़ी कुछ हकीकत जिसे मैने जीया है अपनी जिंदगी में उनका रचनात्मक रूप से संकलन है मेरी इस बुक में जिससे प्रेरित होकर ही मैने इस पुस्तक का शीर्षक
एक बूँद इश्क़ ,(जिंदगी की उलझनों के बीच सूकून का अहसास दिया )है ।
चुनाव या निर्वाचन, लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका के विभिन्न पदो
चुनाव या निर्वाचन, लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तियों का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है।
भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया के अलग-अलग स्तर हैं लेकिन मुख्य तौर पर संविधान में पूरे देश के लिए एक लोकसभा तथा पृथक-पृथक राज्यों के लिए अलग विधानसभा का प्रावधान है।
प्रस्तुत पुस्तक के लिए विभिन्न रिपोर्टों, विभिन्न वेबसाइट और लेखों का सहारा लिया गया है l उम्मीद है पाठकों को यह पुस्तक बेहद पसंद आएगी l साथ ही यदि कही सुधार की आवश्यकता हो तो पाठक अवश्य अपने क़ीमती सुझावों से हमें नवाज़ेगें l
ज्योतिष शास्त्र एक प्राचीनतम महान विद्या है। विद्वान ज्योतिषी कुंडली के माध्यम से बताए गए योग द्वारा मनुष्य के भविष्य के समय की स्थिति,मूल-प्रकृति,स्वभाव, मित्र,शिक्षा,संपत्त
ज्योतिष शास्त्र एक प्राचीनतम महान विद्या है। विद्वान ज्योतिषी कुंडली के माध्यम से बताए गए योग द्वारा मनुष्य के भविष्य के समय की स्थिति,मूल-प्रकृति,स्वभाव, मित्र,शिक्षा,संपत्ति,विवाह,जन्म-मरण तथा ग्रहों की शांति के उपाय अपने ज्योतिषीय ज्ञान के आधार पर ही प्रस्तुत करते हैं।
ज्योतिषविद्या का व्यवसायीकरण करके लोगों को ठगने और धन कमाने वाले और निस्वार्थ भाव से सेवा करके लोगों के कष्ट दूर करनेवाले दोनों प्रकार के ज्योतिषियों की तुलना करके उपन्यास के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कुछ तथाकथित धन लोलुप ज्योतिषियों की वजह से इस प्राचीनतम सच के धरातल पर लिखे गए ज्योतिष शास्त्र से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है।कुछ लोग ज्योतिष का आधा अधूरा ज्ञान प्राप्त करके,यथाशीघ्र अपनी ज्योतिष की दुकान खोलने अर्थात ज्ञान वितरण केंद्र का उद्घाटन करने को उतावले रहते हैं।और थोड़ा इस किताब से,थोड़ा उस किताब से काम चलाऊ ज्ञान प्राप्त करके पैसे ऐंठना प्रारंभ कर देते हैं, तो उस अर्ध ज्ञानी बल्कि अर्थ ज्ञानी की कामचलाऊ ज्योतिष विद्या पर सवाल उठना चाहिये ना कि ज्योतिष शास्त्र की सच्चाई पर।
मेरा सभी पाठकों से विनम्र निवेदन है कि- ज्योतिष शास्त्र की सच्चाई पर शंका-कुशंका करके इस प्राचीनतम सत्य के धरातल पर परखी हुई भव्य एवं दिव्य ज्योतिष विद्या पर सवाल खड़े न करें।
हमारे जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है। इनसे हमें ज्ञान प्राप्त होता है। पुस्तकें जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनसे हमें ज्ञान प्राप्त होता है। हर क्षे
हमारे जीवन में पुस्तकों का बहुत महत्व है। इनसे हमें ज्ञान प्राप्त होता है। पुस्तकें जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनसे हमें ज्ञान प्राप्त होता है। हर क्षेत्र की विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं। पुस्तकें एक अच्छे मित्र की भूमिका निभा सकती हैं। नए विचार , नए तथ्य , नए शब्द , समस्याओं के समाधान पुस्तकों के माध्यम से हासिल किए जा सकते हैं। पुस्तके हमारे जीवन में एक कुशल पथ प्रदर्शक की भूमिका निभा सकती हैं। हमारे सामाजिक , मानसिक और आर्थिक स्तर को बेहतर बना सकती हैं। निराशा में आशा देती है, साहस देती हैं , प्रेरित करती हैं !
इस पुस्तक में लेखक ने मनोभावों को व्यक्त किया है। जिनसे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। और कुछ गजलें हैं जो हृदय को छूती हुई उम्दा एहसास कराती है।
संसार की अधिकतर जनसंख्या आज भी धर्म में आस्था रखने वालों की है । धर्म मनुष्य की अमूल्य धरोहर है । लगभग संसार के प्रत्येक देश में अनेक धर्म है । उस देश का प्राचीन इतिहास उसी धर्म की
संसार की अधिकतर जनसंख्या आज भी धर्म में आस्था रखने वालों की है । धर्म मनुष्य की अमूल्य धरोहर है । लगभग संसार के प्रत्येक देश में अनेक धर्म है । उस देश का प्राचीन इतिहास उसी धर्म की पवित्र पुस्तकों में आज भी विद्यमान है । प्राचीन इतिहास को जानने का एक मात्र श्रोत्र धर्म पुस्तकें ही हैं , लेकिन आज अत्याधुनिक युग ( वैज्ञानिक युग ) में नई पीढ़ी धर्म से विमुख होती जा रही है । इसका सबसे बड़ा कारण धर्म के बारे में सही जानकारी न होना व पवित्र पुस्तकों को न पढ़ना है । आज के युग में प्रत्येक धर्म में सम्प्रदायों की पहचान बनाना व धर्म में नयी बातें ( मनगढ़ंत ) होने से है । धर्म के सम्प्रदायों के बारे में जानकारी मिलना लगभग असम्भव है क्योंकि इससे संबंधित पुस्तकों का अभाव है , और कोई सही जानकारी भी नहीं देता ।
इस किताब में पल-पल बदलते रिश्तो को उजागर किया गया है। इसमें केवल मन बहलाने के लिए लिखी गई पंक्तियां नहीं है बल्कि आसपास के अवलोकन एवं पूर्णतः भावनात्मक रूप से की गई रचनाएं हैं
इस किताब में पल-पल बदलते रिश्तो को उजागर किया गया है। इसमें केवल मन बहलाने के लिए लिखी गई पंक्तियां नहीं है बल्कि आसपास के अवलोकन एवं पूर्णतः भावनात्मक रूप से की गई रचनाएं हैं
मैने अपने हिसाब से स्त्री की स्थिति एवं पुरुषों की भावनाओं को भी लिखने का प्रयत्न किया है।
माता-पिता, बेटा-बेटी, प्रेमी-प्रेमिका एवं दोस्त सभी के रिश्तो के बारे में मैंने अपनी अनुभूति एवं भावनाएं व्यक्त की है।
इसके अलावा जो मैं अपने आसपास दिखती आ रही हूं उन स्थतियों का भी जिक्र मेरे द्वारा इस किताब में किया गया है।
मैंने अपनी कुछ भावना 'जो मैं शायद ही कभी किसी के सामने व्यक्त कर पाती' एवं कुछ सामाजिक स्थितियों को भी लिखने का प्रयत्न किया है।
अवहित्था मुसाफ़िर एक अर्धमुर्छित शायर और कवि होने परिचायक है।
साहित्यिक दृष्टि में अवहित्था का अर्थ "भावों को छिपाने वाला" अर्थात् अपने मन के दुःख, दर्द, विकट विकार आदि भावों
अवहित्था मुसाफ़िर एक अर्धमुर्छित शायर और कवि होने परिचायक है।
साहित्यिक दृष्टि में अवहित्था का अर्थ "भावों को छिपाने वाला" अर्थात् अपने मन के दुःख, दर्द, विकट विकार आदि भावों को छुपाने वाला अवहित्था होता है। और मुसाफ़िर का अर्थ राहगीर या पथिक से है।
साहित्य की इस विधा( कविता) में प्रवेश से पूर्व अपने जीवन में अनेक उतार चढ़ाव देखे,
अनेक अप्राकृतिक और अमानवीय घटनाएं होते देखा जिन्होंने हमें अंदर तक झकझोर-सा दिया और इन सब के बीच हम एक किशोरी भी बन चुके थे जिसमें प्रेम का संवेग उत्पन्न होना जीवनावस्था की सामान्य घटना मात्र है जो हमने महसूस की थी।
किसी भी कार्य को करने के लिए मनुष्य में जिज्ञासा का होना आवश्यक है । पढ़ने लिखने से ही मनुष्य के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है जिज्ञासा दुनियां को समझने की इच्छा है। मनुष्य द
किसी भी कार्य को करने के लिए मनुष्य में जिज्ञासा का होना आवश्यक है । पढ़ने लिखने से ही मनुष्य के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है जिज्ञासा दुनियां को समझने की इच्छा है। मनुष्य दुनियां को समझकर ,जानकर नये अनुभव प्राप्त कर सकता है।
पहाड़ों, नदियां पेड़ पौधे दुनियां की हर एक प्राकृतिक ,कृत्रिम रचनाओं निर्माण को देखकर मेरे अंदर जिज्ञासा उत्पन्न होती होती
उसी जिज्ञासा से मैं,नये अनुभवों की और अग्रसर रहतीं हूं।
मेरा मानना है, कि निज लक्ष्य को प्राप्त करने करने लिए मनुष्य के अन्दर अनुभव और जिज्ञासा का होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए मैंने अपनी किताब का नाम अनुभव और जिज्ञासा रखा।
मेरी पुस्तक का नाम मेरे दिल के सवाल पर है। मेरा इस पुस्तक को प्रकाशित करवाने का मकसद यह है।कि हम ग्रामीण महिलाओं तथा किशोरियों पर हो रहे अत्याचारों से हर कोई रुबरु हो पाएं । और इस
मेरी पुस्तक का नाम मेरे दिल के सवाल पर है। मेरा इस पुस्तक को प्रकाशित करवाने का मकसद यह है।कि हम ग्रामीण महिलाओं तथा किशोरियों पर हो रहे अत्याचारों से हर कोई रुबरु हो पाएं । और इस निच्च सोच वाले समाज को जागरूक करने में मेरी सहायता करें |
"आ बैल मुझे मार" आपके सामने प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत हर्ष हो रहा है। हास्य व्यंग्य को समर्पित यह संकलन निश्चित रूप से अदभुत संकलन है। इसमें देश विदेश में ख्याति प्राप्त साहित्
"आ बैल मुझे मार" आपके सामने प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत हर्ष हो रहा है। हास्य व्यंग्य को समर्पित यह संकलन निश्चित रूप से अदभुत संकलन है। इसमें देश विदेश में ख्याति प्राप्त साहित्यकारों की रचनाओं के साथ होनहार युवा लेखकों को प्रकाशन का अवसर दिया गया है जो संकलन की खास बात है। इसमें हमें विश्व विख्यात हास्य व्यंग्यकार श्री अरुण जैमिनी सर, पवन आगरी सर, पंडित अशोक नागर सर, डॉ. नरेंद्र मिश्र धड़कन सर, हमारे मार्गदर्शक रमेश पंडित सर, आचार्य डॉ. वीरेंद्र प्रताप सिंह भ्रमर सर, टिल्लन वर्मा सर, डॉ. अनिल उपाध्याय सर, गुरू सक्सेना नरसिंहपुर सर आदि की रचनाएं मिली हैं वहीं कई रचनाकारों को पहली बार प्रकाशित होने का अवसर भी दिया गया है। सभी रचनाकारों के हम कृतज्ञ हैं जिन्होंने इस साहित्यिक यज्ञ में अपनी रचना उपलब्ध कराकर संकलन को सफल बनाने में हमारी मदद की है।
हास्य व्यंग्य के क्षेत्र में विशेष पहचान बना चुके पवन आगरी जी का साक्षात्कार भी इस संकलन का मुख्य आकर्षण है। हमारे विशेष अनुरोध पर यह साक्षात्कार संभव हुआ है।
प्रसिद्ध हास्य कवि श्री अनिल सोलंकी "बेधड़क" जी ने इस संकलन को समृद्ध करने में हमारी विशेष मदद की है। उनका रचनात्मक सहयोग के लिए हम आभार व्यक्त करते हैं।
हर इंसान को कल्पना करनी चाहिए। क्योंकि इंसान अगर कल्पना करेगा तो ही उसे पूरा करने की कोशिश करेगा और एक दिन उसे पा भी सकता है। कल्पना जीवन की निशानी है, जीवित इंसान ही कल्पना कर सकत
हर इंसान को कल्पना करनी चाहिए। क्योंकि इंसान अगर कल्पना करेगा तो ही उसे पूरा करने की कोशिश करेगा और एक दिन उसे पा भी सकता है। कल्पना जीवन की निशानी है, जीवित इंसान ही कल्पना कर सकता है, कल्पना करके कुछ नया सृजन कर सकता है। और ये जरूरी नहीं कि हर कल्पना पूरी हो जाये, कुछ कल्पनाएं अधूरी भी रह जाती है मगर इंसान को कभी कभी टूटी हुई कल्पना के साथ भी जीना पड़ता है। बरसों पहले मैंने एक कल्पना की थी जो आज मेरी किताब कल्पना के रूप में आप लोगों के सामने है।आप यकीन मानिए मेरी किताब कल्पना पढ़कर आप लोगो को लगेगा कि कहीं ये मेरी कल्पना तो नहीं है।
बड़े हर्ष का विषय है कि ऐतिहासिक चरित्र राजस्थान के सर्वाधिक पूज्य लोकदेवताओं में से एक पूरे विश्व में माने जाने वाले श्री जाहरवीर जी के जीवन की यह पवित्र कथा एक धर्म शास्त्र के
बड़े हर्ष का विषय है कि ऐतिहासिक चरित्र राजस्थान के सर्वाधिक पूज्य लोकदेवताओं में से एक पूरे विश्व में माने जाने वाले श्री जाहरवीर जी के जीवन की यह पवित्र कथा एक धर्म शास्त्र के रूप में आपके सामने प्रस्तुत है। इस कथा के लिखने की शुरुआत एक बड़ी विचित्र और पवित्र घटना से शुरू हुई। बाबा गोगा जी ने वर्ष 2015 में भादों मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को दिन ठीक चार बजे सबसे अमृत मयी पवित्र भोर काल में मुझे जगाया। साक्षात दर्शन देकर मुझे काव्यमय कथा लिखने का आदेश देकर कहा_ " पुत्र, गोगायन की काव्य मय रचना करो और जब पूरी हो जाए तो इसे लेकर हमारे धाम गोगामेंडी आना।" इतना कहकर बाबा अन्तर्ध्यान हो गए। मैं तुरंत नहाकर लिखने बैठ गया। दोहों से शुरुआत हुई और पांच महीने में कथा पूरी हो गई। गोगा जी की प्रेरणा से हमारे पिताजी श्री प्रबल प्रताप सिंह सोलंकी जी ने कथा को चौपाई सहित प्रस्तुत करने की सलाह दी। इस कथा के लेखन से पूर्व हमने कभी चौपाई नहीं लिखी थी फिर भी बाबा की कृपा से पांच माह में चौपाइयां से कथा सुसज्जित हो गई। जो आपके सामने "गोगायन" के रूप में प्रस्तुत है। यह सब बाबा के साक्षात मार्गदर्शन से ही संभव हो सका।
गंगाजल_सी पावनी, कथा विमल अनमोल।
गोगा जी को बावरे, भक्ति भाव से तोल।।
All of us are dreamer but how many of us our dream chaser ?
This is the simmering tale of a dreamer named Sapna,
This is the world where everyone and everything get discriminate, have you ever wondered of discrimination between dreams?
It wasn't easy for her to dream but she does, despite of too many hurdles she fought the battle like an worrier,
'Dreams give you power '
How???
Have a glance a
All of us are dreamer but how many of us our dream chaser ?
This is the simmering tale of a dreamer named Sapna,
This is the world where everyone and everything get discriminate, have you ever wondered of discrimination between dreams?
It wasn't easy for her to dream but she does, despite of too many hurdles she fought the battle like an worrier,
'Dreams give you power '
How???
Have a glance at the life of Sapna and I'm sure you'll be inspired by her
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी हैं और पहली भी, जो भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में अग्रणी थी। भारत की आज़ादी तक कांग्रेस सब से बड़ी और प्रमुख भारतीय
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी हैं और पहली भी, जो भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में अग्रणी थी। भारत की आज़ादी तक कांग्रेस सब से बड़ी और प्रमुख भारतीय जन संस्था मानी जाती थी जिस का स्वतन्त्रता आन्दोलन पर केन्द्रीय और निर्णायक प्रभाव था।
किसी भी राजनीतिक पार्टी का इतिहास कुछ तिथियों और कुछ घटनाओं का संकलन मात्र नहीं होता बल्कि यह युग-निर्माणकारी घटनाओं का क्रमबद्ध वैज्ञानिक अभिलेख होता है। कांग्रेस पार्टी अपने आप में एक ऐसा विचार है जो समाज के सभी वर्गों, धर्मों, जातियों इत्यादि की मूल भावना को खुद में समाहित किए हुए है|
प्रस्तुत पुस्तक निष्पक्ष भाव से तथ्यों को उजागर करने हेतु लिखी गई है l इस पुस्तक को लिखने का मक़सद यही था कि तथ्यों के आधार पर इस बात को सिध्द किया जाए कि कांग्रेस देश की ज़रूरत है l कांग्रेस को भुला कर भारत का इतिहास कभी पूरा नहीं हो सकता l उम्मीद है कि पाठकों को यह पुस्तक ज़रूर पसंद आएगी l यदि प्रस्तुत पुस्तक में पाठकों को कोई गलती नज़र आए तो अवश्य प्रकाशक को सूचित करे l पाठकों के अनमोल सुझावों का स्वागत है l
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