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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palबड़े हर्ष का विषय है कि ऐतिहासिक चरित्र राजस्थान के सर्वाधिक पूज्य लोकदेवताओं में से एक पूरे विश्व में माने जाने वाले श्री जाहरवीर जी के जीवन की यह पवित्र कथा एक धर्म शास्त्र के रूप में आपके सामने प्रस्तुत है। इस कथा के लिखने की शुरुआत एक बड़ी विचित्र और पवित्र घटना से शुरू हुई। बाबा गोगा जी ने वर्ष 2015 में भादों मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को दिन ठीक चार बजे सबसे अमृत मयी पवित्र भोर काल में मुझे जगाया। साक्षात दर्शन देकर मुझे काव्यमय कथा लिखने का आदेश देकर कहा_ " पुत्र, गोगायन की काव्य मय रचना करो और जब पूरी हो जाए तो इसे लेकर हमारे धाम गोगामेंडी आना।" इतना कहकर बाबा अन्तर्ध्यान हो गए। मैं तुरंत नहाकर लिखने बैठ गया। दोहों से शुरुआत हुई और पांच महीने में कथा पूरी हो गई। गोगा जी की प्रेरणा से हमारे पिताजी श्री प्रबल प्रताप सिंह सोलंकी जी ने कथा को चौपाई सहित प्रस्तुत करने की सलाह दी। इस कथा के लेखन से पूर्व हमने कभी चौपाई नहीं लिखी थी फिर भी बाबा की कृपा से पांच माह में चौपाइयां से कथा सुसज्जित हो गई। जो आपके सामने "गोगायन" के रूप में प्रस्तुत है। यह सब बाबा के साक्षात मार्गदर्शन से ही संभव हो सका।
गंगाजल_सी पावनी, कथा विमल अनमोल।
गोगा जी को बावरे, भक्ति भाव से तोल।।
चन्द्रवीर सोलंकी “निर्भय“
चन्द्रवीर सोलंकी 'निर्भय'
पिता - श्री प्रबल प्रताप सिंह
शिक्षा - एम. ए. (हिंदी) बी. एड. स्नातकोत्तर डिप्लोमा इन जर्नलिस्म,
पत्रिका संचालन डिप्लोमा,
भाषा ज्ञान - हिंदी, अँग्रेजी, संस्कृत
प्रकाशित पुस्तकें
1. आओ तुम्हें सुनाएं गीत
2. सर्द रातों की दहक (ग़ज़ल)
अप्रकाशित पुस्तकें-
1. दिल तो परमाणु बम है..(गीत)
2. प्यार का पाप
3. श्री गोगायां देव कथा (दोहा-चौपाई)
4. गोरखनाथ के चमत्कार (अपूर्ण)
एवं 20 अन्य पुस्तकें
पुरस्कार-
1.राष्ट्रीय राजीव गांधी युवा कवि अवॉर्ड 1992 (बालकन जी बारी,दिल्ली द्वारा)
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