एक बदनाम शायर - अभिषेक मिश्रा
इस किताब में कवि ने खुद को एक बदनाम शायर बताया हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकी उनकों ये नाम उनके कुछ करीबी दोस्तों द्वारा उनकों बार-बार प्रेम विषय पर लिख़ने पर दिया हैं। उनके अनुसार उन पर ये नाम भाता भी हैं, और इस नाम से लेखक को भी कोई परेशानी नहीं हैं। वो कहतें हैं की वो लेख़क क्या हुआ जो बदनाम ना हुआ।
इतिहास में बड़े बड़े लेखक कवि बदनाम हुए और आज हम उनका नाम बड़े आदर के साथ लेते हैं।
वैसे बताना चाहते हैं, ये किताब अलग-अलग विषय पर लिखी कविताओं से सुसज्जित है। इसमें आप को प्रेम की डोर से बँधी रचनाएँ, बचपन को लुभाने वाली रचना, माँ-बाप के प्यार से सजी हुई कविताएं और कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों से जुडी हुयी रचनाएँ, आपको अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफ़ी हैं।
अगर आप चाहतें हैं की काश आप किसी भी माध्यम से अपने बचपन में लौट सके, बचपन की यादों को ताजा कर सके फिर तो जरूर आप को एक बार इस किताब को पढ़ना चाहिए।
अगर आप ने कभी भी किसी से मोहब्बत की हैं, या फिर आपको प्रेम पर लिखा लेख पसंद हैं तो आप को बिल्कुल ये किताब पढ़ना चाहिए
ये किताब और भी बहुत सारी सामाजिक विचारों से सुसज्जित हैं, जो इसका मुख्य आकर्षण का केंद्र है। जो की हर प्रकार के पाठक को अपने तरफ ध्यान खिंचता हैं। हम आशा करते है आप को ये किताब पसंद आयेगी।
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