प्रकृति के साथ मनुष्य का अनादि सम्बन्ध है। वह जब से संसार में आया है तभी से प्रकृति के साथ उसका सम्बन्ध स्थापित हो गया है। अत: प्रकृति के साथ प्रेम होना मनुष्य के लिए कोई अजीब बात नहीं है। प्रकृति प्रेम उसकी नस-नस में समाया हुआ है। साहित्य में भी मनुष्य के हृदय की भावनाएँ ही व्यक्त हुआ करती हैं। अत: सभी देशों और भाषाओं के साहित्य में प्रकृति वर्णन का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। और इसे वापस से विवेक कुमार पाण्डेय जी ने इसका रचना किया है.।