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Gunjte Sannate / गूँजते सन्नाटे

Author Name: Bhargav | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

दुनिया की क़ैद में ज़िंदगी शुरू होती है और अंत भी उसी क़ैद में हो जाता है। फिर भी हर किसी को महसूस होता रहता है या हर कोई मान लेता है कि वो आज़ाद हैं।

मगर हम उन लोगों में से हैं जिन्हें खुद नहीं पता कि वो आज़ाद हैं या क़ैद में,बस इतना मालूम है कि ज़िंदा हैं।

क्योंकि ये भी मुमकिन है कि जो खुद को आज़ाद समझता है,वो दरअसल हर पल किसी क़ैद में जी रहा हो।

और जो खुद को क़ैद में समझता है,शायद वही सबसे ज़्यादा आज़ाद हो।

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भार्गव

भार्गव, अहमदाबाद (गुजरात) निवासी एक संवेदनशील और नवोदित शायर हैं, जो ग़ज़ल, नज़्म और शेर के माध्यम से अपनी लेखनी को बयां करते हैं। 

लेखन भार्गव के लिए केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति का वह सशक्त माध्यम है, जिसके ज़रिए वह हर शेर में एक नया सफर तय करते हैं। एक ऐसा सफर जो पाठकों के दिलों तक पहुँचने की ईमानदार कोशिश करता है।

यह पुस्तक उनकी लेखकीय यात्रा की पहली कड़ी है,जहाँ पारंपरिक शायरी की मिठास और आधुनिक सोच की सादगी का एक ख़ूबसूरत संगम झलकता है।

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