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Gyan Jyoti (Part - 12) / ज्ञान ज्योती (भाग - 12)

Author Name: Man Singh Negi | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
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मान सिंह नेगी

मान सिँह नेगी, उम्र 52 वर्ष,स्नातक बी ए हिंदी आनर्स, उत्तम नगर नई दिल्ली-110059, उतराखंड का निवासी. दिल्ली मे हीं जन्म, पढ़ाई लिखाई, विवाह हरिद्वार उतराखंड से. लिखने के शोक के कारण डाक्टर मान सिँह नेगी लिखता हू. पत्नी का नाम पुष्पा नेगी दो बच्चे बड़ा बेटा सौरभ नेगी, प्रबंधक छोटे बेटे गौरव नेगी ने बी.काम किया है स्वर्गीय पिताजी नन्दन सिँह माता जी लक्ष्मी देवी
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