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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमान सिँह नेगी, उम्र 52 वर्ष,स्नातक बी ए हिंदी आनर्स, उत्तम नगर नई दिल्ली-110059, उतराखंड का निवासी. दिल्ली मे हीं जन्म, पढ़ाई लिखाई, विवाह हरिद्वार उतराखंड से. लिखने के शोक के कारण डाक्टर मान सिँह नेगी लिखता हू. पत्नी का नाम पुष्पा नेगRead More...
मान सिँह नेगी, उम्र 52 वर्ष,स्नातक बी ए हिंदी आनर्स, उत्तम नगर नई दिल्ली-110059, उतराखंड का निवासी. दिल्ली मे हीं जन्म, पढ़ाई लिखाई, विवाह हरिद्वार उतराखंड से. लिखने के शोक के कारण डाक्टर मान सिँह नेगी लिखता हू. पत्नी का नाम पुष्पा नेगी दो बच्चे बड़ा बेटा सौरभ नेगी, प्रबंधक छोटे बेटे गौरव नेगी ने बी.काम किया है स्वर्गीय पिताजी नन्दन सिँह माता जी लक्ष्मी देवी
Read Less...Achievements
मोदी जी मोदी जी क्या है, जैसा की पुस्तक के नाम से आप समझ पा रहे होंगे।
हमारे देश के 15वे प्रधानमंत्री जो वर्ष 2014, में चुनाव जीतकर सत्ता में आए थे।
उनका पूरा नाम श्रीमान नरेंद
मोदी जी मोदी जी क्या है, जैसा की पुस्तक के नाम से आप समझ पा रहे होंगे।
हमारे देश के 15वे प्रधानमंत्री जो वर्ष 2014, में चुनाव जीतकर सत्ता में आए थे।
उनका पूरा नाम श्रीमान नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी है।
मोदी जी हमारे अनुभव के अनुसार देश के अब तक के सबसे बेहतरीन प्रधानमंत्री हैं।
जिन्होंने विदेशों में भी अपने कार्यों के लिए ख्याति प्राप्त की है।
कुछ राष्टीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और परियोजनाओं को देश हित में प्रभावित ढंग से पूर्ण किया है।
कुछ मुद्दे और योजनाएं पूरा होने में थोड़ा समय अभी और लगेगा। ऐसा देश के हर नागरिक को संपूर्ण विश्वास है।
आइए जानते हैं वे मुद्दे क्या है।
जो देश के अत्यधिक नागरिक यह कहते नहीं थकते मोदी जी ने किया क्या है।
लेखक मान सिंह नेगी
गोली से भी तेज चलती है कलम
हमारे जीवन में कई बार निराशा भर जाती है। तो कभी दुआएं हमें प्रोत्साहित करती हैं, आगे बढ़ने के लिए।
कभी हम हिदायत देते हैं शराब पीना बुरी आदत है, इसे छोड़ दीजिए।
कभी कोई व्यक्
हमारे जीवन में कई बार निराशा भर जाती है। तो कभी दुआएं हमें प्रोत्साहित करती हैं, आगे बढ़ने के लिए।
कभी हम हिदायत देते हैं शराब पीना बुरी आदत है, इसे छोड़ दीजिए।
कभी कोई व्यक्ति हमें अपनी बातों से अत्यधिक प्रभावित कर देता है।
जिससे जीवन सरल बन जाता है।
कभी हम सलाह मान लेते हैं और कभी हम सलाह देते हुए नजर आते हैं यही जीवन लीला है।
इस पुस्तक में हमने वह लिखने का प्रयास किया है। जहां हर किसी को यह महसूस हो यह तो मेरे साथ भी होता है।
मनोरंजक कहानियां पढ़िए। जब चाहे तब पढ़े। जहा चाहे वहा पढ़े। डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से।
जिसमे हम आपको विभिन्न प्रकार के अनुभवों को बटोर कर आपकी जानकारियां में वृद्धि कर
मनोरंजक कहानियां पढ़िए। जब चाहे तब पढ़े। जहा चाहे वहा पढ़े। डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से।
जिसमे हम आपको विभिन्न प्रकार के अनुभवों को बटोर कर आपकी जानकारियां में वृद्धि करना चाहते हैं।
आपने अक्सर अनुभव किया होगा अच्छी किताबें अच्छे लोग देर से ही समझ आते हैं।
हमें स्वयं 50 साल लग गए अपने स्वर्गीय पिता जी को समझने में।
हम आपके लिए मनोरंजन के साथ-साथ सलाह से भरपूर कहानियां लेकर लगातार प्रस्तुत हो रहे हैं।
जीवन में जो उतार चढ़ाव होते है। जीवन में जो अनुभव होता है। जीवन में हमारे साथ जो कुछ भी घट रहा होता है। जीवन से हम किस प्रकार जुड़े हुए है।
व्यक्ति को समय के अनुसार अपनी सोच को
जीवन में जो उतार चढ़ाव होते है। जीवन में जो अनुभव होता है। जीवन में हमारे साथ जो कुछ भी घट रहा होता है। जीवन से हम किस प्रकार जुड़े हुए है।
व्यक्ति को समय के अनुसार अपनी सोच को बदलना अत्यंत आवश्यक है।
हमने जीवन की कुछ विशेष घटनाओं को अपने इस संग्रह में शामिल किया है।
जिससे सबको सीखने के लिए कुछ ना कुछ अवश्य मिले।
जहा जिंदगी में उतार चढ़ाव है वही जिंदगी में उलझने भी है।
जिंदगी में उलझने आएंगी ही। परंतु हमे उसी प्रकार जीना है। जैसे बांसुरी सिखाती है। सीने में कितने भी छेद हो फिर भी गुनगु
जहा जिंदगी में उतार चढ़ाव है वही जिंदगी में उलझने भी है।
जिंदगी में उलझने आएंगी ही। परंतु हमे उसी प्रकार जीना है। जैसे बांसुरी सिखाती है। सीने में कितने भी छेद हो फिर भी गुनगुनाते रहे मुस्कुराते रहे।
यही मंत्र सब उलझनों का तोड़ है।
भगवान श्री राधे कृष्ण ने इंसान को सबसे सर्वोत्तम कृति बनाया है।
वह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मानव को भगवान राधे कृष्ण ने सोचने समझने की शक्ति दी है। जिससे वह इतिहास रच सके।
भगवान श्री राधे कृष्ण ने इंसान को सबसे सर्वोत्तम कृति बनाया है।
वह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मानव को भगवान राधे कृष्ण ने सोचने समझने की शक्ति दी है। जिससे वह इतिहास रच सके।
जैसे-जैसे वक्त के अनुसार हालात बदलते हैं।
वैसे वैसे इंसान के विचार भी बदलते चले जाते हैं।
यह विचार परिस्थितियों के अनुसार कभी खुशी की लहर में दौड़ते चले जाते हैं। कभी दुख के बादलो की घनघोर घटा में बदल जाते है।
कभी कोई किसी का बुरा कर डालता है।
कभी कोई किसी का भला कर देता है।
यह सब संभव हो पाता है इंसान के मन मस्तिष्क में चल रहे सकारात्मक या नकारात्मक विचारों के चलते।
याद रहे सफलता हमेशा अच्छे विचारों से आती है।
अच्छे विचार अच्छे लोगो के संपर्क में आने से आते है।
जीवन के इन्हीं विचारों को शब्दों के माध्यम से रची मनोहर कहानी एक विचार पढ़ना ना भूले।
व्यक्ति अपने विचारों को विभिन्न प्रकार के माध्यम से व्यक्त करता रहता है।
उनमें से कुछ बोल कर कुछ इशारों से और कुछ ले शब्दों में रचनाबद्द कर देते हैं।
हमने भी एक हल्का प्रया
व्यक्ति अपने विचारों को विभिन्न प्रकार के माध्यम से व्यक्त करता रहता है।
उनमें से कुछ बोल कर कुछ इशारों से और कुछ ले शब्दों में रचनाबद्द कर देते हैं।
हमने भी एक हल्का प्रयास किया है। हमारे देश में, हमारे अड़ोस पड़ोस में, हमारे समाज में, हमारी रिश्तेदारी में, हम जहां काम करते हैं।
हर छेत्र से विभिन्न प्रकार के विचारों को इकट्ठा कर उन्हें अपनी कहानी रचना में इस प्रकार जोड़ा है।
जिससे हर व्यक्ति अपने आप को जुड़ा पाएगा।
आज के दौर में कोई भी व्यक्ति नाकाम नहीं होना चाहता।
आज के प्रतिस्पर्धा से भरे दौर में हर व्यक्ति सफलता के लिए कार्य करता है।
परंतु जाने अनजाने में कई बार अच्छे कार्य करने
आज के दौर में कोई भी व्यक्ति नाकाम नहीं होना चाहता।
आज के प्रतिस्पर्धा से भरे दौर में हर व्यक्ति सफलता के लिए कार्य करता है।
परंतु जाने अनजाने में कई बार अच्छे कार्य करने के पश्चात भी जब परिणाम गलत आते हैं।
तब नाकामी हाथ लगती है।
कई बार ऐसा भी हो जाता है हम कागजी योजनाएं बनाकर रह जाते हैं।
हम लुभावनी घोषणाएं कर देते हैं।
जब उसकी परीक्षा का समय आता है।
परीक्षा देने के पश्चात जब परिणाम नाकामी में आने के कारण बहुत से लोगों को अपने व्यापार, धन और जीवन को हारना पड़ता है।
तब उसे नाकामी ही कहा जाता है।
ऐसी कैसी नाकामी जो व्यापार धन और जीवन को हरा दे।
आइए पढ़िए लेखक मान सिंह नेगी की मनोहर कहानी नाकामी।
कोरोना वह बीमारी है जो 100 वर्ष पश्चात एक नए रूप में आई है।
इसका इतिहास गवाह है। इस बात की पुष्टि मेडिकल साइंस करता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें हर 100 साल में एक महामारी अप
कोरोना वह बीमारी है जो 100 वर्ष पश्चात एक नए रूप में आई है।
इसका इतिहास गवाह है। इस बात की पुष्टि मेडिकल साइंस करता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें हर 100 साल में एक महामारी अपना विकराल रूप दिखाने अवश्य आती है।
1720 प्लेग
1820 हैजा
1920 स्पेनिश फ्लू
2020 कोरोना
जब जब दुनिया में महामारी ने अपनी दस्तक दी है।
तब तब उसने घर की ही नहीं, देश की ही नहीं, दुनिया की अर्थव्यवस्था को चकनाचूर कर दिया है।
अर्थव्यवस्था को किस प्रकार मजबूत किया जा सकता है।
कोरोना से कैसे बचा जा सकता है।
जानिए मशहूर लेखक मान सिंह नेगी की अनुभव पर आधारित कहानी कोरोना vs अर्थव्यवस्था।
जीवन क्या है जीवन भी एक सफर है।
जिस में न जाने आए दिन कितने लोग मिलते हैं। कितने लोगों से मुलाकातें होती हैं। ना जाने कितने लोगो से मिलकर बिछड़ जाते हैं।
हर व्यक्ति के अनुभव
जीवन क्या है जीवन भी एक सफर है।
जिस में न जाने आए दिन कितने लोग मिलते हैं। कितने लोगों से मुलाकातें होती हैं। ना जाने कितने लोगो से मिलकर बिछड़ जाते हैं।
हर व्यक्ति के अनुभव अलग-अलग होते हैं। हर व्यक्ति अपने जीवन के सफर में अपने सुख दुख खट्टे मीठे अनुभव बटता रहता है।
जिंदगी का सफर जन्म से लेकर मृत्यु तक बेहतरीन रहता है।
जीवन के सफर में हम किस प्रकार एक दूसरे से जुड़े हैं पढ़िए एक सफर।
कहते हैं आईना समाज का वह चेहरा दिखाता है।
जिसमें छल कपट के लिए कोई स्थान नहीं होता।
आईना शान है जवानी की आईना गुरूर है बुढ़ापे का।
आईना अपने आप से रूबरू करवाता है।
आ
कहते हैं आईना समाज का वह चेहरा दिखाता है।
जिसमें छल कपट के लिए कोई स्थान नहीं होता।
आईना शान है जवानी की आईना गुरूर है बुढ़ापे का।
आईना अपने आप से रूबरू करवाता है।
आईना सिर्फ और सिर्फ सच बयान करता है।
क्योंकि आईना कभी झूठ नहीं बोलता।
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनक
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनका नाम जब समय मिले तब जप सकते है। इसमें किसी भी प्रकार की बाधा एवम संकोच नहीं है।
यह नाम हमें इस सांसारिक जगत से जन्म मरण से मुक्ति प्रदान करता है।
आओ हम सब परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण की शरण में चले।
जो हमें अपनी भक्ति प्रदान करते हुए अपनी शरण में सुरक्षित कर लेंगे।
कह भी दो राधे राधे...
अध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है।
इसमें जो भी पात्र लिए गए हैं। उनका जीवित और मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।
सफाई कर्मचारी का होना किसी कार्यालय और गोदाम के लिए अत्यंत
यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है।
इसमें जो भी पात्र लिए गए हैं। उनका जीवित और मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है।
सफाई कर्मचारी का होना किसी कार्यालय और गोदाम के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सफाई कर्मचारी कार्यालय या गोदाम की पूरी सफाई व्यवस्था देखता है। यह उसकी ही जिम्मेदारी होती है।
वह कार्यालय या गोदाम पर सफाई की व्यवस्था बिगड़ने ना दें।
सफाई कर्मचारी की निजी कंपनियों में सफाई व्यवस्था के अलावा और कितने कार्य होते हैं। इनको जानने के लिए पढ़िए सफाई कर्मचारी की जिम्मेदारियां और उनकी परेशानियां।
जिसका इस पुस्तक में सटीक वर्णन किया गया है।
यदि कोई सफाई वयवस्था या सफाई कर्मचारी के विषय से संबंधित सुझाव रखना चाहता है।
वह अपने सुझाव mansourav 14@gmail.com पर भेज सकता है।
इतिश्री
लेखक मान सिंह नेगी
हम आपको यह बता दे उधार उपन्यास पूर्ण रूप से कल्पना पर आधारित है।
इस उपन्यास में सारे पात्र काल्पनिक है।
इनका जीवित या मृत व्यक्ति से किसी भी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है
हम आपको यह बता दे उधार उपन्यास पूर्ण रूप से कल्पना पर आधारित है।
इस उपन्यास में सारे पात्र काल्पनिक है।
इनका जीवित या मृत व्यक्ति से किसी भी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है
जैसा कि सब जानते है। जीवन के दो पहलू है, नकद और उधार।
कहा तो यह भी जाता है। नकद वाले डिस्को, उधार वाले खिसको।
आजकल किसी को उधार देना एक गुनाह साबित हो रहा।
उधार मांगते समय उधार लेने वाला रोता है।
लेकिन उधारी का अपना पैसा मांगते हुए, उधार देने वाला रोता है।
क्या यह बाते जीवन में सटीक बैठती है?
क्या आप भी कभी जीवन में पैसा उधार लेने या देने की स्थिति में आए हैं?
यदि हां, यदि ना, तो जानने के लिए पढ़िए उधार उपन्यास।
जो सिर्फ और सिर्फ उधार मांगने और लेने वालो के हालत, परिस्थितियो और चरित्र को उजागर करता है।
लेखक मान सिंह नेगी
जीवन क्या है जीवन एक ढपली है।
जिसमें से विभिन्न प्रकार के राग निकलते हैं।
उनमें से कुछ राग मीठे होते हैं, सुनने में मधुर लगते हैं।
कुछ राग कड़वे होते हैं, तीखे होते ह
जीवन क्या है जीवन एक ढपली है।
जिसमें से विभिन्न प्रकार के राग निकलते हैं।
उनमें से कुछ राग मीठे होते हैं, सुनने में मधुर लगते हैं।
कुछ राग कड़वे होते हैं, तीखे होते हैं, जो सुनने में अप्रिय लगते हैं।
जीवन के इन कड़वे और मीठे पहलुओं को लेकर यह पुस्तक आपको पढ़ने के लिए बाध्य कर देगी।
क्योंकि कहीं ना कहीं आप सब अपने आप को इन कहानियों के माध्यम से जुड़ा पाएंगे।
आपको ऐसा एहसास होगा जीवन रूपी ढपली हमे अनेक प्रकार के राग सुनाती है।
जीवन क्या है जीवन एक ढपली है।
जिसमें से विभिन्न प्रकार के राग निकलते हैं।
उनमें से कुछ राग मीठे होते हैं, सुनने में मधुर लगते हैं।
कुछ राग कड़वे होते हैं, तीखे होते ह
जीवन क्या है जीवन एक ढपली है।
जिसमें से विभिन्न प्रकार के राग निकलते हैं।
उनमें से कुछ राग मीठे होते हैं, सुनने में मधुर लगते हैं।
कुछ राग कड़वे होते हैं, तीखे होते हैं, जो सुनने में अप्रिय लगते हैं।
जीवन के इन कड़वे और मीठे पहलुओं को लेकर यह पुस्तक आपको पढ़ने के लिए बाध्य कर देगी।
क्योंकि कहीं ना कहीं आप सब अपने आप को इन कहानियों के माध्यम से जुड़ा पाएंगे।
आपको ऐसा एहसास होगा जीवन रूपी ढपली हमे अनेक प्रकार के राग सुनाती है।
जीवन क्या है जीवन एक ढपली है।
जिसमें से विभिन्न प्रकार के राग निकलते हैं।
उनमें से कुछ राग मीठे होते हैं, सुनने में मधुर लगते हैं।
कुछ राग कड़वे होते हैं, तीखे होते ह
जीवन क्या है जीवन एक ढपली है।
जिसमें से विभिन्न प्रकार के राग निकलते हैं।
उनमें से कुछ राग मीठे होते हैं, सुनने में मधुर लगते हैं।
कुछ राग कड़वे होते हैं, तीखे होते हैं, जो सुनने में अप्रिय लगते हैं।
जीवन के इन कड़वे और मीठे पहलुओं को लेकर यह पुस्तक आपको पढ़ने के लिए बाध्य कर देगी।
क्योंकि कहीं ना कहीं आप सब अपने आप को इन कहानियों के माध्यम से जुड़ा पाएंगे।
आपको ऐसा एहसास होगा जीवन रूपी ढपली हमे अनेक प्रकार के राग सुनाती है।
राधे राधे जब भी किसी मुश्किल में फंस जाओ।
या कोई समस्या या हालात जीवन में ऐसे खड़े हो जाएं जो आपसे संभलना रहे हो।
तब घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप राधे राधे का जाप कीजिए।
<राधे राधे जब भी किसी मुश्किल में फंस जाओ।
या कोई समस्या या हालात जीवन में ऐसे खड़े हो जाएं जो आपसे संभलना रहे हो।
तब घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप राधे राधे का जाप कीजिए।
राधे को जाप करते समय आप जितनी तेजी से करेंगे उसका जो अर्थ निकलेगा वह कुछ इस प्रकार होगा जो आपकी समस्याओं को सुलझा देगा राह दे राह दे राधे।
जिह्वा को पवित्र करते हुए बोल दीजिए।
प्रेम से राधे राधे वरना राधे रानी बुरा मान जाएगी।
हर समस्या का समाधान राधे राधे तप में है।
हर परेशानी का हल राधे राधे जप में है।
अब आप सब को बोलना ही पड़ेगा राधे राधे।
अध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
राधे राधे जब भी किसी मुश्किल में फंस जाओ।
या कोई समस्या या हालात जीवन में ऐसे खड़े हो जाएं जो आपसे संभलना रहे हो।
तब घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप राधे राधे का जाप कीजिए।
<राधे राधे जब भी किसी मुश्किल में फंस जाओ।
या कोई समस्या या हालात जीवन में ऐसे खड़े हो जाएं जो आपसे संभलना रहे हो।
तब घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप राधे राधे का जाप कीजिए।
राधे को जाप करते समय आप जितनी तेजी से करेंगे उसका जो अर्थ निकलेगा वह कुछ इस प्रकार होगा जो आपकी समस्याओं को सुलझा देगा राह दे राह दे राधे।
जिह्वा को पवित्र करते हुए बोल दीजिए।
प्रेम से राधे राधे वरना राधे रानी बुरा मान जाएगी।
हर समस्या का समाधान राधे राधे तप में है।
हर परेशानी का हल राधे राधे जप में है।
अब आप सब को बोलना ही पड़ेगा राधे राधे।
अध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
जब भी महिलाओं के प्रति अपराध होते है. आप यकीन मानिए दिल बहुत रोता है. हमारा अंतर्मन भी यही सवाल करता है.
क्यू महिलाओ के प्रति हमारी सोच नही बदलती?
क्यू हम आज भी महिलाओ को उ
जब भी महिलाओं के प्रति अपराध होते है. आप यकीन मानिए दिल बहुत रोता है. हमारा अंतर्मन भी यही सवाल करता है.
क्यू महिलाओ के प्रति हमारी सोच नही बदलती?
क्यू हम आज भी महिलाओ को उपभोग की वस्तु समझते है?
क्यू महिलाए अपने साथ हो रहे अपराध के खिलाफ आवाज नही उठाती?
आज भी हमे दुख है. वह सदियो पुराना सवाल वही खड़ा होकर हमसे पूछ रहा देश मे महिलाए क्यू सुरक्षित नही है?
महिलाए यदि सुरक्षित रहना चाहती है. महिलाए समाज मे अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहती है.
तो वह जरूर पढ़े हमारा उपान्यास, जो आपके लिए ही बना है.
लेखक मान सिंह नेगी
कृष्ण ही राधे है, राधा ही कृष्ण है।
कृष्ण कहते हैं तुम गीत हो, तुम मनमीत हो, तुम प्रीत हो राधे।
कृष्ण स्वयं कहते हैं, जो भी, जब भी, राधे का नाम पुकारेगा।
मैं जहां भी रहूं
कृष्ण ही राधे है, राधा ही कृष्ण है।
कृष्ण कहते हैं तुम गीत हो, तुम मनमीत हो, तुम प्रीत हो राधे।
कृष्ण स्वयं कहते हैं, जो भी, जब भी, राधे का नाम पुकारेगा।
मैं जहां भी रहूं उसके लिए सारे कार्य छोड़ कर उसकी मदद के लिए पहुंच जाऊंगा।
जब भी कहीं भी उलझ जाओ तब राधे का नाम जपना मत छोड़ना।
राधे का नाम जपोगे तब यकीन मानिए राहे स्वयं आसान और सरल हो जाएंगी।
जिह्वा को पवित्र करते हुए प्रेम से बोल दे।
राधे-राधे वरना राधे रानी बुरा मान जाएंगी।
राधे राधे
आध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
कृष्ण ही राधे है, राधा ही कृष्ण है।
कृष्ण कहते हैं तुम गीत हो, तुम मनमीत हो, तुम प्रीत हो राधे।
कृष्ण स्वयं कहते हैं, जो भी, जब भी, राधे का नाम पुकारेगा।
मैं जहां भी रहूं
कृष्ण ही राधे है, राधा ही कृष्ण है।
कृष्ण कहते हैं तुम गीत हो, तुम मनमीत हो, तुम प्रीत हो राधे।
कृष्ण स्वयं कहते हैं, जो भी, जब भी, राधे का नाम पुकारेगा।
मैं जहां भी रहूं उसके लिए सारे कार्य छोड़ कर उसकी मदद के लिए पहुंच जाऊंगा।
जब भी कहीं भी उलझ जाओ तब राधे का नाम जपना मत छोड़ना।
राधे का नाम जपोगे तब यकीन मानिए राहे स्वयं आसान और सरल हो जाएंगी।
जिह्वा को पवित्र करते हुए प्रेम से बोल दे।
राधे-राधे वरना राधे रानी बुरा मान जाएंगी।
राधे राधे
आध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनक
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनका नाम जब समय मिले तब जप सकते है। इसमें किसी भी प्रकार की बाधा एवम संकोच नहीं है।
यह नाम हमें इस सांसारिक जगत से जन्म मरण से मुक्ति प्रदान करता है।
आओ हम सब परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण की शरण में चले।
जो हमें अपनी भक्ति प्रदान करते हुए अपनी शरण में सुरक्षित कर लेंगे।
कह भी दो राधे राधे...
अध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनक
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनका नाम जब समय मिले तब जप सकते है। इसमें किसी भी प्रकार की बाधा एवम संकोच नहीं है।
यह नाम हमें इस सांसारिक जगत से जन्म मरण से मुक्ति प्रदान करता है।
आओ हम सब परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण की शरण में चले।
जो हमें अपनी भक्ति प्रदान करते हुए अपनी शरण में सुरक्षित कर लेंगे।
कह भी दो राधे राधे...
अध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनक
हम सब भूल चुके हैं इस सांसारिक जगत में नाम पैसा शोहरत विभिन्न प्रकार की इच्छाओं को रखते हुए।
परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण का नाम सुमिरन करना।
उनका नाम कब जप सकते है।
उनका नाम जब समय मिले तब जप सकते है। इसमें किसी भी प्रकार की बाधा एवम संकोच नहीं है।
यह नाम हमें इस सांसारिक जगत से जन्म मरण से मुक्ति प्रदान करता है।
आओ हम सब परम पिता परमेश्वर राधे कृष्ण की शरण में चले।
जो हमें अपनी भक्ति प्रदान करते हुए अपनी शरण में सुरक्षित कर लेंगे।
कह भी दो राधे राधे...
अध्यात्मिक गुरु मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
नोबल कोविड-19 वायरस चीन के वुहान और शंघाई से चलकर पूरे विश्व मे फैल गया.
उससे बचने के लिए विकसित देशो और भारत जैसे विकासशील देश ने उसकी रोकथाम के लिए क्या क्या उपाए किए.
नोबल कोविड-19 वायरस चीन के वुहान और शंघाई से चलकर पूरे विश्व मे फैल गया.
उससे बचने के लिए विकसित देशो और भारत जैसे विकासशील देश ने उसकी रोकथाम के लिए क्या क्या उपाए किए.
उन उपायो को लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी यह बहुमूल्य उपायो सजी पुस्तक नोबल कोविड-19.
आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वरदान साबित होगी हमारी यह पुस्तक.
लेखक मान सिंह नेगी
जब भी महिलाओं के प्रति अपराध होते है. आप यकीन मानिए दिल बहुत रोता है. हमारा अंतर्मन भी यही सवाल करता है.
क्यू महिलाओ के प्रति हमारी सोच नही बदलती?
क्यू हम आज भी महिलाओ को उ
जब भी महिलाओं के प्रति अपराध होते है. आप यकीन मानिए दिल बहुत रोता है. हमारा अंतर्मन भी यही सवाल करता है.
क्यू महिलाओ के प्रति हमारी सोच नही बदलती?
क्यू हम आज भी महिलाओ को उपभोग की वस्तु समझते है?
क्यू महिलाए अपने साथ हो रहे अपराध के खिलाफ आवाज नही उठाती?
आज भी हमे दुख है. वह सदियो पुराना सवाल वही खड़ा होकर हमसे पूछ रहा देश मे महिलाए क्यू सुरक्षित नही है?
महिलाए यदि सुरक्षित रहना चाहती है. महिलाए समाज मे अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहती है.
तो वह जरूर पढ़े हमारा उपान्यास, जो आपके लिए ही बना है.
नोबल कोविड-19 वायरस चीन के वुहान और शंघाई से चलकर पूरे विश्व मे फैल गया.
उससे बचने के लिए विकसित देशो और भारत जैसे विकासशील देश ने उसकी रोकथाम के लिए क्या क्या उपाए किए.
नोबल कोविड-19 वायरस चीन के वुहान और शंघाई से चलकर पूरे विश्व मे फैल गया.
उससे बचने के लिए विकसित देशो और भारत जैसे विकासशील देश ने उसकी रोकथाम के लिए क्या क्या उपाए किए.
उन उपायो को लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी यह बहुमूल्य उपायो सजी पुस्तक नोबल कोविड-19.
आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वरदान साबित होगी हमारी यह पुस्तक.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ ल
जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.
जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है.
परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.
जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार, आपकी तनहाइयां.
आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी.
उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.
तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.
लेखक मान सिंह नेगी
यदि आप आज भी अपनी पढ़ाई पूरी करके पूरी तरह से अपने माता-पिता पर आश्रित हैं. यदि आप आज भी अपनी पढ़ाई को छोड़कर अपने माता-पिता पर आश्रित हैं यदि आज भी आप अपने पैरों पर खड़े नहीं हुए ह
यदि आप आज भी अपनी पढ़ाई पूरी करके पूरी तरह से अपने माता-पिता पर आश्रित हैं. यदि आप आज भी अपनी पढ़ाई को छोड़कर अपने माता-पिता पर आश्रित हैं यदि आज भी आप अपने पैरों पर खड़े नहीं हुए हैं. यदि आज भी आप आत्मनिर्भर नहीं हुए हैं. यदि आप आज भी सरकारी नौकरी की उम्मीद पर बैठे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. यदि आज भी आप ने कोई व्यापार शुरू नहीं किया है. यदि आज भी आपको व्यापार शुरू करने में शर्म आती है. यदि आप यह बात भी जानते हैं कि हमारे देश में बेरोजगारी का आंकड़ा 6.7% को भी पार कर गया है. हमारे देश में युवा की जनसंख्या 65% है. जो बेरोजगारी से जूझ रहे हैं. यदि यह सब जानते हुए आप बेरोजगारी मे जीवन गुजार रहे हैं. तब यह किताब "बेरोजगारी कैसे दूर करें" सिर्फ और सिर्फ आप जैसे लोगों के लिए ही बनी है. जो अभी भी बेरोजगारी की कतार में है.
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते ह
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते है. उन्हें कहाँ कब इस्तेमाल करना है. जिसे यह आ गया वह शब्दो का बाजीगर कहलायेगा. शब्द चितेरा कहलाएगा. जहां शब्द मरहम है, वही शब्द तलवार भी है. जहां शब्द पुष्प है, वही शब्द शूल भी है. शब्द समझ में आए तो अर्थ है, वरना सब व्यर्थ है. शब्द ऐसे होने चाहिए जो कानों में मिश्री घोल दे. जुबा में मिठास भर दे. जो दूसरों के दुख को कम कर दे. कहा भी गया है ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरों को शीतल करे आपु शीतल होए. शब्द हंसा देते हैं शब्द रुला देते हैं. शब्द मान जाते है, शब्द रूठ जाते है. कभी इन्हें हँस कर मना लिया करो. कभी नजरअंदाज करके मान जाया करो. व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाते हैं ये खट्टे मीठे शब्द. शब्द को कोई स्पर्श नहीं कर सकता शब्द सब को स्पर्श करते हैं. इन खट्टे मीठे शब्दों को एक रूप में पिरो कर आप सबके लिए प्रेम पूर्वक शब्द माला मनोहर कहानियों से भरपूर पुस्तक की रचना की है. लेखक मान सिँह नेगी
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते ह
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते है. उन्हें कहाँ कब इस्तेमाल करना है. जिसे यह आ गया वह शब्दो का बाजीगर कहलायेगा. शब्द चितेरा कहलाएगा. जहां शब्द मरहम है, वही शब्द तलवार भी है. जहां शब्द पुष्प है, वही शब्द शूल भी है. शब्द समझ में आए तो अर्थ है, वरना सब व्यर्थ है. शब्द ऐसे होने चाहिए जो कानों में मिश्री घोल दे. जुबा में मिठास भर दे. जो दूसरों के दुख को कम कर दे. कहा भी गया है ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरों को शीतल करे आपु शीतल होए. शब्द हंसा देते हैं शब्द रुला देते हैं. शब्द मान जाते है, शब्द रूठ जाते है. कभी इन्हें हँस कर मना लिया करो. कभी नजरअंदाज करके मान जाया करो. व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाते हैं ये खट्टे मीठे शब्द. शब्द को कोई स्पर्श नहीं कर सकता शब्द सब को स्पर्श करते हैं. इन खट्टे मीठे शब्दों को एक रूप में पिरो कर आप सबके लिए प्रेम पूर्वक शब्द माला मनोहर कहानियों से भरपूर पुस्तक की रचना की है. लेखक मान सिँह नेगी
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते ह
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते है. उन्हें कहाँ कब इस्तेमाल करना है. जिसे यह आ गया वह शब्दो का बाजीगर कहलायेगा. शब्द चितेरा कहलाएगा. जहां शब्द मरहम है, वही शब्द तलवार भी है. जहां शब्द पुष्प है, वही शब्द शूल भी है. शब्द समझ में आए तो अर्थ है, वरना सब व्यर्थ है. शब्द ऐसे होने चाहिए जो कानों में मिश्री घोल दे. जुबा में मिठास भर दे. जो दूसरों के दुख को कम कर दे. कहा भी गया है ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरों को शीतल करे आपु शीतल होए. शब्द हंसा देते हैं शब्द रुला देते हैं. शब्द मान जाते है, शब्द रूठ जाते है. कभी इन्हें हँस कर मना लिया करो. कभी नजरअंदाज करके मान जाया करो. व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाते हैं ये खट्टे मीठे शब्द. शब्द को कोई स्पर्श नहीं कर सकता शब्द सब को स्पर्श करते हैं. इन खट्टे मीठे शब्दों को एक रूप में पिरो कर आप सबके लिए प्रेम पूर्वक शब्द माला मनोहर कहानियों से भरपूर पुस्तक की रचना की है. लेखक मान सिँह नेगी
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते ह
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते है. उन्हें कहाँ कब इस्तेमाल करना है. जिसे यह आ गया वह शब्दो का बाजीगर कहलायेगा. शब्द चितेरा कहलाएगा. जहां शब्द मरहम है, वही शब्द तलवार भी है. जहां शब्द पुष्प है, वही शब्द शूल भी है. शब्द समझ में आए तो अर्थ है, वरना सब व्यर्थ है. शब्द ऐसे होने चाहिए जो कानों में मिश्री घोल दे. जुबा में मिठास भर दे. जो दूसरों के दुख को कम कर दे. कहा भी गया है ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरों को शीतल करे आपु शीतल होए. शब्द हंसा देते हैं शब्द रुला देते हैं. शब्द मान जाते है, शब्द रूठ जाते है. कभी इन्हें हँस कर मना लिया करो. कभी नजरअंदाज करके मान जाया करो. व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाते हैं ये खट्टे मीठे शब्द. शब्द को कोई स्पर्श नहीं कर सकता शब्द सब को स्पर्श करते हैं. इन खट्टे मीठे शब्दों को एक रूप में पिरो कर आप सबके लिए प्रेम पूर्वक शब्द माला मनोहर कहानियों से भरपूर पुस्तक की रचना की है. लेखक मान सिँह नेगी
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते ह
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते है. उन्हें कहाँ कब इस्तेमाल करना है. जिसे यह आ गया वह शब्दो का बाजीगर कहलायेगा. शब्द चितेरा कहलाएगा. जहां शब्द मरहम है, वही शब्द तलवार भी है. जहां शब्द पुष्प है, वही शब्द शूल भी है. शब्द समझ में आए तो अर्थ है, वरना सब व्यर्थ है. शब्द ऐसे होने चाहिए जो कानों में मिश्री घोल दे. जुबा में मिठास भर दे. जो दूसरों के दुख को कम कर दे. कहा भी गया है ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरों को शीतल करे आपु शीतल होए. शब्द हंसा देते हैं शब्द रुला देते हैं. शब्द मान जाते है, शब्द रूठ जाते है. कभी इन्हें हँस कर मना लिया करो. कभी नजरअंदाज करके मान जाया करो. व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाते हैं ये खट्टे मीठे शब्द. शब्द को कोई स्पर्श नहीं कर सकता शब्द सब को स्पर्श करते हैं. इन खट्टे मीठे शब्दों को एक रूप में पिरो कर आप सबके लिए प्रेम पूर्वक शब्द माला मनोहर कहानियों से भरपूर पुस्तक की रचना की है. लेखक मान सिँह नेगी
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते ह
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते है. उन्हें कहाँ कब इस्तेमाल करना है. जिसे यह आ गया वह शब्दो का बाजीगर कहलायेगा. शब्द चितेरा कहलाएगा. जहां शब्द मरहम है, वही शब्द तलवार भी है. जहां शब्द पुष्प है, वही शब्द शूल भी है. शब्द समझ में आए तो अर्थ है, वरना सब व्यर्थ है. शब्द ऐसे होने चाहिए जो कानों में मिश्री घोल दे. जुबा में मिठास भर दे. जो दूसरों के दुख को कम कर दे. कहा भी गया है ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरों को शीतल करे आपु शीतल होए. शब्द हंसा देते हैं शब्द रुला देते हैं. शब्द मान जाते है, शब्द रूठ जाते है. कभी इन्हें हँस कर मना लिया करो. कभी नजरअंदाज करके मान जाया करो. व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाते हैं ये खट्टे मीठे शब्द. शब्द को कोई स्पर्श नहीं कर सकता शब्द सब को स्पर्श करते हैं. इन खट्टे मीठे शब्दों को एक रूप में पिरो कर आप सबके लिए प्रेम पूर्वक शब्द माला मनोहर कहानियों से भरपूर पुस्तक की रचना की है. लेखक मान सिँह नेगी
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते ह
वार्तालाप करने का सबसे अच्छा माध्यम है, शब्द. इनकी शुरुआत कैसे और कब हुई यह कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है? हां हम इतना अवश्य कह सकते हैं. शब्द हमारे अपने व्यवहार के ऊपर निर्भर होते है. उन्हें कहाँ कब इस्तेमाल करना है. जिसे यह आ गया वह शब्दो का बाजीगर कहलायेगा. शब्द चितेरा कहलाएगा. जहां शब्द मरहम है, वही शब्द तलवार भी है. जहां शब्द पुष्प है, वही शब्द शूल भी है. शब्द समझ में आए तो अर्थ है, वरना सब व्यर्थ है. शब्द ऐसे होने चाहिए जो कानों में मिश्री घोल दे. जुबा में मिठास भर दे. जो दूसरों के दुख को कम कर दे. कहा भी गया है ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए औरों को शीतल करे आपु शीतल होए. शब्द हंसा देते हैं शब्द रुला देते हैं. शब्द मान जाते है, शब्द रूठ जाते है. कभी इन्हें हँस कर मना लिया करो. कभी नजरअंदाज करके मान जाया करो. व्यक्ति के व्यवहार को दर्शाते हैं ये खट्टे मीठे शब्द. शब्द को कोई स्पर्श नहीं कर सकता शब्द सब को स्पर्श करते हैं. इन खट्टे मीठे शब्दों को एक रूप में पिरो कर आप सबके लिए प्रेम पूर्वक शब्द माला मनोहर कहानियों से भरपूर पुस्तक की रचना की है. लेखक मान सिँह नेगी
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अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. ने
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. ने
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. ने
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. ने
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. ने
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अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. ने
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अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है
अक्सर देखा गया है, सलाह एवं नेक सलाह पर किसी का ध्यान जल्दी से नहीं जाता. जब भी सलाह एवं नेक सलाह किसी के भी समझ में आती है. तब तक समय निकल चुका होता है. नेक सलाह सदैव जीवन सुधारती है. नेक सलाह के कारण ही जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शन होती है. नेक सलाह जीवन का मार्गदर्शक बनती है. नेक सलाह ही है, जो हमारे जीवन में हमारे व्यवहार में मधुरता लाती है. जो हमारे व्यवहार में नम्रता लाती है. जो हमारे व्यवहार में उचित और अनुचित के बीच में अंतर समझाती है. वैसे आपने सुना ही होगा नेकी कर कुएं में डाल. ठीक उसी तर्ज पर हम जानते हैं, समाज हमारे लिए कुछ नहीं करेगा. बावजूद इसके हमारी नेक सलाह समाज, अडोस पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी हमारी आखरी सांस तक. यह पुस्तक उनके लिए ही बनी है. जो अपना जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं. जो अपने जीवन में, जो अपने व्यवहार में मधुरता लाना चाहते हैं. जो अपने व्यवहार में विनम्रता लाना चाहते हैं. जो नेक सलाह से सीख कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते है. नेक सलाह से भरी यह पुस्तक सिर्फ और सिर्फ आप ही के लिए बनी है. नेक सलाह को अपनाते हुए आप भी ऐसे आगे बढ़ चलो. जैसे हम बढ़ चले हैं. नेकी कर कुएं में डाल. मान सिँह नेगी
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बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
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बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
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बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
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बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आ
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आप सब इस प्रकाश पुंज को पढ़ एंव समझ कर दूसरो को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. प्रकाश पुंज पुस्तक को दूसरे के बेहतर जीवन के लिए. आप सब आपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देंगे. यदि आपके और हमारे हल्के प्रयास से किसी एक के जीवन मे भी प्रकाश पुंज पुस्तक के माध्यम से उजियारा होता है. तब आप और हमारा जीवन सफल हीं कहा जाएगा. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाश पुंज से प्रकशित करने आई है. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाशित करेगी. यह हमारी प्रार्थना है, भगवान राधेश्याम से लेखक मान सिँह नेगी
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्रा
बड़े अनुभवों के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से खट्टे मीठे अनुभवों को एकत्रित करने के पश्चात ज्ञान का प्रादुर्भाव होता है. बहुत से रसीले एवं कसैले अनुभवों को प्राप्त करने के पश्चात ज्ञान का उदय होता है. किसी विषय में सटीक जानकारी होना ही ज्ञान कहलाता है. ज्ञान भौतिक एवं आध्यात्मिक दो भागों में बटा होता है. भौतिक ज्ञान हमें बाहरी अनुभवों से प्राप्त होता है. लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान हमें आंतरिक अनुभवों से प्राप्त होता है. जो ज्ञान हमें आंतरिक उसे ही अनुभवों से प्राप्त होता है. उसे ज्ञान ज्योति कहा जाता है. जब अंतर्मन में ज्ञान ज्योति का प्रकाश फैलता है. वही ज्ञान ज्योती उससे सिर्फ शुरू सिर्फ सत्कर्म करवाती है. जिसमें सबकी भलाई छिपी रहती है. उसी के फलस्वरूप व्यक्ति का आंतरिक एंव बहुमुखी विकास होता है. आओ मिलकर अपनी ज्ञान ज्योती का अंतर्मन मे विकास कर अपना जीवन परोपकार मे लगाए. लेखक मान सिंह नेगी.
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आ
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आप सब इस प्रकाश पुंज को पढ़ एंव समझ कर दूसरो को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. प्रकाश पुंज पुस्तक को दूसरे के बेहतर जीवन के लिए. आप सब आपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देंगे. यदि आपके और हमारे हल्के प्रयास से किसी एक के जीवन मे भी प्रकाश पुंज पुस्तक के माध्यम से उजियारा होता है. तब आप और हमारा जीवन सफल हीं कहा जाएगा. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाश पुंज से प्रकशित करने आई है. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाशित करेगी. यह हमारी प्रार्थना है, भगवान राधेश्याम से लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आ
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आप सब इस प्रकाश पुंज को पढ़ एंव समझ कर दूसरो को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. प्रकाश पुंज पुस्तक को दूसरे के बेहतर जीवन के लिए. आप सब आपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देंगे. यदि आपके और हमारे हल्के प्रयास से किसी एक के जीवन मे भी प्रकाश पुंज पुस्तक के माध्यम से उजियारा होता है. तब आप और हमारा जीवन सफल हीं कहा जाएगा. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाश पुंज से प्रकशित करने आई है. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाशित करेगी. यह हमारी प्रार्थना है, भगवान राधेश्याम से लेखक मान सिँह नेगी
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इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आ
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आप सब इस प्रकाश पुंज को पढ़ एंव समझ कर दूसरो को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. प्रकाश पुंज पुस्तक को दूसरे के बेहतर जीवन के लिए. आप सब आपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देंगे. यदि आपके और हमारे हल्के प्रयास से किसी एक के जीवन मे भी प्रकाश पुंज पुस्तक के माध्यम से उजियारा होता है. तब आप और हमारा जीवन सफल हीं कहा जाएगा. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाश पुंज से प्रकशित करने आई है. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाशित करेगी. यह हमारी प्रार्थना है, भगवान राधेश्याम से लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आ
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आप सब इस प्रकाश पुंज को पढ़ एंव समझ कर दूसरो को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. प्रकाश पुंज पुस्तक को दूसरे के बेहतर जीवन के लिए. आप सब आपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देंगे. यदि आपके और हमारे हल्के प्रयास से किसी एक के जीवन मे भी प्रकाश पुंज पुस्तक के माध्यम से उजियारा होता है. तब आप और हमारा जीवन सफल हीं कहा जाएगा. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाश पुंज से प्रकशित करने आई है. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाशित करेगी. यह हमारी प्रार्थना है, भगवान राधेश्याम से लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आ
इस पुस्तक मे लेखक ने अपनी अंतरात्मा की पवित्र आवाज को सुनकर प्रकाश पुंज की रचना की है. जिसके माध्यम से लेखक ने पाठको के पवित्र हृदय को छूने का सफल प्रयास किया है. हमे उम्मीद है, आप सब इस प्रकाश पुंज को पढ़ एंव समझ कर दूसरो को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे. प्रकाश पुंज पुस्तक को दूसरे के बेहतर जीवन के लिए. आप सब आपना-अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य देंगे. यदि आपके और हमारे हल्के प्रयास से किसी एक के जीवन मे भी प्रकाश पुंज पुस्तक के माध्यम से उजियारा होता है. तब आप और हमारा जीवन सफल हीं कहा जाएगा. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाश पुंज से प्रकशित करने आई है. यह पुस्तक सबके जीवन को प्रकाशित करेगी. यह हमारी प्रार्थना है, भगवान राधेश्याम से लेखक मान सिँह नेगी
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इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
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इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
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इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी
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इस पुस्तक मे लेखक ने जिंदगी से रोजमर्रा के अनुभवों को बड़े करीब से देखा एंव महसूस किया है. जिसे उसने अपने अनुभव को अनुभव के माध्यम से समझाने का अथक प्रयास किया है. यदि आपकी जिंदगी मे भी कुछ इस प्रकार घटा है. या आप इन कहानियो मे कही भी अपने आप को जुड़ा पाते है. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए कारगर साबित होगी. तब यह अनुभव पुस्तक आपके लिए हीं बनी है. लेखक मान सिँह नेगी
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