जैसा कि मैंने शुरुआत में कहा है कि इस पुस्तक में व्याकारणात्मक बहुत सारी कमियां हो सकती हैं या हैं। मात्रा, विराम चिन्ह,शब्द-विग्रह, शब्द-संग्रह, विकार-अविकार, समास अलंकार, छंद आदि से संबंधित अनेक अनेक कमियां कहीं ना कहीं संपूर्ण पुस्तक में पाठकों को मिलेंगी ही। लेकिन, इन सब बुराइयों के बावजूद एक वास्तविकता यह है कि इन कविताओं में भावों और विचारों के कलेवर को सादगी, सच्चाई इंसानियत, मासूमियत, को थाली में परोस कर पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश की है। मुझे नहीं मालूम मैं अपने इस प्रयास में सफल हुआ हूं कि नहीं? और यदि हुआ हूं तो कितना? फिलहाल मैं बस यह कह सकता हूं कि इस सम्पूर्ण पुस्तक में लिखी गई एक पंक्ति भी यदि किसी एक व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर पाती है, तो मुझे लगेगा कि मेरा लिखना सार्थक रहा।
- सूरजभान सिंह