कुरआन शरीफ़ एक पवित्र पुस्तक है जो अल्लाह ( ईश्वर ) का संदेश मानवता की भलाई के लिए अवतरित हुई है । यह वही क़ुरआन ( Quran ) है जब संसार की अथवा व की उत्पत्ति हुई थी लेकिन समयानुसार प्रत्येक नबी पर अवतरित होती रही । नबी ने बड़ी ईमानदारी से अल्लाह के आदेशानुसार अल्लाह के संदेश को मानव तक पहुंचाते रहे लेकिन मानव अपने स्वार्थ के अनुसार पवित्र पुस्तक में कांट छांट करते रहे परिणामस्वरूप इंसान को असली ( अल्लाह के संदेश ) नहीं मिल पाते तत्पश्चात अल्लाह भी अपने संदेश आने वाले नबियों को फरिश्ता ( जिबाइल ) के द्वारा बताते रहे इसके बावजूद भी अल्लाह की किताब ( तौरेत , जबूट , इंजील और अन्य सहीफे ) में परिवर्तन जारी रहा । तत्पश्चात आखरी बी मोहम्मद स ० पर अंतिम पुस्तक कुरान शरीफ ( जो कि प्रतय तक विद्यमान रहने वाली ) को मानव की भलाई के लिए भेजना ( अवतरित करना ) पड़ा । यही एक मात्र पुस्तक शेष है जो अभी तक ( अर्थात 1429 साल बाद ) कोई भी कांट छांट करने का साहस न कर सका क्योंकि इस पवित्र पुस्तक की जिम्मेदारी खुद अल्लाह तआला ( ईश्वर ) ने ली है । कुरान ( करीम ) को परिचित कराने के लिए पुस्तकें हिन्दी में बहुत कम व अच्छी नहीं मिलेंगी इसलिए अल्लाह ताअला के फजलो करम से पुस्तक को लिखने का बीड़ा उठाया।
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