जब हम गरीब थे
अनुभूति हमेशा आपको आईने की तरह सच का सामना करने को विवश करती है। मैंने अपने अनुभवों के आधार पर "जब हम गरीब थे" काव्य संग्रह में वही कविताएं संकलित की हैं, जो आपकी जीवन यात्रा में साथ-साथ चलेंगी। पाठक स्वयं कविता का पात्र होकर जब पठन करेगा तो लगेगा वही उसका सृजक है। काव्य संग्रह की कविताओं में वर्तनी की अशुद्धियां होना स्वाभाविक है मगर भाव की शुद्धता का ध्यान अवश्य रखा गया है।
किशन खंडेलवाल।
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