भारत रत्न से सम्मानित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक श्रद्धेय पंडित मदन मोहन मालवीय जी जैसे अनेक महात्मा इस भारत भूमि पर अवतरित हुए हैं और ऐसे लोग हर नकारात्मकता को पछाड़ते हुए साधारण से असाधारण कर्मों से अपने सनातन धर्म को निभाते हुए भावी पीढ़ि के लिए अतुल्य एवं अनुकरणीय छाप छोड़ गए हैं ।
ऐसे महात्मा स्वधर्म एवं कर्तव्य बोध से अपने भीतर की विभूतियों को समझने तथा निखारने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता द्वारा निरन्तर ज्ञानार्जित करते रहे हैं ।
बड़े से बड़े लक्ष्य को पूर्ण करने में या अपने अपने क्षेत्र में सफल होने में आज के युवा पीढ़ी निरंतर प्रयासरत रहते हैं, किन्तु सही दिशा एवं मार्गदर्शन के लिए उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञानरस का पान करते रहना चाहिए ।
वैदिक विज्ञान केन्द्र की छात्रा सुश्री नेहा सिंह द्वारा पुस्तक का लेखन कार्य अत्यंत प्रशंसनीय एवं प्रासंगिक है |
इस पुस्तक “जीवन दर्शन गीता” में आज की युवा पीढ़ी को गीता के मूल तत्वों का सरल परिचय देने का प्कीरयास किया गया है, जो अत्यंत सराहनीय है एवं सभी लोगों के लिए प्ररेणादायक है ।
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