"क़फ़स " पुस्तक मनजीत राजबीर जी का काव्य-संग्रह है। इस में सहेजी गयी कवितायें सिर्फ़ लफ़्ज़ों का जोड़तोड नहीं बल्कि उनके ज़रिये उमड़ता अहसासों का सैलाब हैं जो तोड़ना चाहता है खोख़ले रिशतों के बाँध। एक जिस्मानी क़फ़स में जकड़ी रूह जो उड़ना चाहती है ख़्वाबों के आसमान में ज़हन की परतों से निकल। नहीं होना इस आज़ाद रूह को किसी कोने में दफ़्न जहाँ अहसासों का कोई मोल नहीं।
यूँ तो कवितायें रचनाकार की भावनायें होती हैं मगर हर कोई उसका अर्थ अपने - अपने नज़रिये से अलग - अलग निकालता है। सौंदर्य पूर्णतया अर्थ में ही निहित होता है और मनजीत राजबीर जी की कवितायें अर्थ को पाठक तक सरलता से पहुँचाने में कामयाब हैं। कहने और समझने के बीच की दूरी तय करते इनके अहसास ख़ूबसूरती से कविताओं में ढ़ले हैं।