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KALA SACH / काला सच

Author Name: Ram Pratap Singh | Format: Paperback | Genre : Biographies & Autobiographies | Other Details

यह  उपन्यास एक कहानी संग्रह है |इसमें आप पायेंगे एक बेरोजगार युवक   रोजगार की तलास में मुम्बई में भटकता फिरता है और फिर हालातों ने उसे  ‘जिगोलो’ अर्थात पुरुष वेश्या बना दिया, एक दलाल ने गरीब लडकी को काम का वादा देकर दिल्ली ले गया और उसे ‘जी बी रोड’ के वेश्यालय  में बेच दिया, , पंजाब के नवयुवक और नवयुवतियां ‘कनाडा जाने के ख्वाब’ में अपना जीवन और सम्पत्ती  बर्बाद कर रहे हैं और अपने ही प्रियजनों के द्वारा ठगे जाते हैं,भारत में धर्म के नाम पर ‘धर्मांध मुस्लिम’ हिन्दुओं की गला काट कर ह्त्या कर रहे हैं, ‘नक्सलवाद’ के नाम पर गरीब आदिवासियों की जिन्दगी  नरक बन गयी है; सन 2008 में ‘26/11’ के हमले में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 160 निर्दोष लोगों की ह्त्या कर दी और 300 लोगों को घायल कर दिया, ‘ट्रांसजेंडर’ या ‘गे’ पैदा होना क्या किसी व्यक्ति के अपने वश में हैं? नहीं ना ; फिर उन्हें हेय दृष्टि से देखना कहाँ तक उचित है? अपने परिवार के लोग ही किसी की सम्पति हड़पने के लिए उसे ‘मृतक’ घोषित कर देते हैं और अपने आप को ज़िंदा साबित करने के लिए एक उम्र बीत जाती है | क्या यही प्रशासन और न्याय व्यवस्था है? 

यह उपन्यास ऐसी ही  कहानियों का संग्रह है जिसके पात्रों को किसी न किसी रूप में  मैंने अपने जीवन में देखा है, उनके बारे में  सुना है और पढ़ा है|इसकी कहानियां आपको  रोमांचित कर देंगी  मैं चाहता हूँ कि आप भी रूबरू हों और एक अच्छे इंसान होने के नाते  उस दर्द को महसूस करें जिसका नाम मानवता है |

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राम प्रताप सिंह

राम प्रताप सिंह भारतीय सेना, मैकनाइज्ड इनफेन्ट्री रेजीमेंट व सीमा सुरक्षा बल में एक सैन्य  अधिकारी थे | उन्हे सैन्य सेवा का 36 वर्षों का अनुभव है| उन्होंने MA(English),LLM, PGDHR (Post Graduate Diploma in Human Rights), DLL&LW (Diploma in Labour Laws and Labour Welfare),Diploma in Cyber Laws, MDBA(Master Diploma in Business Administration)में मास्टर्स डिग्री व डिप्लोमा हासिल किया है | सैन्य सेवा से मुक्त होने के बाद उन्होंने  वकालत का पेशा भी अपनाया | अब वह अपना पूरा समय पठन-पाठन व लेखन में देते हैं |काला सच  हिन्दी भाषा मे लिखा गया  उनका इक्कीसवां उपन्यास है |

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