यह साहित्य ‘व्यक्ति निर्माण‘ के साथ-साथ ‘राष्ट्र निर्माण’ की दिशा में भी एक अति महत्वपूर्ण व पहला कदम है। यह जीवन जीने की कलाओं से सुसज्जित घर-गृहस्थी में काम आने वाला एक अद्भुत व जीवनोपयोगी साहित्य है।
योगेन्द्र पाल सिंह एम. ए.बी. एड. सेवानिवृत्त प्रवक्ता (अर्थशास्त्र) एस. बी. एस.इंण्टर कॉलेज शकरौली
लेखक वर्ष 1996 से गायत्री परिवार (हरिद्वार) से जुड़े, वर्ष 2012 से जदुद्वारा- सेवा संस्थान (सिरसागंज) से जुड़े, वर्ष 2012 से बाबा लटूरी दास आश्रम (कटौरा बुजुर्ग) से जुड़े