४० से ४० करोड़ लिखने के बाद करोड़ों की बातें करने का और लिखने का पूरा हक़ है मुझे , मुंबई शहर में अपनी 7 साल की बेटी के साथ अकेले शुरू किया था ये सफर ,कभी ४० रुपये , कभी 70 रुपये ,तो कभी 26 रुपये का Bank balance हुआ करता था मेरी बैंक का ,पर सपने हमेशा करोड़ों के ही थे।
किसी ज्योतिष ने मेरा हाथ देखकर कहा बहुत संघर्ष है किस्मत में ,पर मैंने जाना किस्मत तो हाथों में होती ही नहीं है हाथों से होती है और मैंने लिखी मेरी और मेरी बच्ची की किस्मत अपने हाथों से ,आज ४० करोड़ बैंक में हो वैसा ही जीवन जी रहे है मैं और मेरी १७ वर्ष की बेटी।
10 वर्षों का संघर्ष मात्र तीन वर्षों में ख़त्म किया है मैंने अपनी सोच बदलकर ,जब मैंने जाना की मेरी आर्थिक स्थिति और मेरा संघर्ष पारिवारिक और सामाजिक वातावरण से मिली सोच का परिणाम है, न की किसी का रईस होना जन्म सिद्ध अधिकार या जिंदगी भर गरीब रहना किसी की किस्मत।
"हमारी ज़िन्दगी हमारी ही सोच का Reflection है और हमारे Actions का result"
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