यह पुस्तक माँ सरस्वती का आशीर्वाद है । कोविड में गतिविधियाँ थम गई, डॉक्टर होने के कारण इस महामारी के सभी पहलुओं की अनुभूति की । उसी दौरान भावनायो का सैलाब कभी किसी के डर ,कभी दुख,कभी महामारी से जीतने की ख़ुशी, कभी महामारी की अनिश्चितता से व्याकुलता के रूप महसूस किया और महसूस करते करते शब्दों में, फिर काव्य में बदल गया । वही से मेरी कविताओं का सफ़र शुरू हुआ और माँ के आशीर्वाद से मैं इस काव्य रचना काव्यश्री तक आ गयीं।काव्यश्री में जीवन के सभी रंगो को सरल, सकारात्मक व प्रेरणात्मक संदर्भ से सजाने की कोशिश है ।