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Khaamoshee ki Khvaahishe / खामोशियों की ख्वाहिशें

Author Name: R. V. Teena | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

खामोशियों की ख्वाहिशें

कुछ ख्वाहिशें जो खामोशी में दबी रह गयी, कुछ खामोशियाँ जो पन्नों पर बिखर गयी, बिफर गए ज़ज़्बात जब अपने हद की सीमा को लाँघ, तब ही तो एहसासों की कविताएँ सजों दी गयी। 

बहुत कुछ हो जब कहने को, लेकिन शब्दों की कतार एक धुरी पर ही अटक जाए, किसी बंद घड़े में छुपे हुए खजाने की तरह, वो बातें, वो इजहार कहीं भीतर ही दबा रह जाए, बस वहीं पनप जाती हैं, खामोशी की ख्वाहिशें नाम के वृक्ष की नव कोपलें। 

ऐसी ही कुछ मुझसे, मेरे दिल से जुड़ी बातें, जो मैं चाह कर भी बयाँ नही कर पायी, वो सपने जिन्हें खुली आँखों से देखा था, जिनके जीवंत होने का ख्वाब है मुझे साँसे देता रहा, और बस वो ही पूरा नहीं हो पाया, ऐसे ही मेरी भावनाएं, मेरे सपने, मेरी यादों की बस्ती है मेरी "खामोशियों की ख्वाहिशें"

इसका हर शब्द उसी के लिए है, उसी शख़्स को संबोधित करता है, जिससे जुड़ी हैं मेरी खामोशियाँ और जिसके साथ पूरी हो जायेंगी मेरे जीवन की सभी ख्वाहिशें।। 

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आर.वी.टीना

आर.वी.टीना, बीकानेर, राजस्थान से संबंध रखती हैं। इन्होंने एमजीएसयू, बीकानेर से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और वर्तमान में होमियोपैथिक चिकित्सा में अध्ययनरत हैं। लेखन उनकी महत्वाकांक्षा है, और यहां तक ​​की उनका जुनून भी। वह अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना पसंद करती हैं, जो लोगों से कहा नहीं जाता ये उन्हें शब्दों में पिरोकर पन्नों पर बिखेर देती हैं।

उनकी लेखन प्रेरणा उनके पिता हैं, और इस तरह उनकी मां का भी पूरा समर्थन है।

इस पुस्तक में लिखा हर एक पहलू इन्हें खुद से जुड़ा महसूस होता है। शीर्षक "खामोशी की ख्वाहिशें" कुछ दबे से अनकहे अहसासों का एक बंद पिटारा है जो इन्होंने पुस्तक के माध्यम से साझा करने का प्रयास किया है। इसमें अंकित हर शब्द इनकी भावनाओं का परिचायक है जिसके प्रत्येक ख्याल को इन्होंने सोच की हांडी में सैला सैला पकाकर शिद्दत से मन के टुकड़ों पर बिखेरकर फिर से उसे जोड़ा है तब जाकर आपके सामने कुछ पन्नों का ये दर्पण प्रस्तुत है। हर कार्य को लेकर इनका एक सकारात्मक पहलू है, कि अभी तो सिर्फ बीज बोया है गुलाब खिलना बाकी है। बाकि जो इन्हें पढ़ता है, इनके बारे में खुदबखुद जान जाता है।।

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