मैं कविता के बारे में इतना ही कहना चाहता हूं की कविता हमारे अंदर ही होती है ।हमारी संवेदना और हमारी अंतरात्मा के अंदर रहती है। मुझे लगता है कविता मेरे अंदर मेरे मन और मेरी आत्मा को जोड़ने वाले पुल का काम करती है। कविता हमें वह दृष्टि देती है जिससे हम वह देख सकते हैं जो साधारण आंखों से नहीं देख सकते। कुछ घटनाएं ,कुछ यादें, और कुछ बातें हमारे अंतर्मन में अंकित हो जाती हैं ।जिसे हम कभी भूल कर भी भूल नहीं सकते । वही चीजें अपने आप कविताओं का हिस्सा बन जाती हैं।मैं कभी सोच समझकर नहीं लिखता मैं तो तभी लिखता हूँ। जब मुझे कूछ बेचैन करता है ।कविता बेचैनी से सहजता की ओर जाता रास्ता है मैं मानता हूँ कि कविता उलझे हुए मन को सरलता की ओर ले जाती है ।