प्रस्तुत पुस्तक “खेती किसानी और पशुपालन“ देश के विश्वविद्यालयों में अध्यनरत कृषि स्नातक के छात्रों और देश के आमजन के अनुरूप मातृ भाषा हिन्दी में लिखी गई है। खेती किसानी और पशुपालन की आधुनिक समस्याओं पर पर अंग्रेजी भाषा में अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं, परन्तु हिन्दी भाषा पाठ्यक्रम के अनुसार पुस्तकें नगण्य ही है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह पुस्तक बहुत ही संक्षिप्त व सरल भाषा में लिखी गई है ताकि विधार्थियों को विषय को समझने में कोई कठिनाई नही हो। इस पुस्तक में जो 50 अध्याय सम्मिलित किये गये हैं, उन्हें सरल सुबोध बनाने का यथासंभव प्रयास किया गया है।
कृषि और उसके संबद्ध क्षेत्रों पशुपालन में श्रमिकों की व्यापक भागीदारी है क्योंकि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बहुत कम हैं और पशुपालन पर निर्भर है। वर्तमान पुस्तक जमीनी स्तर पर कृषि और पर्यावरण संकट का पता लगाने और इसका विश्लेषण करने पर केंद्रित है। नई एग्रो तकनीक और गैर-कृषि रोजगार में पशुपालन रोजगार पैदा करके ग्रामीण बनिुयादी ढाँचे का उन्नयन करने की आवश्यकता है जो ग्रामीण परिवारों के बीच गरीबी को कम करेगा। हमें उम्मीद है कि वर्तमान वर्तमान पुस्तक खेती किसानी और पशुपालन के गतिशील और सतत विकास के लिए एक रणनीति विकसित करने में सभी हितधारकों के लिए फायदेमद होगी.