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Kuch baaten meri bhi... / कुछ बातें मेरी भी... कभी ख्वाहिशों से, कभी उम्मीदों से, कुछ ख्वाब लिखती हूँ ।

Author Name: Kanchan Agarwal | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

“कुछ बातें मेरी भी…” एक ऐसा कविता-संग्रह है जिसमें 106 कविताएँ दिल से निकले उन एहसासों को समेटे हुए हैं, जिन्हें हम अक्सर महसूस तो करते हैं पर कह नहीं पाते । ये किताब उन ख़ामोश लम्हों, अनकही बातों, टूटे सपनों, छोटी खुशियों, और रिश्तों की जटिलताओं की कहानी बयां करती है,
जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बनकर भी अक्सर हमसे छूट जाती हैं । हर कविता में आपको—कहीं आपका अपना अक्स दिखेगा, कहीं कोई पुरानी याद ताज़ा होगी, कहीं अधूरेपन की चुभन होगी, और कहीं उम्मीद की हल्की-सी किरण भी ।

इस संग्रह की खासियत इसकी सादगी है—ये कविताएँ पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे कोई आपके पास बैठकर आपकी ही कहानी आपको सुना रहा हो।

106 कविताओं का यह सफ़र, पाठकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाता है जहाँ शब्द सिर्फ पढ़े नहीं जाते बल्कि महसूस किए जाते हैं । अगर आप भावनाओं को दिल से जीते हैं, अगर आपको शब्दों में छुपी सच्चाई छू जाती है, अगर आप रिश्तों, यादों और ख्वाहिशों को अपने भीतर कहीं संभाल कर रखते हैं—
तो “कुछ बातें मेरी भी…” आपके लिए ही है ।

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कंचन अग्रवाल

कंचन अग्रवाल को लिखना हमेशा से प्रिय रहा है – चाहे वो प्रोग्रामिंग के कोड हों या दिल को छू लेने वाली कविताएँ और कहानियाँ । गुरुग्राम में रहने वाली कंचन हँसते हुए कहती हैं कि वह “Software Engineer by Chance, Writer by Choice” हैं । लिखने के अलावा उन्हें किताबों की दुनिया में खो जाना, भावनाओं पर आधारित कहानियाँ पढ़ना और अपनी बात को कविताओं और कहानियों में ढालना बेहद पसंद है । 

उनका मानना है कि लिखने का असली उद्देश्य ऐसे शब्द गढ़ना है जो लोगों को अपने ही जीवन की याद दिलाएँ और उनमें छुपी भावनाओं को बाहर लाएँ । यही वजह है कि वो अपनी कविताएँ और कहानियाँ अपने इंस्टाग्राम पेज पर साझा करती हैं, जिन्हें आज 53K+ से ज़्यादा लोग फॉलो करते हैं और हर पोस्ट पर ढेर सारा प्यार देते हैं ।

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर से आने वाली कंचन ने जीवन के हर छोटे-बड़े अनुभव को बहुत गहराई से महसूस किया है । उन्हीं अनुभवों का सार उनकी इस पहली किताब में झलकता है । वह मानती हैं कि ज़िंदगी के संघर्ष और रिश्तों के उतार-चढ़ाव हमें नया दृष्टिकोण देते हैं । कंचन कहती हैं कि उनके इस लेखन सफ़र में उनके पति और दो प्यारी बेटियाँ हमेशा उनकी सबसे बड़ी ताक़त रही हैं । उनका प्यार और साथ ही कंचन को बार-बार लिखने, खुद को निखारने और अपने शब्दों के ज़रिए और लोगों तक पहुँचने की हिम्मत देता रहा है ।

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