दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक कर्म में दूसरे भाग्य में विश्वास रखने वाले । दोनों का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं जर्मनी का हिटलर, व यूनान का सिकन्दर दोनों ने अपने बलबूते पर पूरे जगत को प्रभावित किया । किन्तु दोनों में से कोई भी अपना भविष्य न बाल्यअवस्था में जान पाया न तब जब, पूरा जगत उनके बाहुबल के सामने नतमस्तक था । क्योंकि नियति का खेल ही ऐसा है, जिसमें कोई नियम कानून, अथवा कोई तर्क वितर्क नहीं चलता । उपर बैठा ईश्वर अपने हिसाब से प्यादे रूपी इंसानों को चलता रहता है । और हम उसे अपनी मेहनत, प्रतिभा अथवा भाग्य का नाम दे देते हैं । विधि के विधान के इसी चमत्कार का एक छोटा सा अंश है, इस कहानी लंकेश में । जिसमें एक सामान्य से बालक लक्खु की लंकेश बनने की कहानी है ।
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