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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
मेरी ये पुस्तक मेरी कविताओं का संग्रह है, जिसमें प्रेम, देश प्रेम, बालगीत, वियोग, जीवन दर्शन आदि जीवन के अलग-अलग भावों को छूती हुई कवितायेँ हैं । पिछले बीस वर्षों के परिश्रम का परि
मेरी ये पुस्तक मेरी कविताओं का संग्रह है, जिसमें प्रेम, देश प्रेम, बालगीत, वियोग, जीवन दर्शन आदि जीवन के अलग-अलग भावों को छूती हुई कवितायेँ हैं । पिछले बीस वर्षों के परिश्रम का परिणाम है ये कविता संग्रह ।
द्वापर युग के महाभारतकालीन अपराजित योद्धा पितामह भीष्म के पश्चात वीर उधमसिंह के अतिरिक्त अन्य कोई महापुरुष सम्पूर्ण विश्व के इतिहास में दूर दूर तक भी दिखाई नहीं देता जो अपनी प
द्वापर युग के महाभारतकालीन अपराजित योद्धा पितामह भीष्म के पश्चात वीर उधमसिंह के अतिरिक्त अन्य कोई महापुरुष सम्पूर्ण विश्व के इतिहास में दूर दूर तक भी दिखाई नहीं देता जो अपनी प्रतिज्ञा के लिए इतना समर्पित रहा हो जितना कि ये दोनों महापुरुष रहे हैं । क्रांतिवीर उधम सिंह ने बीस वर्षों के लम्बे अन्तराल तक अपनी प्रतिज्ञा की रक्षा करते हुए अंततः अपने प्राणों का बलिदान कर दिया । इस पुस्तक में वीर उधमसिंह के इसी धैर्य, साहस और बलिदान के बारे में विस्तार से लिखा है । इस पुस्तक में पश्चिम देशों की उपनिवेशवाद की अतृप्त तृष्णा के परिणामस्वरूप मिले दोनों विश्वयुद्धों के बारे में, और कोलंबस व वास्कोडिगामा के वास्तविक ध्येय पर भी चर्चा की गयी है जिसे इतिहासकारों ने हम से छिपा कर मात्र दोनों का महिमामंडन ही किया है । इस पुस्तक में अंग्रेजों की न्याय व्यवस्था में अथाह श्रद्धा रखने वाले तत्कालीन भारतीय शीर्ष राजनैतिक नेतृत्व और ग़दर पार्टी जैसे राष्ट्रभक्त दलों के बारे में भी विस्तार से लिखा गया है, ग़दर पार्टी उन राष्ट्र भक्तों की पार्टी थी जिन्होंने 1957 की क्रांति के पश्चात फिर से अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति करने का प्रयास किया, और अंग्रेजों को इतना भयभीत कर दिया कि अंग्रेजों ने अपनी सेना को भी शस्त्रविहीन कर दिया था । और इस पुस्तक में डायर नाम के भ्रमजाल को भी दूर करने की कोशिश की है, जिससे ये पता चलता है कि डायर नाम के एक नहीं बल्कि दो व्यक्ति थे । इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए और भी बहुत सी अद्भुत व अनकही जानकारियों का संग्रह है ये पुस्तक क्रांतिवीर उधमसिंह ।
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक कर्म में दूसरे भाग्य में विश्वास रखने वाले । दोनों का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं जर्मनी का हिटलर, व यूनान का सिकन्दर दोनों ने अपने बलबूते पर पूरे जग
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक कर्म में दूसरे भाग्य में विश्वास रखने वाले । दोनों का प्रत्यक्ष उदाहरण हैं जर्मनी का हिटलर, व यूनान का सिकन्दर दोनों ने अपने बलबूते पर पूरे जगत को प्रभावित किया । किन्तु दोनों में से कोई भी अपना भविष्य न बाल्यअवस्था में जान पाया न तब जब, पूरा जगत उनके बाहुबल के सामने नतमस्तक था । क्योंकि नियति का खेल ही ऐसा है, जिसमें कोई नियम कानून, अथवा कोई तर्क वितर्क नहीं चलता । उपर बैठा ईश्वर अपने हिसाब से प्यादे रूपी इंसानों को चलता रहता है । और हम उसे अपनी मेहनत, प्रतिभा अथवा भाग्य का नाम दे देते हैं । विधि के विधान के इसी चमत्कार का एक छोटा सा अंश है, इस कहानी लंकेश में । जिसमें एक सामान्य से बालक लक्खु की लंकेश बनने की कहानी है ।
किसी महापुरूष की महानता इतिहासकारों की कलम के उपकार की दास नहीं होती, कि जिसे इतिहासकार महान कह दें वो ही महान कहलाए । कुछ महान व्यक्तित्व ऐसे भी होते हैं, जो इतिहास के पन्नों में
किसी महापुरूष की महानता इतिहासकारों की कलम के उपकार की दास नहीं होती, कि जिसे इतिहासकार महान कह दें वो ही महान कहलाए । कुछ महान व्यक्तित्व ऐसे भी होते हैं, जो इतिहास के पन्नों में नहीं, सीधे हृदय में स्थान बना लेते हैं । भारतीय इतिहास में ऐसे बहुत से महापुरूष हुए हैं जिनको इतिहासकारों ने काल के अन्धेरों में धकेलने का प्रयास किया है । किन्तु उनके व्यक्तित्व के तेज का प्रकाश उन अन्धेरों को चीर कर करोडों राष्ट्रभक्तों के हृदयों को प्रकाशवान कर गया है । उन महापुरूषों के व्यक्तित्व का आर्कषण व उनका राष्ट्रप्रेम उन्हें कालजयी बना गया । ऐसे ही एक महापुरूष का नाम है पंडित नाथूराम विनायक गोडसे । जिनका राष्ट्रप्रेम व बलिदान किसी भी महान व्यक्ति से लेशमात्र भी कम नहीं है । इस पुस्तक में हम जानेगें, क्यों गांधी भक्त पंडित नाथूराम गोडसे, गांधी वध करने को विवश हो गए ? आखिर गांधीवाद और राष्ट्रवाद में वास्तविक भेद क्या है ? किसी एक महापुरूष को राष्ट्रभक्त कह देने से दूसरे का अपमान संभव है ? यदि नहीं तो गांधीवादी क्यों नाथूराम गोडसे को राष्ट्रभक्त कहने से भडक उठते हैं ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में देने का प्रयास किया गया है ।
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