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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palद्वापर युग के महाभारतकालीन अपराजित योद्धा पितामह भीष्म के पश्चात वीर उधमसिंह के अतिरिक्त अन्य कोई महापुरुष सम्पूर्ण विश्व के इतिहास में दूर दूर तक भी दिखाई नहीं देता जो अपनी प्रतिज्ञा के लिए इतना समर्पित रहा हो जितना कि ये दोनों महापुरुष रहे हैं । क्रांतिवीर उधम सिंह ने बीस वर्षों के लम्बे अन्तराल तक अपनी प्रतिज्ञा की रक्षा करते हुए अंततः अपने प्राणों का बलिदान कर दिया । इस पुस्तक में वीर उधमसिंह के इसी धैर्य, साहस और बलिदान के बारे में विस्तार से लिखा है । इस पुस्तक में पश्चिम देशों की उपनिवेशवाद की अतृप्त तृष्णा के परिणामस्वरूप मिले दोनों विश्वयुद्धों के बारे में, और कोलंबस व वास्कोडिगामा के वास्तविक ध्येय पर भी चर्चा की गयी है जिसे इतिहासकारों ने हम से छिपा कर मात्र दोनों का महिमामंडन ही किया है । इस पुस्तक में अंग्रेजों की न्याय व्यवस्था में अथाह श्रद्धा रखने वाले तत्कालीन भारतीय शीर्ष राजनैतिक नेतृत्व और ग़दर पार्टी जैसे राष्ट्रभक्त दलों के बारे में भी विस्तार से लिखा गया है, ग़दर पार्टी उन राष्ट्र भक्तों की पार्टी थी जिन्होंने 1957 की क्रांति के पश्चात फिर से अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति करने का प्रयास किया, और अंग्रेजों को इतना भयभीत कर दिया कि अंग्रेजों ने अपनी सेना को भी शस्त्रविहीन कर दिया था । और इस पुस्तक में डायर नाम के भ्रमजाल को भी दूर करने की कोशिश की है, जिससे ये पता चलता है कि डायर नाम के एक नहीं बल्कि दो व्यक्ति थे । इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए और भी बहुत सी अद्भुत व अनकही जानकारियों का संग्रह है ये पुस्तक क्रांतिवीर उधमसिंह ।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.जयराज सेलवान
स्वयं के बारे में कहने को बहुत कुछ तो नहीं है किन्तु एक परम्परा है कि पुस्तक में लेखक का परिचय देना अनिवार्य सा होता है, इसलिए स्वयं का परिचय इतना भर है कि मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के बिलासपुर ग्राम में हुआ, और प्राथमिक शिक्षा उत्तराखंड के देवभूमि क्षेत्र चमोली जिले के नारायणबगड नामक स्थान (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) पर हुई । दसवीं नारायणबगड से करते ही पिताजी का स्थानान्तरण गोपेश्वर हो गया जो कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे तो मेरी भी बाकी की पढाई गोपेश्वर (चमोली) के श्री 1008 गीता स्वामी राजकीय इन्टर कालेज से हुई । और उसके पश्चात बी.ए. की पढाई गोपेश्वर महाविद्यायल से पूर्ण की । लिखने में रूचि दसवीं से आरम्भ हो चुकी थी सो फिल्मों में गीतकार बनने के उद्देश्य को लेकर सन् 2000 में मुम्बई आ गया । कुछ एक फिल्मों में गीत, भजन व सिंगल विडियो एल्बम लिखने के पश्चात पुस्तक लिखने को मन प्रेरित हुआ, सो मेरी पहली पुस्तक पंडित नाथूराम गोडसे के पश्चात, लंकेश, और अब ये मेरी तीसरी पुस्तक है “क्रांतिवीर उधमसिंह कम्बोज । इसके कुछ ही दिनों के पश्चात मेरी महत्वाकांक्षी पुस्तक महान क्रांतिकारी, भारत में विचारधारा और हिंदुत्व के जनक, महान लेखक और विचारक स्वातंन्न्यवीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित “कालजयी सावरकर” होगी ।
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