'सोच' एक शब्द होने के साथ साथ ही एक भावना भी है। किन्तु इसके साथ ही ‘सोच’ विचार का एक विषय भी हो सकता है। उस समय इसका महत्व ओर भी अधिक बढ़ जाता है। किस प्रकार, किस विषय पर, क्यों और क्या सोचना है? यह बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है। इस प्रकार की सोच के अंतर्गत ही कुछ विभिन्न पहलुओं पर चर्चा व विवेचना करने का प्रयास किया गया है।
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