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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
कुछ क्षण ! कई बार कुछ क्षण ही मनुष्य के लिए पर्याप्त होते हैं उस की सोच, उसकी विचारधारा एवं उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तित कर देने के लिए। इस पुस्तक को लिखते समय क्षण प्रति
कुछ क्षण ! कई बार कुछ क्षण ही मनुष्य के लिए पर्याप्त होते हैं उस की सोच, उसकी विचारधारा एवं उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तित कर देने के लिए। इस पुस्तक को लिखते समय क्षण प्रतिक्षण इस बात को ध्यान में रखने का प्रयास किया गया है कि इसको पढ़ने से पाठक के सोचने व समझने से उनका दृश्टिकोण प्रभावित हो सके तथा उसमें तत्क्षण ही अकस्मात परिवर्तन आ सके। जिससे कि उसके जीवन की धारा ही परिवर्तित हो जाए।
स्वप्न विज्ञान ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई प्रश्न अभी भी अनुत्तरित हैं। कुछ लोग अपने सपनों को दूसरों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से क्यों याद रखते हैं? क्या सपनों को
स्वप्न विज्ञान ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई प्रश्न अभी भी अनुत्तरित हैं। कुछ लोग अपने सपनों को दूसरों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से क्यों याद रखते हैं? क्या सपनों को नियंत्रित या हेरफेर किया जा सकता है? और बुरे सपनों का उद्देश्य क्या है? ये कुछ रहस्य हैं जो स्वप्न शोधकर्ताओं को आकर्षित करते रहते हैं।
निष्कर्ष में, स्वप्न विज्ञान एक आकर्षक क्षेत्र है जो हमारे सोते हुए दिमाग के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करता है। उन्नत न्यूरोइमेजिंग तकनीकों और वैज्ञानिक सिद्धांतों के उपयोग के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने सपने देखने के पीछे के तंत्र को समझने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सपने केवल यादृच्छिक छवियां और संवेदनाएं नहीं हैं; वे स्मृति समेकन, भावनात्मक प्रसंस्करण और संभावित रूप से खतरे के अनुसरण में महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। जैसे-जैसे स्वप्न विज्ञान विकसित होता जा रहा है, हम सपनों की प्रकृति और हमारे जीवन में उनके महत्व के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
'ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है।' यह एक ऐसा स्वाभाविक प्रश्न है जो कई लोगों के दिलो दिमाग में यदाकदा उभर ही आता है। जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य में निराशा की नकारात्मक भावना उत्प
'ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है।' यह एक ऐसा स्वाभाविक प्रश्न है जो कई लोगों के दिलो दिमाग में यदाकदा उभर ही आता है। जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य में निराशा की नकारात्मक भावना उत्पन्न होती है। किन्तु यदि मनुष्य में ऎसी भावना की उत्पत्ति होती भी है, तो क्यों होती है। इसका कारण क्या है ? क्या इसका कोई उत्तर है ? कोई समाधान है ? क्या ऐसे उद्वेग से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है? यह विचारणीय है। इस पर एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं जाने की आवश्यकता है।
'मरने से पहले' विषय का सम्बन्ध हमारे उस समय से है जब मनुष्य मौत के सम्मुख होता है या उसे इस बात का आभास हो गया होता है कि अब वह मरने ही वाला है। उसकी मौत उससे अब कुछ ही अंतराल पर है।
'मरने से पहले' विषय का सम्बन्ध हमारे उस समय से है जब मनुष्य मौत के सम्मुख होता है या उसे इस बात का आभास हो गया होता है कि अब वह मरने ही वाला है। उसकी मौत उससे अब कुछ ही अंतराल पर है। यह कभी भी आ सकती है। आज ! एक सप्ताह के पश्चात ! एक माह के पश्चात या फिर एक वर्ष के पश्चात ! कभी भी उसे उसके क्षणभंगुर जीवन से छीन कर जीवन मरण की सीमा के पार उस अनंत की ओर ले जा सकती है, जिसके विषय में अनंत काल से मात्र कल्पना, मनन तथा वैज्ञानिक अनुसंधान ही किये जा रहे है, किन्तु निश्चित रूप से अभी तक इस विषय में कुछ भी नहीं कहा जा सका है।
इसके पहले कि मेरे सुधि पाठक इस उपन्यास को पढ़ना आरम्भ करें, मैं उन्हें सावधान कर देना अपना कर्तव्य समझता हूँ कि यह ‘रूह कांपती है' एक बहुत ही भयानक उपन्यास है और इस का अधिकांश भ
इसके पहले कि मेरे सुधि पाठक इस उपन्यास को पढ़ना आरम्भ करें, मैं उन्हें सावधान कर देना अपना कर्तव्य समझता हूँ कि यह ‘रूह कांपती है' एक बहुत ही भयानक उपन्यास है और इस का अधिकांश भाग पूर्णतया सत्य है। कृपा कमजोर दिल के पाठक इस उपन्यास को पढ़ने का जोखिम ना उठाएं।
इस उपन्यास का कथानक उनके स्वास्थ्य एवं भावनाओं को आहत भी कर सकता है। इसे पढ़ने वाला कोई भी पाठक कभी भी किसी भी समय अकेले में या रात को पढ़ने पर रात के समय डर सकता है।
इस उपन्यास को लिखते समय तो कई बार मैं भी भयभीत हो जाता था। मुझे भी अपने आसपास भयावने वातावरण का आभास होने लगता था और कंपकंपी सी छा जाती थी।
इसलिए ही ऐसे पाठकों से जिन्होंने इस उपन्यास को अपने हाथ में लिया हुआ है और इसे पढ़ने की इच्छा रखते हैं, उन से मैं निवेदन करना चाहूँगा कि इसे एक ही बार और वो भी रात के समय एकांत में पढ़ने का प्रयास ना करें।
इसके पहले कि मेरे सुधि पाठक इस उपन्यास को पढ़ना आरम्भ करें, मैं उन्हें सावधान कर देना अपना कर्तव्य समझता हूँ कि यह ‘रूह कांपती है' एक बहुत ही भयानक उपन्यास है और इस का अधिकांश भ
इसके पहले कि मेरे सुधि पाठक इस उपन्यास को पढ़ना आरम्भ करें, मैं उन्हें सावधान कर देना अपना कर्तव्य समझता हूँ कि यह ‘रूह कांपती है' एक बहुत ही भयानक उपन्यास है और इस का अधिकांश भाग पूर्णतया सत्य है। कृपा कमजोर दिल के पाठक इस उपन्यास को पढ़ने का जोखिम ना उठाएं।
इस उपन्यास का कथानक उनके स्वास्थ्य एवं भावनाओं को आहत भी कर सकता है। इसे पढ़ने वाला कोई भी पाठक कभी भी किसी भी समय अकेले में या रात को पढ़ने पर रात के समय डर सकता है।
इस उपन्यास को लिखते समय तो कई बार मैं भी भयभीत हो जाता था। मुझे भी अपने आसपास भयावने वातावरण का आभास होने लगता था और कंपकंपी सी छा जाती थी।
इसलिए ही ऐसे पाठकों से जिन्होंने इस उपन्यास को अपने हाथ में लिया हुआ है और इसे पढ़ने की इच्छा रखते हैं, उन से मैं निवेदन करना चाहूँगा कि इसे एक ही बार और वो भी रात के समय एकांत में पढ़ने का प्रयास ना करें।
मरीचिका तो अंतत: मरीचिका ही होती है, चाहे किसी भी वस्तु के प्रति हो। फिर इसका कोई अंत भी तो नहीं होता। दौड़ता दौड़ता इंसान थक हार कर बैठ जाता है। राधिका की भी कुछ ऎसी ही अवस्था
मरीचिका तो अंतत: मरीचिका ही होती है, चाहे किसी भी वस्तु के प्रति हो। फिर इसका कोई अंत भी तो नहीं होता। दौड़ता दौड़ता इंसान थक हार कर बैठ जाता है। राधिका की भी कुछ ऎसी ही अवस्था थी। उस की भी हर आस समय के साथ साथ टूटती चली जा रही थी।
"माधव ! मेरी बात ध्यान से सुनो। मैं आपको अपने जीवन की एक सब से बड़ी सच्चाई बताने जा रही हूँ।” क्षणभर चुप रहने के पश्चात राधिका ने कहना आरम्भ किया, "यह सच है माधव कि मैं आपको बहुत ही अधिक प्यार करती हूँ। जिस दिन मैं पहली बार आपसे मिली थी, तब से ही मैं आपको चाहने लगी थी, लेकिन जिस दिन दुर्घटना मैं घायल हो गई थी और आपने मुझे अपना रक्त दिया था, तब से मानों मैंने अपना सर्वस्व ही आपके नाम कर दिया।
प्यार का यह भी कैसा दीवानापन है कि राधिका अभी भी सबकी नज़रों से बचती हुई बालकनी में आकर सामने गेट की और ही निहार रही थी। यहां पर कम से कम वह तो नहीं ही था, जिसे वह अपनों परायों की भीड़ में ढूँढने का प्रयास कर रही थी।
मरीचिका तो अंतत: मरीचिका ही होती है, चाहे किसी भी वस्तु के प्रति हो। फिर इसका कोई अंत भी तो नहीं होता। दौड़ता दौड़ता इंसान थक हार कर बैठ जाता है। राधिका की भी कुछ ऎसी ही अवस्था
मरीचिका तो अंतत: मरीचिका ही होती है, चाहे किसी भी वस्तु के प्रति हो। फिर इसका कोई अंत भी तो नहीं होता। दौड़ता दौड़ता इंसान थक हार कर बैठ जाता है। राधिका की भी कुछ ऎसी ही अवस्था थी। उस की भी हर आस समय के साथ साथ टूटती चली जा रही थी।
"माधव ! मेरी बात ध्यान से सुनो। मैं आपको अपने जीवन की एक सब से बड़ी सच्चाई बताने जा रही हूँ।” क्षणभर चुप रहने के पश्चात राधिका ने कहना आरम्भ किया, "यह सच है माधव कि मैं आपको बहुत ही अधिक प्यार करती हूँ। जिस दिन मैं पहली बार आपसे मिली थी, तब से ही मैं आपको चाहने लगी थी, लेकिन जिस दिन दुर्घटना मैं घायल हो गई थी और आपने मुझे अपना रक्त दिया था, तब से मानों मैंने अपना सर्वस्व ही आपके नाम कर दिया।
प्यार का यह भी कैसा दीवानापन है कि राधिका अभी भी सबकी नज़रों से बचती हुई बालकनी में आकर सामने गेट की और ही निहार रही थी। यहां पर कम से कम वह तो नहीं ही था, जिसे वह अपनों परायों की भीड़ में ढूँढने का प्रयास कर रही थी।
There is some higher spirit or almighty guiding our way. Even a particle cannot move without its supreme will and works purely on the universal principle of truth. When our life is attuned with truth it protects us and fulfils all our needs. However, when we depart from truth the seeds of illusion overshadow the mind and we get enmeshed into karmic cycle of birth and rebirth, pleasure and sorrows etc. In this scenario the truth still prevails but we get derail
There is some higher spirit or almighty guiding our way. Even a particle cannot move without its supreme will and works purely on the universal principle of truth. When our life is attuned with truth it protects us and fulfils all our needs. However, when we depart from truth the seeds of illusion overshadow the mind and we get enmeshed into karmic cycle of birth and rebirth, pleasure and sorrows etc. In this scenario the truth still prevails but we get derailed and covered by illusion. This vicious cycle keeps recurring until mind obeys the universal laws. After surrender to the universal spirit, the mind turns into a universal mind or pure consciousness and becomes part and parcel of almighty. After getting realization of self, the nature follows all its commands and obeys it. Then whatever is- uttered becomes truth, reflected becomes enlightening, and embraced becomes blissful.
There is some higher spirit or almighty guiding our way. Even a particle cannot move without its supreme will and works purely on the universal principle of truth. When our life is attuned with truth it protects us and fulfils all our needs. However, when we depart from truth the seeds of illusion overshadow the mind and we get enmeshed into karmic cycle of birth and rebirth, pleasure and sorrows etc. In this scenario the truth still prevails but we get derail
There is some higher spirit or almighty guiding our way. Even a particle cannot move without its supreme will and works purely on the universal principle of truth. When our life is attuned with truth it protects us and fulfils all our needs. However, when we depart from truth the seeds of illusion overshadow the mind and we get enmeshed into karmic cycle of birth and rebirth, pleasure and sorrows etc. In this scenario the truth still prevails but we get derailed and covered by illusion. This vicious cycle keeps recurring until mind obeys the universal laws. After surrender to the universal spirit, the mind turns into a universal mind or pure consciousness and becomes part and parcel of almighty. After getting realization of self, the nature follows all its commands and obeys it. Then whatever is- uttered becomes truth, reflected becomes enlightening, and embraced becomes blissful.
स्वर्ग का मार्ग एक विचार है जो हमें आध्यात्मिकता, नैतिकता और उच्चतम मानकों की दिशा में प्रेरित करता है। यह हमें इस बात पर विश्वास करने की प्रेरणा देता है कि अच्छे कर्मों और उच्च
स्वर्ग का मार्ग एक विचार है जो हमें आध्यात्मिकता, नैतिकता और उच्चतम मानकों की दिशा में प्रेरित करता है। यह हमें इस बात पर विश्वास करने की प्रेरणा देता है कि अच्छे कर्मों और उच्च आदर्शों के माध्यम से हम आत्मा की उन्नति की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।
यह शब्द न केवल आत्मा की उन्नति के विचार को ही प्रकट करते हैं, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि सफलता के लिए कठिनाइयों का सामना करना आवश्यक होता है। सफलता की सीढ़ी की ओर बढ़ते समय हमें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना तो करना पड़ता है, लेकिन इसके लिए हमारी संघर्षशीलता और संघर्ष की भावना ही हमें सदैव जीवन में उच्चतम मानकों की ओर बढ़ने में सहायता करती है।
पुस्तक का प्रारंभ जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करने की महत्वपूर्णता पर ध्यान केंद्रित करता है। यह जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट करने और उसे प्राप्त करने के लिए दिशा प्रदान करता है।
पुस्तक का प्रारंभ जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करने की महत्वपूर्णता पर ध्यान केंद्रित करता है। यह जीवन के उद्देश्य को स्पष्ट करने और उसे प्राप्त करने के लिए दिशा प्रदान करता है। सपनों के महत्व को बताते हुए, यह पुस्तक पढ़ने वालों को सपनों को वास्तविकता में बदलने के लिए प्रेरित करती है।
'लक्ष्य कैसे प्राप्त करें' स्वयं में विश्वास और सकारात्मक सोच की महत्वता को प्रोत्साहित करती है और उन्हें संघर्षों के माध्यम से अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए तैयार करती है। यह उन्हें असफलता को एक मौका मानने और सफलता के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है।
साथ ही, यह पुस्तक संघर्षों को पार करने के लिए रणनीति बनाने, स्वयं के लिए जिम्मेदारी उठाने, और अपने अवसरों का उपयोग करने की महत्वता को भी जागरूक करती है। यह पुस्तक सहयोग, टीमवर्क, और स्वास्थ्य के महत्व को भी उजागर करती है, जो एक सफल और संतुलित जीवन के लिए आवश्यक हैं।
मनोबल की शक्ति व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और समस्याओं का सही सामना करने में सहायता करती है। यह उसकी मानसिक स्थिति और आत्मविश्वास की मात्रा को दर्शाती है। इसके साथ ही उसकी संघर
मनोबल की शक्ति व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और समस्याओं का सही सामना करने में सहायता करती है। यह उसकी मानसिक स्थिति और आत्मविश्वास की मात्रा को दर्शाती है। इसके साथ ही उसकी संघर्ष करने की क्षमता और सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर संकेत करती है। यह उसको सकारात्मक सोच और सतत प्रयास की ओर भी बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
इस सब के लिए आवश्यक है मनुष्य के मनोबल की शक्ति का विकास। मनोबल की शक्ति के विकास से ही उसे उच्चतम स्तर पर ले जाया जा सकता है और इससे ही हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करने में सफल हो सकते हैं।
मनोबल, हमारे मानसिक स्वास्थ्य और जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विशेष: मानसिक स्थिति, सोचने की क्षमता, आत्म-संयम और समस्याओं के सामना करने की क्षमता में प्रकट होता है। मनोबल की शक्ति हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करने और सभी प्रकार की कठिनाईओं का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण होती है।
स्वप्न विज्ञान ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई प्रश्न अभी भी अनुत्तरित हैं। कुछ लोग अपने सपनों को दूसरों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से क्यों याद रखते हैं? क्या सपनों को
स्वप्न विज्ञान ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन कई प्रश्न अभी भी अनुत्तरित हैं। कुछ लोग अपने सपनों को दूसरों की तुलना में अधिक स्पष्ट रूप से क्यों याद रखते हैं? क्या सपनों को नियंत्रित या हेरफेर किया जा सकता है? और बुरे सपनों का उद्देश्य क्या है? ये कुछ रहस्य हैं जो स्वप्न शोधकर्ताओं को आकर्षित करते रहते हैं।
निष्कर्ष में, स्वप्न विज्ञान एक आकर्षक क्षेत्र है जो हमारे सोते हुए दिमाग के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करता है। उन्नत न्यूरोइमेजिंग तकनीकों और वैज्ञानिक सिद्धांतों के उपयोग के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने सपने देखने के पीछे के तंत्र को समझने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सपने केवल यादृच्छिक छवियां और संवेदनाएं नहीं हैं; वे स्मृति समेकन, भावनात्मक प्रसंस्करण और संभावित रूप से खतरे के अनुसरण में महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। जैसे-जैसे स्वप्न विज्ञान विकसित होता जा रहा है, हम सपनों की प्रकृति और हमारे जीवन में उनके महत्व के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Challenging assumptions and embracing confidence are two intertwined concepts that play a crucial role in personal growth, critical thinking, and success. Assumptions are the beliefs and judgments we hold about ourselves, others and the world around us, which can often be limiting and biased. Embracing confidence, on the other hand, involves recognizing our abilities, strengths, and potential, and having faith in ourselves to overcome challenges and achieve ou
Challenging assumptions and embracing confidence are two intertwined concepts that play a crucial role in personal growth, critical thinking, and success. Assumptions are the beliefs and judgments we hold about ourselves, others and the world around us, which can often be limiting and biased. Embracing confidence, on the other hand, involves recognizing our abilities, strengths, and potential, and having faith in ourselves to overcome challenges and achieve our goals. By actively challenging assumptions and fostering confidence, individuals can break free from self-imposed limitations, explore new possibilities, and unlock their full potential. In this article, we will delve into these concepts, providing examples to illustrate their importance and practical applications.
Everyone lives life, but how many people can live it successfully, is considerable and vital. Many commonly hear it to say that this life has been in vain. Why is it called so after all? What is the matter that they say? On the contrary, many people live life successfully and never complain about it. Their style of living is unique and different. There is a sense of satisfaction on his face. Any sadness, complaint or feeling of incompleteness is not reflected
Everyone lives life, but how many people can live it successfully, is considerable and vital. Many commonly hear it to say that this life has been in vain. Why is it called so after all? What is the matter that they say? On the contrary, many people live life successfully and never complain about it. Their style of living is unique and different. There is a sense of satisfaction on his face. Any sadness, complaint or feeling of incompleteness is not reflected in their face or behaviour. Even at the last moment of his life journey, it seems that he is completely satisfied with his life. He has lived his life successfully. A kind of 'successful life'.
Unleashing Your Inner Greatness: A Journey to Empowerment and Success" is a transformative book that serves as a guiding light for individuals seeking to tap into their full potential and achieve remarkable success. Through insightful narratives and practical guidance, the book takes readers on a profound journey of self-discovery, empowerment, and growth. With a focus on unlocking the hidden talents and capabilities within, it offers actionable strategies and
Unleashing Your Inner Greatness: A Journey to Empowerment and Success" is a transformative book that serves as a guiding light for individuals seeking to tap into their full potential and achieve remarkable success. Through insightful narratives and practical guidance, the book takes readers on a profound journey of self-discovery, empowerment, and growth. With a focus on unlocking the hidden talents and capabilities within, it offers actionable strategies and exercises to foster personal development and empower readers to overcome challenges. As readers delve into its pages, they'll find inspiration, motivation, and a roadmap to navigate their way towards a life of greatness, embracing their true selves and realizing their dreams. This book is a must-read for anyone aspiring to make a lasting impact and lead a fulfilling, empowered life.
मौन हिरख ओह् हिरख ऐ जेहडा बोले बगैर गैं मांह्नू गी अपने छिकंजे च जकडी लेंदा ऐ हुन जीने दा सुआद बी औन लगदा ऐ ।इयां बझोंदा जिंया पूरा ब्रह्मांड अपना ऐ। मस्ती दे पल जीवन गी अर्थ देन ल
मौन हिरख ओह् हिरख ऐ जेहडा बोले बगैर गैं मांह्नू गी अपने छिकंजे च जकडी लेंदा ऐ हुन जीने दा सुआद बी औन लगदा ऐ ।इयां बझोंदा जिंया पूरा ब्रह्मांड अपना ऐ। मस्ती दे पल जीवन गी अर्थ देन लगदे न । मांह्नू दा अंदर बाहर इक्क होई जंदा।बगन लगदा कवता दा समंदर ते हिरखी अंतस दी लहरें कन्ने अनेका शब्द जद कनारे छंडोई जंदे तां उ'ने शब्दे गी टकाई निं लगदी ओह् नचदे तरपदे अर्थे च टलने तांई। शब्दे दा संघर्ष मकाने तांई कवि ने अनेका हिरख भरोचिंया कवतां लिखियां ।जिनेगी इस पुस्तक च समेटने दा जतन मातर किता ऐ। इसगी पढियै मिगी जरुर अवगत करागें जे तुसे केह् मसूसेआ।
'दो कदम दूर थे' राजऋषि शर्मा का नवीनतम उपन्यास है। हिमाचल प्रदेश के असीम सौंदर्य से लबालव, लाहौल स्पीति की हसीन, मनोरम वादियों के धरातल पर उभरी हुई यह एक प्रेमपूर्ण एवं मार्मिक कह
'दो कदम दूर थे' राजऋषि शर्मा का नवीनतम उपन्यास है। हिमाचल प्रदेश के असीम सौंदर्य से लबालव, लाहौल स्पीति की हसीन, मनोरम वादियों के धरातल पर उभरी हुई यह एक प्रेमपूर्ण एवं मार्मिक कहानी है। जिसमें प्रेम की संवेदना है, दर्द है, एहसास है, मिलन है और बिछोह भी है। जिसे एक बार पढ़ना आरम्भ करने पर फिर पाठक द्वारा समाप्त किये बिना रहा ही नहीं जा सकता। एक ऎसी प्रेम कहानी जिसे पाठक वर्षों तक भूल नहीं पाएंगे।
'ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है।' यह एक ऐसा स्वाभाविक प्रश्न है जो कई लोगों के दिलो दिमाग में यदाकदा उभर ही आता है। जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य में निराशा की नकारात्मक भावना उत्प
'ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है।' यह एक ऐसा स्वाभाविक प्रश्न है जो कई लोगों के दिलो दिमाग में यदाकदा उभर ही आता है। जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य में निराशा की नकारात्मक भावना उत्पन्न होती है। किन्तु यदि मनुष्य में ऎसी भावना की उत्पत्ति होती भी है, तो क्यों होती है। इसका कारण क्या है ? क्या इसका कोई उत्तर है ? कोई समाधान है ? क्या ऐसे उद्वेग से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है? यह विचारणीय है। इस पर एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाएं जाने की आवश्यकता है।
‘डल’ झील ! ना जाने कितना दुख दर्द है छुपा है उसके सीने में। बहुत कुछ देखा है उसने अपनी बहती लहरों की छलकती आंखों से। बहार का मौसम भी देखा है इसने तो पतझड़ का मौसम भी देखा है। सर्दी भी
‘डल’ झील ! ना जाने कितना दुख दर्द है छुपा है उसके सीने में। बहुत कुछ देखा है उसने अपनी बहती लहरों की छलकती आंखों से। बहार का मौसम भी देखा है इसने तो पतझड़ का मौसम भी देखा है। सर्दी भी देखी है तो गर्मी भी देखी है। ना जाने क्या क्या देखा है इस ने ओर क्या क्या राज छुपाये हुए है अपने सीने में।
'रात अकेली है' राजऋषि शर्मा का नवीनतम उपन्यास है। कश्मीर की हसीं वादियों में इसकी पृस्ठभूमि पर लिखा गया यह एक ऐसा मार्मिक उपन्यास है, यहां प्यार का एहसास भी है और आतंकवाद की भीषण त्रासदी भी। ऐसे परिवेश में प्यार की सौंधी खुशबू तथा युवाओं के धड़कते हुए दिलों की भावनाओं की पीढ़ा का चित्रण बरबस ही मन को भीतर तक आन्दोलित कर देता हैं ! उपन्यास को एक बार हाथ में लेने पर इसे पढ़े बिना रहा ही नहीं जा सकता।
हमें सपने क्यों आते हैं? भारत और विदेश में उल्लेखनीय सपने। क्या सपने सच होते हैं? शुभ एवं अशुभ स्वप्नों का स्वरूप | सपनों के फायदे. सपनों पर नियंत्रण पाना. क्या हम अपनी इच्छाओं के अ
हमें सपने क्यों आते हैं? भारत और विदेश में उल्लेखनीय सपने। क्या सपने सच होते हैं? शुभ एवं अशुभ स्वप्नों का स्वरूप | सपनों के फायदे. सपनों पर नियंत्रण पाना. क्या हम अपनी इच्छाओं के अनुसार अपने सपनों को प्रभावित कर सकते हैं?
राज ऋषि शर्मा द्वारा लिखित यह पुस्तक 21 खंडों में विभाजित है। इस पुस्तक में, लेखक कई सपनों का खूबसूरती से विश्लेषण करता है। लेखक इन सपनों के मनोवैज्ञानिक, धार्मिक, वास्तविक और काल्पनिक पहलुओं पर कुशलता से चर्चा करते हुए कोई भी प्रश्न अनुत्तरित नहीं छोड़ता है। सपनों की दुनिया का गहन परीक्षण किया गया है। यह पुस्तक मन को अद्भुत संतुष्टि प्रदान करती है और पाठक को इतना मोहित कर लेती है कि शब्दों में बयां करना कठिन हो जाता है।
सफल जीवन ! सफल जीवन और जीवन में सफलता, दोनों ही भिन्न विषय हैं। जो जीवन में सफलता को प्राप्त कर लेते हैं, आवश्यक नहीं कि उसका जीवन भी सफल ही हो। राज ऋषि शर्मा द्वारा प्रेरक पुस्तकों
सफल जीवन ! सफल जीवन और जीवन में सफलता, दोनों ही भिन्न विषय हैं। जो जीवन में सफलता को प्राप्त कर लेते हैं, आवश्यक नहीं कि उसका जीवन भी सफल ही हो। राज ऋषि शर्मा द्वारा प्रेरक पुस्तकों की श्रृंखला में इस विषय विशेष पर लिखी हुई प्रथम पुस्तक। आज के व्यस्त जीवन में एक सफल जीवन यापन के लिए पाठकों को ऎसी ही उपयोगी पुस्तक की आवश्यकता है।
जन्म जन्मांतर का फेर ! यह सदैव से ही मनुष्य के लिए एक कौतूहल का विषय रहा है। इसी विषय को लेकर लिखी गई यह यह एक बहुत ही रोचक, रोमांचक तथा रहस्यपूर्ण गाथा है। यहां लेखक अपने साथ साथ पा
जन्म जन्मांतर का फेर ! यह सदैव से ही मनुष्य के लिए एक कौतूहल का विषय रहा है। इसी विषय को लेकर लिखी गई यह यह एक बहुत ही रोचक, रोमांचक तथा रहस्यपूर्ण गाथा है। यहां लेखक अपने साथ साथ पाठकों को भी इस रहस्य्मय यात्रा पर ले जाता है। जिसे पढ़ने पर पाठक पूर्व जन्म के साथ साथ ही भविष्य में पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी सोचने के लिए विवश हो जाता है। इस गाथा को पढ़ना आरम्भ करने पर इसे समाप्त किये बिना रहा ही नहीं जा सकता।
'मरने से पहले' विषय का सम्बन्ध हमारे उस समय से है जब मनुष्य मौत के सम्मुख होता है या उसे इस बात का आभास हो गया होता है कि अब वह मरने ही वाला है। उसकी मौत उससे अब कुछ ही अंतराल पर है।
'मरने से पहले' विषय का सम्बन्ध हमारे उस समय से है जब मनुष्य मौत के सम्मुख होता है या उसे इस बात का आभास हो गया होता है कि अब वह मरने ही वाला है। उसकी मौत उससे अब कुछ ही अंतराल पर है। यह कभी भी आ सकती है। आज ! एक सप्ताह के पश्चात ! एक माह के पश्चात या फिर एक वर्ष के पश्चात ! कभी भी उसे उसके क्षणभंगुर जीवन से छीन कर जीवन मरण की सीमा के पार उस अनंत की ओर ले जा सकती है, जिसके विषय में अनंत काल से मात्र कल्पना, मनन तथा वैज्ञानिक अनुसंधान ही किये जा रहे है, किन्तु निश्चित रूप से अभी तक इस विषय में कुछ भी नहीं कहा जा सका है।
'ऐसा होता तो नहीं' एक ऐसा उपन्यास है जिसके विषय में ऐसा कहा जा सकता है कि 'ऐसा होता तो नहीं' ! फिर भी ऐसा होता है। इस उपन्यास को लिखते समय हर पल इस बात का ध्यान रखा गया है कि पढ़ते समय पाठ
'ऐसा होता तो नहीं' एक ऐसा उपन्यास है जिसके विषय में ऐसा कहा जा सकता है कि 'ऐसा होता तो नहीं' ! फिर भी ऐसा होता है। इस उपन्यास को लिखते समय हर पल इस बात का ध्यान रखा गया है कि पढ़ते समय पाठकों को यह पूरी तरह सत्य ही लगे। हालांकि इससे जुड़ी सभी घटनाएं या दुर्घटनाएं सच हैं,लेकिन इन सबके पश्चात भी यह उपन्यास काल्पनिक है। बहुत ही रोचक, मार्मिक तथा रोमांटिक उपन्यास ! इसे आप एक बार पढ़ना शुरू करते हैं, तो फिर पूरी तरह से पढ़े बिना छोड़ने का मन नहीं करता है। काश ! ऐसा नहीं होता !
रामपाल डोगरा "पाली" हुंदी "गीत पटारू" इच नमें गीत -कवतां लिखीयां गेदीयां न । कवि दी इन्नै रचनाएं च करसानैं सरबंधी समस्यां ते तजरबें दा परशांमां लवदा ऐ। समाजिक त्रुटियां, पीड़ा,इ
रामपाल डोगरा "पाली" हुंदी "गीत पटारू" इच नमें गीत -कवतां लिखीयां गेदीयां न । कवि दी इन्नै रचनाएं च करसानैं सरबंधी समस्यां ते तजरबें दा परशांमां लवदा ऐ। समाजिक त्रुटियां, पीड़ा,इरख,बछौडा़ ते भांत- सभांते दे रंगें च रंगोई दी दुनियां दे विषयें प लोऽ पाई दी ऐ। कवि दी हर इक्क रचनां नमीं खश्वो ते तकोदी सोच गी लेईयै लखोई दी ऐ । पाठकें गी एह् नमें गीत जरूर पसंद आङन ते उदें मनें च इक्क थाह्र बनांङन। एह् मन्नेया जाई सकदा ऐ,के लखारी इन्नै गीतें राहें अपने मनें दे बुआल कड्डीऐ अपनी गल्ल डुग्गर बस्नीकें ते पाठकें गी मालामाल करना चाह्दे न। आऊं इंदे प्रयास गी डोगरी साहित्यिक च आई रलनें तांई डूंगयां ते दिली म्मारखां देया'रनां। मेद ऐ लेखक इस खेत्र च अपनींआं होर बी रचनां जोड़ङन।
'हवाओं का आँचल' काव्य संग्रह नवोदित कवी/कवित्रियों के साथ साथ ही प्रसिद्ध स्थापित रचनाकारों की रचनाओं का एक भावनाप्रदान संग्रह है। जिसका उद्देश्य नवोदित रचनाकारों को स्थापि
'हवाओं का आँचल' काव्य संग्रह नवोदित कवी/कवित्रियों के साथ साथ ही प्रसिद्ध स्थापित रचनाकारों की रचनाओं का एक भावनाप्रदान संग्रह है। जिसका उद्देश्य नवोदित रचनाकारों को स्थापित लेखकों के साथ साथ प्रकाशित कर उन्हें गर्व की अनुभूति प्रदान करना भी है।
'सोच' एक शब्द होने के साथ साथ ही एक भावना भी है। किन्तु इसके साथ ही ‘सोच’ विचार का एक विषय भी हो सकता है। उस समय इसका महत्व ओर भी अधिक बढ़ जाता है। किस प्रकार, किस विषय पर, क्यो
'सोच' एक शब्द होने के साथ साथ ही एक भावना भी है। किन्तु इसके साथ ही ‘सोच’ विचार का एक विषय भी हो सकता है। उस समय इसका महत्व ओर भी अधिक बढ़ जाता है। किस प्रकार, किस विषय पर, क्यों और क्या सोचना है? यह बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है। इस प्रकार की सोच के अंतर्गत ही कुछ विभिन्न पहलुओं पर चर्चा व विवेचना करने का प्रयास किया गया है।
कुछ क्षण ! कई बार कुछ क्षण ही मनुष्य के लिए पर्याप्त होते हैं उस की सोच, उसकी विचारधारा एवं उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तित कर देने के लिए। इस पुस्तक को लिखते समय क्षण प्रति
कुछ क्षण ! कई बार कुछ क्षण ही मनुष्य के लिए पर्याप्त होते हैं उस की सोच, उसकी विचारधारा एवं उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तित कर देने के लिए। इस पुस्तक को लिखते समय क्षण प्रतिक्षण इस बात को ध्यान में रखने का प्रयास किया गया है कि इसको पढ़ने से पाठक के सोचने व समझने से उनका दृश्टिकोण प्रभावित हो सके तथा उसमें तत्क्षण ही अकस्मात परिवर्तन आ सके। जिससे कि उसके जीवन की धारा ही परिवर्तित हो जाए।
क्षेत्रीय पृष्ठभूमि पर लिखा हुआ यथार्थपरक व प्रेम पूर्ण संवेदना से परिपूर्ण एक लघु उपन्यास। जो पाठकों को आरम्भ से लेकर अंत तक अपने प्रेमपाश में बांधे रखता है।
क्षेत्रीय पृष्ठभूमि पर लिखा हुआ यथार्थपरक व प्रेम पूर्ण संवेदना से परिपूर्ण एक लघु उपन्यास। जो पाठकों को आरम्भ से लेकर अंत तक अपने प्रेमपाश में बांधे रखता है।
‘पल भर की छाँव’ की विषय वस्तु ऐसी है कि एक बार जब आप इसे पढ़ना शुरू करते हैं तो फिर इसे समाप्त किये बिना रह ही नहीं सकते। यह एक उपन्यास ही नहीं एक ऐसा संस्मरणात्मक वृत्तांत भ
‘पल भर की छाँव’ की विषय वस्तु ऐसी है कि एक बार जब आप इसे पढ़ना शुरू करते हैं तो फिर इसे समाप्त किये बिना रह ही नहीं सकते। यह एक उपन्यास ही नहीं एक ऐसा संस्मरणात्मक वृत्तांत भी है जो कि काल्पनिक होते हुए भी सत्य है। सत्य होते हुए भी काल्पनिक ! सब कुछ देखा, सुना, पढ़ा तथा अनुभव किया हुआ जैसा है। जिस पर प्राचीन काल से ही विश्वास किया जाता आ रहा है। ऐसी ही धारणा अन्य धर्मग्रंथों तथा जन साधारण की भी रही है तथा यह सब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तर्कसंगत प्रमाणित हो रहा है। इसी अवधारणा को परिलक्षित करते हुए इस उपन्यास की रचना की गई है।
इसके रचनात्मक लेखन से पाठक को एक प्रकार के रचनात्मक भ्रम जाल में उलझा कर एक विश्वसनीय सत्य से अवगत करवाना है। इस की रचना का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत मनोरंजन के साथ परालौकिक विचारधारा से संबंधित विश्वसनीय तथ्यों से परिचय करवाना ही है।
वास्तव में जीना क्या है? साधारणतया, कहने को तो सभी प्राणियों के जीवन के जीने को भी जीना ही कहा जा सकता है, किन्तु उनके जीवन जीने तथा एक मनुष्य के जीवन जीने के ढंग में बहुत अंतर है।
वास्तव में जीना क्या है? साधारणतया, कहने को तो सभी प्राणियों के जीवन के जीने को भी जीना ही कहा जा सकता है, किन्तु उनके जीवन जीने तथा एक मनुष्य के जीवन जीने के ढंग में बहुत अंतर है। मनुष्य का जीवन एक उद्देश्यात्मक जीवन है। मनुष्य के जीवन का कोई अर्थ है। मनुष्य को सृष्टि के रचयिता ने मनोमस्तिष्क दिया हुआ है तथा इसके साथ ही बहुत सी सुविधाएं भी प्रदान की हुई है। उसमें सोच विचार व निर्णय लेने की क्षमता सभी से अधिक है। इसलिए ही उसमें एक श्रेष्ठ जीवन जीने की योग्यता भी है तथा क्षमता भी है।
वास्तव में मनुष्य के जीवन में ऐसा तो कुछ होना ही चाहिए जिससे कि कोई भी गर्व पूर्वक कह सके कि जीना इसी का नाम है। स्वयमेव ही मुंह से निकल आये कि जीना इसी को कहते हैं 'जीना इसी का नाम है।
साधु, सन्यासी, संत, महात्मा या ऋषि मुनियों के जीवन को समझने में तो सहायता मिलती ही है बल्कि पाठक को अपने जीवन के लिए भी प्रेरणा एवं उचित मार्गदर्शन की प्राप्ति होती है। जिससे पु
साधु, सन्यासी, संत, महात्मा या ऋषि मुनियों के जीवन को समझने में तो सहायता मिलती ही है बल्कि पाठक को अपने जीवन के लिए भी प्रेरणा एवं उचित मार्गदर्शन की प्राप्ति होती है। जिससे पुस्तक में समय समय पर ज्ञान तथा अनुभव से अपने मतानुसार किसी भी विचारधारा का विश्लेषण, परिवर्तन तथा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास एवं परिणाम अत्यंत रोचक है। पुस्तक में किसी मत विशेष पर प्रहार करना लेखक का उद्देश्य कदापि भी नहीं रहा है। जो सही नहीं है, वो कभी भी सही हो ही नहीं सकता। इसीलिए जो सही है सदैव उसी पर ही उचित मनन एवं विश्वास भी किया जाना चाहिए। उसी के अनुरूप ही अपना मत बनाइए तथा उसी को ही अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी करें। फिर उसी प्रकार से समय अनुसार मनुष्य को अपने आप को परिवर्तित भी करना चाहिए। यह मनुष्य के जीवन का मूल उद्देश्य है तथा इसी से उसका जीवन भी वास्तव में सार्थक हो सकता है। यह ही इस पुस्तक का सार भी है एवं यह ही इस पुस्तक को लिखने का लेखक का मूल उद्देश्य भी।
'अदृश्य लोक' ( Invisible World) अदृश्य लोक' पुस्तक ज्ञान का एकमात्र ऐसा स्त्रोत है, जिसे पढ़ते हुए पाठकों को उनके मन के धरातल पर सुप्त पड़े अनेक अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान स्वयंमेव ही प्राप्
'अदृश्य लोक' ( Invisible World) अदृश्य लोक' पुस्तक ज्ञान का एकमात्र ऐसा स्त्रोत है, जिसे पढ़ते हुए पाठकों को उनके मन के धरातल पर सुप्त पड़े अनेक अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान स्वयंमेव ही प्राप्त हो जाता है। यह पुस्तक विषय से सम्बंधित अथाह ज्ञान का भण्डार तो है ही साथ ही अदृश्यता के सम्बन्ध में भी आध्यात्मिक, मनोविज्ञानिक तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गहन विवेचना का समावेश किये हुए है। जिसे पढ़ते हुए पाठक निश्च्ति रूप से ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हुए आत्मिक शान्ति का अनुभव करते हैं।
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