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10 Years of Celebrating Indie Authors
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
जन्म जन्मांतर का फेर ! यह सदैव से ही मनुष्य के लिए एक कौतूहल का विषय रहा है। इसी विषय को लेकर लिखी गई यह यह एक बहुत ही रोचक, रोमांचक तथा रहस्यपूर्ण गाथा है। यहां लेखक अपने साथ साथ पा
जन्म जन्मांतर का फेर ! यह सदैव से ही मनुष्य के लिए एक कौतूहल का विषय रहा है। इसी विषय को लेकर लिखी गई यह यह एक बहुत ही रोचक, रोमांचक तथा रहस्यपूर्ण गाथा है। यहां लेखक अपने साथ साथ पाठकों को भी इस रहस्य्मय यात्रा पर ले जाता है। जिसे पढ़ने पर पाठक पूर्व जन्म के साथ साथ ही भविष्य में पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी सोचने के लिए विवश हो जाता है। इस गाथा को पढ़ना आरम्भ करने पर इसे समाप्त किये बिना रहा ही नहीं जा सकता।
'मरने से पहले' विषय का सम्बन्ध हमारे उस समय से है जब मनुष्य मौत के सम्मुख होता है या उसे इस बात का आभास हो गया होता है कि अब वह मरने ही वाला है। उसकी मौत उससे अब कुछ ही अंतराल पर है।
'मरने से पहले' विषय का सम्बन्ध हमारे उस समय से है जब मनुष्य मौत के सम्मुख होता है या उसे इस बात का आभास हो गया होता है कि अब वह मरने ही वाला है। उसकी मौत उससे अब कुछ ही अंतराल पर है। यह कभी भी आ सकती है। आज ! एक सप्ताह के पश्चात ! एक माह के पश्चात या फिर एक वर्ष के पश्चात ! कभी भी उसे उसके क्षणभंगुर जीवन से छीन कर जीवन मरण की सीमा के पार उस अनंत की ओर ले जा सकती है, जिसके विषय में अनंत काल से मात्र कल्पना, मनन तथा वैज्ञानिक अनुसंधान ही किये जा रहे है, किन्तु निश्चित रूप से अभी तक इस विषय में कुछ भी नहीं कहा जा सका है।
'ऐसा होता तो नहीं' एक ऐसा उपन्यास है जिसके विषय में ऐसा कहा जा सकता है कि 'ऐसा होता तो नहीं' ! फिर भी ऐसा होता है। इस उपन्यास को लिखते समय हर पल इस बात का ध्यान रखा गया है कि पढ़ते समय पाठ
'ऐसा होता तो नहीं' एक ऐसा उपन्यास है जिसके विषय में ऐसा कहा जा सकता है कि 'ऐसा होता तो नहीं' ! फिर भी ऐसा होता है। इस उपन्यास को लिखते समय हर पल इस बात का ध्यान रखा गया है कि पढ़ते समय पाठकों को यह पूरी तरह सत्य ही लगे। हालांकि इससे जुड़ी सभी घटनाएं या दुर्घटनाएं सच हैं,लेकिन इन सबके पश्चात भी यह उपन्यास काल्पनिक है। बहुत ही रोचक, मार्मिक तथा रोमांटिक उपन्यास ! इसे आप एक बार पढ़ना शुरू करते हैं, तो फिर पूरी तरह से पढ़े बिना छोड़ने का मन नहीं करता है। काश ! ऐसा नहीं होता !
रामपाल डोगरा "पाली" हुंदी "गीत पटारू" इच नमें गीत -कवतां लिखीयां गेदीयां न । कवि दी इन्नै रचनाएं च करसानैं सरबंधी समस्यां ते तजरबें दा परशांमां लवदा ऐ। समाजिक त्रुटियां, पीड़ा,इ
रामपाल डोगरा "पाली" हुंदी "गीत पटारू" इच नमें गीत -कवतां लिखीयां गेदीयां न । कवि दी इन्नै रचनाएं च करसानैं सरबंधी समस्यां ते तजरबें दा परशांमां लवदा ऐ। समाजिक त्रुटियां, पीड़ा,इरख,बछौडा़ ते भांत- सभांते दे रंगें च रंगोई दी दुनियां दे विषयें प लोऽ पाई दी ऐ। कवि दी हर इक्क रचनां नमीं खश्वो ते तकोदी सोच गी लेईयै लखोई दी ऐ । पाठकें गी एह् नमें गीत जरूर पसंद आङन ते उदें मनें च इक्क थाह्र बनांङन। एह् मन्नेया जाई सकदा ऐ,के लखारी इन्नै गीतें राहें अपने मनें दे बुआल कड्डीऐ अपनी गल्ल डुग्गर बस्नीकें ते पाठकें गी मालामाल करना चाह्दे न। आऊं इंदे प्रयास गी डोगरी साहित्यिक च आई रलनें तांई डूंगयां ते दिली म्मारखां देया'रनां। मेद ऐ लेखक इस खेत्र च अपनींआं होर बी रचनां जोड़ङन।
'हवाओं का आँचल' काव्य संग्रह नवोदित कवी/कवित्रियों के साथ साथ ही प्रसिद्ध स्थापित रचनाकारों की रचनाओं का एक भावनाप्रदान संग्रह है। जिसका उद्देश्य नवोदित रचनाकारों को स्थापि
'हवाओं का आँचल' काव्य संग्रह नवोदित कवी/कवित्रियों के साथ साथ ही प्रसिद्ध स्थापित रचनाकारों की रचनाओं का एक भावनाप्रदान संग्रह है। जिसका उद्देश्य नवोदित रचनाकारों को स्थापित लेखकों के साथ साथ प्रकाशित कर उन्हें गर्व की अनुभूति प्रदान करना भी है।
'सोच' एक शब्द होने के साथ साथ ही एक भावना भी है। किन्तु इसके साथ ही ‘सोच’ विचार का एक विषय भी हो सकता है। उस समय इसका महत्व ओर भी अधिक बढ़ जाता है। किस प्रकार, किस विषय पर, क्यो
'सोच' एक शब्द होने के साथ साथ ही एक भावना भी है। किन्तु इसके साथ ही ‘सोच’ विचार का एक विषय भी हो सकता है। उस समय इसका महत्व ओर भी अधिक बढ़ जाता है। किस प्रकार, किस विषय पर, क्यों और क्या सोचना है? यह बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है। इस प्रकार की सोच के अंतर्गत ही कुछ विभिन्न पहलुओं पर चर्चा व विवेचना करने का प्रयास किया गया है।
कुछ क्षण ! कई बार कुछ क्षण ही मनुष्य के लिए पर्याप्त होते हैं उस की सोच, उसकी विचारधारा एवं उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तित कर देने के लिए। इस पुस्तक को लिखते समय क्षण प्रति
कुछ क्षण ! कई बार कुछ क्षण ही मनुष्य के लिए पर्याप्त होते हैं उस की सोच, उसकी विचारधारा एवं उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को परिवर्तित कर देने के लिए। इस पुस्तक को लिखते समय क्षण प्रतिक्षण इस बात को ध्यान में रखने का प्रयास किया गया है कि इसको पढ़ने से पाठक के सोचने व समझने से उनका दृश्टिकोण प्रभावित हो सके तथा उसमें तत्क्षण ही अकस्मात परिवर्तन आ सके। जिससे कि उसके जीवन की धारा ही परिवर्तित हो जाए।
क्षेत्रीय पृष्ठभूमि पर लिखा हुआ यथार्थपरक व प्रेम पूर्ण संवेदना से परिपूर्ण एक लघु उपन्यास। जो पाठकों को आरम्भ से लेकर अंत तक अपने प्रेमपाश में बांधे रखता है।
क्षेत्रीय पृष्ठभूमि पर लिखा हुआ यथार्थपरक व प्रेम पूर्ण संवेदना से परिपूर्ण एक लघु उपन्यास। जो पाठकों को आरम्भ से लेकर अंत तक अपने प्रेमपाश में बांधे रखता है।
‘पल भर की छाँव’ की विषय वस्तु ऐसी है कि एक बार जब आप इसे पढ़ना शुरू करते हैं तो फिर इसे समाप्त किये बिना रह ही नहीं सकते। यह एक उपन्यास ही नहीं एक ऐसा संस्मरणात्मक वृत्तांत भ
‘पल भर की छाँव’ की विषय वस्तु ऐसी है कि एक बार जब आप इसे पढ़ना शुरू करते हैं तो फिर इसे समाप्त किये बिना रह ही नहीं सकते। यह एक उपन्यास ही नहीं एक ऐसा संस्मरणात्मक वृत्तांत भी है जो कि काल्पनिक होते हुए भी सत्य है। सत्य होते हुए भी काल्पनिक ! सब कुछ देखा, सुना, पढ़ा तथा अनुभव किया हुआ जैसा है। जिस पर प्राचीन काल से ही विश्वास किया जाता आ रहा है। ऐसी ही धारणा अन्य धर्मग्रंथों तथा जन साधारण की भी रही है तथा यह सब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तर्कसंगत प्रमाणित हो रहा है। इसी अवधारणा को परिलक्षित करते हुए इस उपन्यास की रचना की गई है।
इसके रचनात्मक लेखन से पाठक को एक प्रकार के रचनात्मक भ्रम जाल में उलझा कर एक विश्वसनीय सत्य से अवगत करवाना है। इस की रचना का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत मनोरंजन के साथ परालौकिक विचारधारा से संबंधित विश्वसनीय तथ्यों से परिचय करवाना ही है।
वास्तव में जीना क्या है? साधारणतया, कहने को तो सभी प्राणियों के जीवन के जीने को भी जीना ही कहा जा सकता है, किन्तु उनके जीवन जीने तथा एक मनुष्य के जीवन जीने के ढंग में बहुत अंतर है।
वास्तव में जीना क्या है? साधारणतया, कहने को तो सभी प्राणियों के जीवन के जीने को भी जीना ही कहा जा सकता है, किन्तु उनके जीवन जीने तथा एक मनुष्य के जीवन जीने के ढंग में बहुत अंतर है। मनुष्य का जीवन एक उद्देश्यात्मक जीवन है। मनुष्य के जीवन का कोई अर्थ है। मनुष्य को सृष्टि के रचयिता ने मनोमस्तिष्क दिया हुआ है तथा इसके साथ ही बहुत सी सुविधाएं भी प्रदान की हुई है। उसमें सोच विचार व निर्णय लेने की क्षमता सभी से अधिक है। इसलिए ही उसमें एक श्रेष्ठ जीवन जीने की योग्यता भी है तथा क्षमता भी है।
वास्तव में मनुष्य के जीवन में ऐसा तो कुछ होना ही चाहिए जिससे कि कोई भी गर्व पूर्वक कह सके कि जीना इसी का नाम है। स्वयमेव ही मुंह से निकल आये कि जीना इसी को कहते हैं 'जीना इसी का नाम है।
साधु, सन्यासी, संत, महात्मा या ऋषि मुनियों के जीवन को समझने में तो सहायता मिलती ही है बल्कि पाठक को अपने जीवन के लिए भी प्रेरणा एवं उचित मार्गदर्शन की प्राप्ति होती है। जिससे पु
साधु, सन्यासी, संत, महात्मा या ऋषि मुनियों के जीवन को समझने में तो सहायता मिलती ही है बल्कि पाठक को अपने जीवन के लिए भी प्रेरणा एवं उचित मार्गदर्शन की प्राप्ति होती है। जिससे पुस्तक में समय समय पर ज्ञान तथा अनुभव से अपने मतानुसार किसी भी विचारधारा का विश्लेषण, परिवर्तन तथा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास एवं परिणाम अत्यंत रोचक है। पुस्तक में किसी मत विशेष पर प्रहार करना लेखक का उद्देश्य कदापि भी नहीं रहा है। जो सही नहीं है, वो कभी भी सही हो ही नहीं सकता। इसीलिए जो सही है सदैव उसी पर ही उचित मनन एवं विश्वास भी किया जाना चाहिए। उसी के अनुरूप ही अपना मत बनाइए तथा उसी को ही अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी करें। फिर उसी प्रकार से समय अनुसार मनुष्य को अपने आप को परिवर्तित भी करना चाहिए। यह मनुष्य के जीवन का मूल उद्देश्य है तथा इसी से उसका जीवन भी वास्तव में सार्थक हो सकता है। यह ही इस पुस्तक का सार भी है एवं यह ही इस पुस्तक को लिखने का लेखक का मूल उद्देश्य भी।
'अदृश्य लोक' ( Invisible World) अदृश्य लोक' पुस्तक ज्ञान का एकमात्र ऐसा स्त्रोत है, जिसे पढ़ते हुए पाठकों को उनके मन के धरातल पर सुप्त पड़े अनेक अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान स्वयंमेव ही प्राप्
'अदृश्य लोक' ( Invisible World) अदृश्य लोक' पुस्तक ज्ञान का एकमात्र ऐसा स्त्रोत है, जिसे पढ़ते हुए पाठकों को उनके मन के धरातल पर सुप्त पड़े अनेक अनुत्तरित प्रश्नों का समाधान स्वयंमेव ही प्राप्त हो जाता है। यह पुस्तक विषय से सम्बंधित अथाह ज्ञान का भण्डार तो है ही साथ ही अदृश्यता के सम्बन्ध में भी आध्यात्मिक, मनोविज्ञानिक तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गहन विवेचना का समावेश किये हुए है। जिसे पढ़ते हुए पाठक निश्च्ति रूप से ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हुए आत्मिक शान्ति का अनुभव करते हैं।
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