मनुष्य जीवन अनगिनत भावनाओं से लिप्त है। बचपन से ही हम अनेक भावनाओं की अनुभूति अलग अलग तरह से करते हैं। गौर किया जाए तो ये सारी भावनाएं हमारे मन से ही उतपन्न होकर हमारे मन को ही प्रभावित करती हैं। यूँही अनेक तरह की भावनाओं से मुग्ध मेरे मन ने अपनी अनुभूतियों के अनुसार जो भी कुछ लिखा, उसका लोकार्पण करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है। मुग्धा के मन से आपके मन को छू लेने की एक कोशिश, है मन मंत्रमुग्ध