Share this book with your friends

Manushya Ki Vedna / मनुष्य की वेदना Kavya Sangraha

Author Name: Rishab Dass | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

कविताएं जीवन में आनंद व रस का स्रोत है। यह एक ऐसा सागर है जिसकी सुधा प्रत्येक मनुष्य को तृप्त करती है। इन कविताओं के संग्रह के माध्यम से हम मनुष्य की वेदनाओं को स्पष्ट रूप से जान पाएंगे। वैसे मानव समाज में सुख-दुख विकास चक्र की भांति है जो निरंतर आते रहते हैं। यह कविता मनुष्य की सटीक रूप से मनुष्य की वेदना को प्रकट करता है।यह कविताओं का संग्रह जीवन में प्रत्येक मनुष्य का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करती है तथा जीवन की सत्यता से अवगत कराती है।यह कविताओं का संग्रह समाज का एक ऐसा दर्पण है जो मनुष्य की वास्तविकता से भी अवगत करवाती है तथा इन कविताओं के माध्यम से हम कुछ सीख सकते हैं और समाज में परिवर्तन की एक नई आशा की पहल कर सकते हैं।

Read More...

Ratings & Reviews

0 out of 5 ( ratings) | Write a review
Write your review for this book
Sorry we are currently not available in your region.

Also Available On

ऋषभ दास

ऋषभ दास का जन्म 28 जुलाई 1997 को नई दिल्ली में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा के उपरांत उन्होंने कई कविताओं और लेखन के माध्यम से समाज की सत्यता पर गहन विश्लेषण किया है। उनकी कविताएं मनुष्य में चल रहे अंतर्विरोध एवं अंतर्द्वंद को प्रकट करती है। इनकी कविताएं समाज में पनप रहे कुरीतियों पर गहरा आघात करती है तथा एक आदर्श समाज की कल्पना करती है। इनकी कविताओं का संग्रह सामाजिक कुरीतियों को जड़ से समाप्त करना तथा लोगों में जागरूकता लाने का छोटा सा प्रयास है। उनकी कविता जीवन की सत्यता पर आधारित है।

Read More...

Achievements