प्रस्तुत पुस्तक 'मार्गदर्शन' अपने नाम के अनुसार ही गुणों को लिए हुए हैं । इस पुस्तक की रचना के दौरान रचनाकार ने विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखा है कि, इस पुस्तक का कोई भी शब्द या भाव किसी भी पाठक को, किसी भी रूप से कष्ट ना दें। परंतु फिर भी यदि किसी शब्द या भाव के माध्यम से पाठकों के हृदय को कष्ट महसूस हो तो ऐसे में रचनाकार हृदय से क्षमा प्रार्थी हैं। इस पुस्तक मार्गदर्शन के माध्यम से रचनाकार ने विद्यार्थी जीवन को बेहतरीन बनाने का मार्गदर्शन बताया है साथ ही विद्यार्थियों के जीवन में माता-पिता, अभिभावकों व गुरुजनों का कितना महत्व है और क्या योगदान होना चाहिए इस ओर भी इशारा किया है । रचनाकार ने इस पुस्तक में बहुत ही सामान्य उदाहरणों का प्रयोग करकर, बहुत ही गहरी बातों का दर्पण दिखाया है। इस पुस्तक को अपने शब्दों और भावों से सीचनें वाली लेखिका संतोष (कोमल) यह विश्वास करती हैं कि इस पुस्तक का अध्ययन करने से विद्यार्थी, उनके माता-पिता, गुरुजन, अभिभावक जन सभी और भी अधिक उचित मार्गदर्शन को अपने व्यक्तित्व में उतार पाएंगे। इस पुस्तक को रचने वाली रचनाकार संतोष(कोमल), माता-पिता, अभिभावक जन एवं गुरुजनों के प्रति बहुत सम्मान रखती हैं साथ ही विद्यार्थी वर्ग के प्रति इन्हें बहुत स्नेह हैं। इनके इसी समर्पण ने इनसे 'मार्गदर्शन' पुस्तक तैयार करवा दी। अंत में यह सभी को एक ही संदेश देना चाहती हैं कि:
'अगर स्थिति बुरी हो तो
बेहतरीन बदलाव जरूरी है,
अच्छे कर्मों के बिना
यह जिंदगी अधूरी है,
जरूर करना दूसरों से भी जमाना रोशन करने की उम्मीद
पर उससे पहले खुद भी चिराग बनना जरूरी है।'