पुस्तक परिचय
'मोती मुक्तक : जनभाषा के' एक विशेष पुस्तक के रूप में कुल चार भागों में विभाजित है जो विविध विषयों पर 228 विशिष्ट दोहों, 208 रोचक छिटपुट छोटी रचनाओ, 54 अन्य आनंददायिनी कविताओं एवं कुल 19 रोचक कहानियों /लघुकथाओं का सम्मिश्रण है। यह लेखक का आठवां काव्य संग्रह भी है। पढ़ने में सिर्फ आनंददायक और रोचक ही नहीं , अपितु बेहद ज्ञानवर्धक भी है। धर्म, अध्यात्म, त्यौहार, राष्ट्रबोध, प्रकृति ,राजनीति तथा अनेक मानवीय भावनाओं को रेखांकित करते दोहे एवं अन्य मुक्तक इनमें शामिल हैं। प्रेम, आशा, उत्साह, शौर्य, करुणा, वात्सल्य, हास्य एवं अध्यात्म से ओत-प्रोत ये कविताएं एवं कहानियां मानव जीवन की एक नई व्याख्या प्रस्तुत करती हैं। भाव प्रवणता एवं सहज संप्रेषणीयता की विशिष्टता से विभूषित तथा जिंदगी के तमाम अनुभवों से भीगी हुई ये कविताएं एवं कहानियां आपको बरबस अपनी ओर आकृष्ट करती हैं।
सर्वविदित है कि दोहे स्वभावत: 'गागर में सागर ' होते हैं। साथ ही पुस्तक में मौजूद अन्य छोटी रचनाओं को पढ़ने के बाद संभव है आप स्वत: ही कह उठें कि रचनाएं ' देखन में छोटे लगें, भाव भरे गंभीर'। अन्य कविताएं एवं कहानियां भी विश्व कल्याणकारी भावनाओं से ओत-प्रोत हैं। यत्र-तत्र बिखरे दोहों और विशेषकर छोटी रचनाओं को बटोर कर एकत्र करना निस्संदेह समयसाध्य कार्य रहा, किंतु कष्टसाध्य कत्तई नहीं।
*********************************************************
--राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, लेखक।
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners