नींव का पत्थर श्री अरुण कुमार जैन की साठ से अधिक मार्मिक लघुकथाओं का संकलन है। लगभग 2 दशक पूर्व लिखी गयीं ये लघुकथाएँ आपके मर्मस्थल को स्पर्श करती है। इनमें सारा जीवन कठोर श्रम कर बच्चे को शिखर तक पहुँचाने वाली केवल माँ है, तो अपनी छुट्टी के लिए परेशान सामान्यकर्मी भी है, घर के अनुशासन से परेशान किशोर है, तो कठोर हृदय वाले अमीरों के बीच दयावान युवक भी है। सास के ताने सहकर शिखर छूने वाली रागनी है तो परिस्थितियों से सीखने वाली आशा माँ है। दोहरे मापदंड रखने वाली श्रीमती चौधरी हैं, तो कार्यालय में बेबस घर के शेर मिस्टर तेजपाल हैं। ट्रेन के स्लीपर डिब्बों में रोज घटित होने वाली रोचक कथाएँ आपको कुछ देंगी। नस्ल सुधार आपको उलझन दे सकती है, तो सहयोग भाव काम कराने का रास्ता बताएगी। अपनी-अपनी में बुढ़ापे की मनोदशा है तो लत में आज का यथार्थ है। साहब के दोहरे चिंतन को बतायेगी तो मेमसाब नारी के स्वभाव को। पुनर्जन्म में आपको अपना बिंब दिख सकता है तो लावा भी किसी बहिन बेटी की व्यथा कहती लगेगी। मेहनत में हजारों युवाओं की वेदना है जो बड़े लोगों के बीच शोषित होने को अभिशप्त है। उसकी दीमक से दूर रहना ही श्रेयस्कर है, पिघलती आस्था मानव की चपलता, अस्थिरता की अभिव्यक्ति है जहाँ डिगाने वाली नारी ही श्रद्धेया बन जाती है। दर्द की अनुभूति हर धर्म की करुणा व अनुराग की पुकार है। दुनियादारी व दोस्त दुश्मन जैसे बिंब समाज में बहुत देखने को मिलते हैं। देवता हर व्यक्ति के विभिन्न रूप बताती है तो खुली हवा प्रेरणा देगी। रेत के घरोंदे, प्रेरणा देगी, नींव का पात्थर भावुक करेगी तो हलाहल चिंतन की ओर ले जायेगी। दंभ की कालिख निश्चित रूप से प्रेरक लगेगी तो सह अनुभूति व अपना बेटा मन को द्रवित करेगी।
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